रविवार के दिन जब हो जाए त्योहार की छुट्टी (व्यंग्य)

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गणतन्त्र दिवस व स्वतन्त्रता दिवस तो कितने दशकों से हमारी पेड छुट्टियाँ हैं। अगले बरस छुट्टियों का मौसम ज्यादा ठंडी करवट ले रहा है। आजकल, सिर्फ एक बार मिलने वाली मूल्यवान ज़िंदगी के बाज़ार में होने वाले अप्रत्याशित नुकसान का अंदाज़ा लगाया जा रहा है।

ज़िंदगी से कुछ दिन के लिए भगदड़ की छुट्टी कर दी जाए यह उम्दा ख़्वाब है लेकिन ज़्यादातर लोग इस कोशिश में हमेशा फेल रहते हैं और समझते हैं कि पास हो गए। इधर सरकारी कर्मचारियों के जीवन में छुट्टियों का रस निरंतर रहता है। कई त्योहार या उत्सव, उचित मोड़ पर आने से सरकारी दफ्तर एक सप्ताह के लिए भी अचेत हो जाते हैं। आजकल स्वप्न देखे जा रहे हैं, फलां सप्ताह एक छुट्टी लेकर चार हो जाएंगी। उस महीने में दो अवकाश लेकर लेकर, एक दर्जन अच्छे मास्क खरीदकर पूरा हफ्ता घूमने जा सकते हैं।

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गणतन्त्र दिवस व स्वतन्त्रता दिवस तो कितने दशकों से हमारी पेड छुट्टियाँ  हैं। अगले बरस छुट्टियों का मौसम ज्यादा ठंडी करवट ले रहा है। आजकल, सिर्फ एक बार मिलने वाली मूल्यवान ज़िंदगी के बाज़ार में होने वाले अप्रत्याशित नुकसान का अंदाज़ा लगाया जा रहा है। जग जाहिर है कि जो त्योहार शनिवार, रविवार या अन्य राष्ट्रीय छुट्टी के दिन मनाना पड़े उन्हें मनाने में उतना आनंद नहीं आता जितना आ सकता है। ज़रा सोचिए, स्वतन्त्रता दिवस अगले वर्ष रविवार को आ रहा है, रविवार की व्यस्तताओं के बीच स्वतन्त्रता कैसे मनाई जा सकती है । 

होली, महावीर जयंती, ईस्टर, मदर्स डे, फादर्स डे, फ्रेंड शिप डे, बाल दिवस सब रविवार को हैं। हाय! कितनी छुट्टियाँ मारी जा रही हैं। सबसे महत्वपूर्ण, करवा चौथ का व्रत भी इतवार को रखना होगा। कुल मिलाकर जितने सार्वजनिक अवकाश होंगे, नेगोशिएबल इन्स्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत तो उससे कम ही होंगे। कितनी विकसित समानता है कि आज़ादी मिलने के इतने दशक बाद भी हम छुट्टियों के मामले में एक नज़र से नहीं देखे जाते। देखा जाए तो सभी विभाग या इंसान एक जैसे महत्वपूर्ण कैसे माने जा सकते हैं। जब वक़्त सब के साथ एक जैसा सलूक नहीं करता तो बेचारा आदमी कैसे एक दूसरे के साथ बराबरी का व्यवहार कर सकता है।

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समझदार प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों ने होली, दिवाली, क्रिसमस व नया साल व्यवस्था की सहूलियत के आधार पर असली त्योहार दिवसों से पहले ही मना लेने की सांस्कृतिक परम्परा विकसित की है। दूसरों से ली गई प्रेरणा बहुत कुछ करवा सकती है। त्योहार प्रेमियों का अनुरोध करना बनता है, जो त्योहार रविवार को पड़ते हैं उन्हें बदलकर किसी कार्यदिवस को रखा जाए ताकि रविवार की छुट्टियों का नुकसान न हो और किसी अन्य वार को घोषित अवकाश के दिन उत्सव मनाने का उत्साह बरकरार रहे। बदलते वक़्त के साथ, घोषित तिथि से पहले उत्सव या छुट्टी मना लेने से अवसर की पवित्रता भी कम तो नहीं होगी। ऐसा करने से कार्यदक्षता भी तो बढ़ सकती है। रविवार को रविवार की तरह हज़म कर सकेंगे।

- संतोष उत्सुक

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