किस्मत का बाज़ार (व्यंग्य)

Satire on market
Prabhasakshi
संतोष उत्सुक । Feb 23 2024 4:33PM

ज़िंदगी में सफल होने का कोई भी क्षेत्र हो मेहनत का विकल्प नहीं माना जाता। विकास के आंगन में सफलता के नुस्खे बताते, हज़ारों विशेषज्ञों और लाखों किताबें उपलब्ध होने के बावजूद ऐसे लोग भी मौजूद हैं जो अभी भी आम जनता को अपनी जुगाडू उपदेशों में उलझाए रखते हैं।

देश के कर्मठ, नामी व्यवसायी द्वारा सप्ताह में सत्तर घंटे काम करने की बात पर बातें अभी जारी है। चौबीस घंटे में से अठ्ठारह घंटे काम तो काफी लोग करते रहे हैं। बहुत लोग ज़िंदगी भर छुट्टी नहीं लेते, आराम और सुस्ती की छुट्टी करके रखते हैं। यह बात दीगर है कि ज़िंदगी अनेक लोगों को जीवन भर छुट्टी नहीं देती। स्वास्थ्य आधार पर सलाह दी जाती है कि आठ घंटे तो सोना ही चाहिए लेकिन कर्तव्य के प्रति निष्ठावान व्यक्ति तीन चार घंटे ही सोते हैं। जिन लोगों ने सिर्फ एक बार मिले जीवन में मनचाही सफलता पानी है वह निरंतर लगे रहते हैं। काम करने की उनकी शैली से लाखों लोग प्रेरित होते हैं। हालांकि कई विभागों के कर्मचारी चाहते हैं कि हर वर्ष मिलने वाली छुट्टियां बढ़ती रहें।  

ज़िंदगी में सफल होने का कोई भी क्षेत्र हो मेहनत का विकल्प नहीं माना जाता। विकास के आंगन में सफलता के नुस्खे बताते, हज़ारों विशेषज्ञों और लाखों किताबें उपलब्ध होने के बावजूद ऐसे लोग भी मौजूद हैं जो अभी भी आम जनता को अपनी जुगाडू उपदेशों में उलझाए रखते हैं। प्रतिस्पर्द्धा के रास्तों पर उनके परामर्श बिखरे देखकर मज़ा आता है। उनके द्वारा जीवन में योजना, प्रयास और मेहनत को पानी पिलाने का प्रबंध किया लगता है। वे विकास नहीं विज्ञापन का सहारा लेते हैं।

इसे भी पढ़ें: भावना, सदभावना, दुर्भावना (व्यंग्य)

उनका कहना है कि वे आपके हाथ की रेखाएं, फोटो या कुण्डली देखकर, जीवन में होने वाली घटनाओं की जानकारी देते हैं। अपने वर्तमान व भविष्य बारे अंजान, दूसरों बारे बताते हुए, दर्जनों परेशानियों का समाधान सिर्फ बहत्तर घंटे में, सौ प्रतिशत गारंटी के साथ करने का वायदा नहीं दावा करते हैं। उन्हें पता है कि गारंटी, वारंटी से ज्यादा प्रभावोत्पादक होती है, इसीलिए काम हो जाने की गारंटी देते हैं। 

  

निरंतर विकास के मौसम में यह जानकर हैरानी होती है कि एक व्यक्ति के पास देश और समाज की आर्थिक, मानसिक, पारिवारिक और शारीरिक समस्याओं का इलाज है। इस इलाज के सफल होने की सौ प्रतिशत गारंटी भी  साथ है। व्यापार में हानि, विवाह में देरी, विदेश यात्रा में देरी, नौकरी में तरक्की और तबादला, सौतन से छुटकारा, पढ़ाई और पूजापाठ में मन न लगना, गृह कलेश, संतान न होना, कोर्ट केस, वशीकरण और भी कितने तरह के दोष निवारण वे करते हैं। दिलचस्प और प्रशंसनीय यह है कि इन बड़ी बड़ी समस्याओं के निवारण हेतु सलाह की फीस गांव, कस्बा या शहर के हिसाब से ली जाती है। 

इनके कागज़ी विज्ञापन साबित करते हैं कि विकास के मामले में हमारे यहां, ‘आगे दौड़ पीछे chaudचौड़’ वाला फार्मूला पूर्णतया लागू है। अदभुत कौशल के माध्यम से जीवन की दर्जनों समस्याओं का निवारण करने की सौ प्रतिशत गारंटी देने वालों को भरपूर अवसर देना चाहिए ताकि आम लोगों को कम खर्च में उचित सलाह मिले और राहत पहुंचे। इस सन्दर्भ में दिन रात मेहनत कर, किताबें लिखने, वीडियो बनाने वालों को भी काफी फायदा होगा। वे इन सलाहों को अपने अनुभवों में शामिल कर सकते हैं। सरकार भी इनसे सहयोग ले सकती है। किस्मत के बाज़ार में इतने अनुभवी बाबा बैठे हैं तो समाज को इनका नैतिक लाभ मिलना चाहिए।

- संतोष उत्सुक

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़