जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन की ओर बढ़ रहा भारत का तैयार होता मुस्लिम लीग

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अभिनय आकाश । Feb 23 2020 3:30PM

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाली 24 साल की इस लड़की का नाम अमूल्या लियोना है। पाकिस्तान समर्थित नारा लगाकर सियासी घमासान मचाने वाली लड़की अमूल्या लियोना के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। अमूल्या की अब कोर्ट में पेशी होगी और अदालत ही ये फैसला करेगी कि अमूल्या को क्या सजा देनी।

साल 1946, देश आजादी पाने के लिए बैचेन था। द्वीतीय विश्व युद्ध की आग पूरी तरह बुझी नहीं थी। ब्रिटेन की सरकार ये फैसला ले चुकी थी कि अंग्रेज ये देश छोड़कर चले जाएंगे। मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में अपने स्वार्थ के लिए एक धड़े ने भारत को बांटने का दावा पेश कर दिया था। उनकी मांग थी पश्चिम के पेशावर से लेकर पंजाब के अमृतसर और कोलकाता समेत एक अलग राष्ट्र जो सिर्फ मुसलमानो के लिए बनेगा और जिसका नाम होगा पाकिस्तान। डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी का एक देश, एक विधान, एक निशान और एक संविधान का नारा पूरे देश में गूंज रहा था। लेकिन मुस्लिम लीग की डायरेक्ट एक्शन डे की घोषणा ने पूरे देश को आग से खेलने पर मजबूर कर दिया था। जिन्ना ने कहा कि अगर समय पर बंगाल का सही फैसला नहीं मिला तो...हमें अपनी ताकत दिखानी पड़ेगी। भारत से हमें कोई लेना-देना नहीं। हमें तो पाकिस्तान चाहिए, स्वाधीन पाकिस्तान चाहे भारत को स्वाधीनता मिले या न मिले। गोली और बम की आवाज से कांप उठी थी भारत मां की धरती। पूर्वी बंगाल का नोआखाली जिला। मुस्लिम बहुल इस जिले में हिंदुओं का व्यापक कत्लेआम हुआ था। कलकत्ता में 72 घंटों के भीतर 6 हजार से अधिक लोग मारे गए थे। 20 हजार से अधिक घायल हो गए थे। 1 लाख से अधिक बेघर हो गए थे। इसे ग्रेट कलकत्ता किलिंग भी कहा जाता है। इस घटना को बीते सात दशक गुजर गए। 

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नागरिकता के खिलाफ लड़ाई पाकिस्तान तक पहुंच गई है। जो लड़ाई आप जानते हैं जिन्ना वाली आजादी से शुरू हुई थी वो चिकन नेक काटने से लेकर छीन कर लेंगे आजादी के रास्ते फ्री कश्मीर और पाकिस्तान जिंदाबाद तक पहुंच गई है। पंद्रह करोड़ से सौ करोड़ हिन्दुओं पर भारी और फिर पाकिस्तान जिंदाबाद के फैले इस वायरस को आज हम एक्सपोज करने की कोशिश करेंगे। 

नागरिकता विरोधी आंदोलन की लड़ाई पाकिस्तान तक पहुंच गई है। पंद्रह फरवरी को एआईएमआईएम के नेता हिन्दुओं को 15 करोड़ वाली धमकी देते हैं और उसके पांच दिनों के बाद ही इस पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी के सामने एक लड़की ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। नागरिकता के खिलाफ जारी आंदोलन में ही इससे पहले देश के चिकन नेक यानी सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा करके असम को अलग करने की धमकी भी दी जा चुकी है। देश में नफरत फैलाने वाली इस मुहिम के पीछे आखिर है कौन? ये जो चेहरे जहरीले बोलों से जिन्ना के अधूरे एजेंडे को पूरा करने की कोशिश में लगे हैं। 

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पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाली 24 साल की इस लड़की का नाम अमूल्या लियोना है। पाकिस्तान समर्थित नारा लगाकर सियासी घमासान मचाने वाली लड़की अमूल्या लियोना के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। अमूल्या की अब कोर्ट में पेशी होगी और अदालत ही ये फैसला करेगी कि पत्रकारिता की पढ़ाई कर रही छात्रा अमूल्या लियोना को क्या सजा देनी है। घटना के बाद अमूल्या के परिजन भी सुर्ख़ियों में आ गए हैं। अमूल्या के विरोध में खुद उनके पिता सामने आए हैं। अमूल्या के पिता ने पाकिस्तान परस्त नारा लगाने के कारण उसके हाथ पैर तोड़ने की बात की है साथ ही ये भी कहा है कि वो किसी भी हाल में अपनी बेटी की जमानत के लिए सामने नहीं आएंगे। साथ ही लड़की के पिता ने ये भी कहा कि मैं उसका बचाव नहीं करूंगा। उन संगठनों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए जो अमूल्या जैसे लोगों के पीछे हैं। अगर कार्रवाई नहीं हुई तो यह सब खत्म नहीं होगा। यही कहानी का ट्विस्ट है। लड़की का एक पुराना वीडियो सामने आया जिसमें ये लड़की साफ-साफ बता रही है कि उसके विचारों के पीछे बहुत सारे लोगों की एक टीम काम करती है। इसे सलाह देने वाले लोगों की एक बड़ी फौज है और जैसा उसे कहा जाता है वैसा ही वो बोलती है। 

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हालांकि ओवैसी तुरंत मंच पर पहुंचे और पाकिस्तान जिंदाबाद कहने वाली लड़की को रोका। लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि क्या देशद्रोह के लिए जिस मंच से उकसाया जाएगा और भड़काया जाएगा। उस मंच से ऐसी ही चीजें तो निकलकर सामने आएंगी। बीजेपी ने आरोप लगाया कि मंच के पीछे पाकिस्तान को आक्सीजन दी जाती है और तिरंगे वाली एक्टिंग ज्यादा समय तक टिक नहीं पाई और असलियत सामने आ गई। अचानक से पाकिस्तान जिंदाबाद का फैशन देश में कैसे चलने लगा। अचानक से चारो तरफ आपको रैलियों में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे क्यों सुनाई देने लगे। 

नागरिकता कानून के बहाने देश विरोध

  • 6 जनवरी 2020- मुंबई में गेटवे आफ इंडिया पर प्रदर्शन के दौरान भारत विरोधी पोस्टर।
  • 8 जनवरी 2020- दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैपेंस में पुलिस को आजाद कश्मीर के पोस्टर मिले।
  • 8 जनवरी 2020- मैसूर यूनिवर्सिटी में फ्री कश्मीर के पोस्टर लगाए गए।
  • 20 जनवरी 2020- बैंगलूरू में AIMIM के अध्यक्ष ओवैसी के मंच से नारेबाजी
  • दिसंबर 2018- अलवर में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की रैली में नारेबाजी
  • मार्च 2018- बिहार के अररिया में आरजेडी नेता की जीत पर नारेबाजी
  • दिसंबर 2017- बुलंदशहर में चुनाव जीतने पर बीएसपी नेता के समर्थकों की नारेबाजी
पंद्रह करोड़ 100 करोड़ पर भारी हैं। ऐसा कहना है इस पूर्व विधायक का। हमारे देश में बहुत से पत्रकार और बुद्धजीवी इस बयान को अभिव्यक्ति की आजादी मानेंगे। इस बयान को धर्मनिरपेक्षता के साथ जोड़ देंगे। 

क्या इस तरह के नारे के पीछे वही लोग हैं जिन्होंने हमेशा से धर्मनिरपेक्षता का मुखौटा पहन कर मुसलमानों को खुश करने की कोशिश की है और ये धारणा बनाई की पाकिस्तान जिंदाबाद कहने से भारत का मुसलमान खुश होता है। ये सच है कि भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जहां सभी धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं और उन्हें कोई परेशानी नहीं है। लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि हिन्दू औऱ मुसलमानों के बीच एक गहरी खाई है और जिसकी अनदेखी की गई। 1947 में देश के बंटवारा धार्मिक आधार पर हुआ। ये दुनिया की सबसे बड़ी संप्रादायिक घटनाओं में से एक है। ये विभाजन इसलिए हुआ क्योंकि बड़ी संख्या में मुसलमानों ने अलग देश की मांग की। बंटवारे के समय लाखों लोग मारे गये और जो हिन्दू पाकिस्तान में रह गए उनकी जिंदगी नर्क बन गई। पाकिस्तान में बंटवारे से पहले 16 प्रतिशत हिन्दू थे जो अब घटकर डेढ़ प्रतिशत हो गए। 19 जनवरी 1990 की वो काली रात जब कश्मीर से 4 लाख के करीब कश्मीरी पंडित अपने ही देश में शरणार्थी बनने पर मजबूर हुए। 

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हाथों में संविधान और दिल में पाकिस्तान के इस नए फैशन में अब आपको संविधान के रचयिता बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की किताब पाकिस्तान और द पार्टिशन इन इंडिया की कुछ लाइनों के बारे में बताते हैं। इस किताब में आंबेडकर लिखते हैं- मुसलमानों की निष्ठा, जिस देश में वे रहते हैं, उसके प्रति नहीं होती, बल्कि वह उस धार्मिक विश्वास पर निर्भर करती है, जिसका कि वे एक हिस्सा हैं। एक मुसलमान के लिए इसके विपरीत या उल्टे सोचना अत्यन्त दुष्कर है। जहाँ कहीं इस्लाम का शासन हैं, वहीं उसका अपना विश्वास है। दूसरे शब्दों में, इस्लाम सच्चे मुसलमानों को भारत को अपनी मातृभूमि और हिन्दुओं को अपना निकट सम्बन्धी मानने की इज़ाजत नहीं देता।-अभिनय आकाश

 

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