US के बिग बॉस की वडनगर के चायवाले के घर दस्तक

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अभिनय आकाश । Feb 13 2020 6:11PM

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 और 25 फरवरी को भारत यात्रा पर आ रहे हैं। अमेरिका का कोई भी राष्ट्रपति आए ताजमहल के आगे फोटो खिंचाए। परिवार के लोग होली खेलते दिख जाएं तो भारत की जनता खुश हो जाती है।

अमेरिका में आपका स्वागत करते हैं मिस्टर पीएम... दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क के मुखिया द्वारा हिंदी में कहा गया यह संवाद किसी और के लिए नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बड़े गणतंत्र के सिपहसालार नरेंद्र मोदी के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से कहे गए थे। विश्व के इन दो सुपर पावर्स के बीच हुई इस मुलाकात में सुपर गर्मजोशी नज़र आई। यह ऐसी मुलाकात थी जिस पर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर की निगाहें टिकी थी। दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति के नेता और सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया के बीच भेंट तो खास होनी ही थी। जिस अंदाज़ में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी का स्वागत किया उससे यह मौका ऐतिहासिक बन गया और भारत-अमेरिका साझेदारी का नया अध्याय शुरू हो गया। नरेंद्र मोदी यानि भारत की कूटनीति का वो सिक्का जिसका संसार की चौपालों पर डंका बज रहा है। गुजरती हुई सत्ता और आती हुई सत्ता के संधिस्थल पर सियासी सफलता के साम्राज्य बने मोदी लाखों-करोड़ों लोगों के प्रेरणा स्रोत भी हैं। नरेंद्र मोदी ने पीएम बनने के बाद जब पहली बार अमेरिका का दौरा किया था तो वहां रहने वाले भारतीय अमेरिकी समुदाय ने पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया था, जिसकी काफी चर्चा हुई थी।

2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में एक कार्यक्रम में करीब 20 हजार लोगों को संबोधित किया था। सिंतबर 2019 तो याद ही होगा जब नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे और वहां हाउडी मोदी कार्यक्रम हुआ था। ट्रंप और मोदी हाथों में हाथ डाले नजर आए थे। अब वैसा ही कार्यक्रम केम छो के नाम से अहमदाबाद के सरदार पटेल स्टेडियम में होगा। इस दौरान दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम का उद्घाटन भी होगा। जिसमें 1 लाख 10 हजार लोग एक साथ बैठकर मैच देख सकते हैं।

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 और 25 फरवरी को भारत यात्रा पर आ रहे हैं। अमेरिका का कोई भी राष्ट्रपति आए ताजमहल के आगे फोटो खिंचाए। परिवार के लोग होली खेलते दिख जाएं तो भारत की जनता खुश हो जाती है। आज हम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाव्ड ट्रंप के भारत दौरे के पीछे छिपी मंशा, राजनीतिक फायदे और उनके दौरे की टाइमिंग का स्कैन कर इसके पीछे छिपे एजेंडे के बारे में बताएंगे साथ ही ट्रंप ने गुजरात को ही क्यों चुना इसकी वजह भी बताएंगे।

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दुनिया के चौकीदार अमेरिका को डोनाल्ड ट्रंप के रूप में साल 2016 में न सिर्फ अपना 45 वां राष्ट्रपति मिला था बल्कि दुनिया को एक संदेश भी मिला है कि अमेरिका बदल रहा है। अमेरिका सोच के साथ-साथ दुनिया की तस्वीर भी बदलने जा रही है। डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका का नया सीइओ बना दिया। दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क की सबसे बड़ी परीक्षा पास कर 1944 के बाद पहली बार न्यूयॉर्क के दो नेताओं के बीच हुए मुकाबले में ट्रंप ने बजी मार ली थी। अमेरिका की जनता ने 70 साल के युवा डोनाल्ड ट्रंप के रूप में अपना नया राष्ट्रपति चुन लिया। लेकिन चार साल बीतते-बीतते अमेरिका में परिस्थितियां बहुत बदलीं।

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ट्रंप इम्पिचमेंट यानी महाभियोग से बच गए हैं। लेकिन ट्रायल की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। बातें चल रही हैं कि ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकर जान बोल्टन को बयान देने का मौका नहीं मिला जबकि बताने के लिए उनके पास बहुत कुछ था। इस लिए अमेरिका मीडिया में ये भी दावा किया जा रहा है कि ट्रंप ने महाभियोग प्रक्रिया को लेकर चल रहे प्रतिक्रिया का रूख बदलने के लिए भारत की यात्रा की टाइमिंग चुनी है।

गुजरात ही क्यों

अमेरिकी कम्युनिटी सर्वे 2017 के मुताबिक अमेरिका में भारतीय मूल के 40 लाख लोग हैं। यानी हजार लोगों में 13 लोग भारतीय मूल के हैं। इसमें भी 20 फीसदी गुजराती मूल के हैं। ये अमेरिका की मजबूत लाबी है। न्यूयार्क, न्यू जर्सी, शिकागो, वाशिंगटन आदि में इनका अच्छा खासा प्रभाहै। अमेरिका के करीब 40 फीसदी मोटल्स गुजराती चलाते हैं। मोदी खुद भी गुजरात से हैं। एनआरआई के फेवरेट हैं। ऐसे में इस साल के होने वाले अमेरिकी चुनाव में ट्रंप इनकी मदद चाहते हैं। अमेरिकी प्रेजिडेंट डॉनल्ड ट्रंप की भारत यात्रा क्यों खास है? क्या इस दौरे का भारत-अमेरिका रिश्ते के अलावा ग्लोबल कूटनीति पर भी इसका असर होगा। किन मायनों में यह दौरा और खास हो गया है। ये सवाल तब उठे हैं जब ट्रंप का भारत दौरा तय हो चुका है और वह 24 और 25 फरवरी को भारत में होंगे।

क्यों खास है ट्रंप का भारत आना

अमेरिकी प्रेजिडेंट डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा क्यों खास है? क्या इस दौरे का भारत-अमेरिका रिश्ते के अलावा ग्लोबल कूटनीति पर भी असर होगा। किन मायनों में यह दौरा और खास हो गया है। ये सवाल तब उठे हैं जब ट्रंप का भारत दौरा तय हो चुका है और वह 24 और 25 फरवरी को भारत में होंगे। किसी अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत दौरा जनवरी 2015 में हुआ था जब बराक ओबामा गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बने थे। हालांकि इस साल के लिए गणतंत्र दिवस के लिए ट्रंप को न्योता भेजा गया था, लेकिन पूर्व निर्धारित कार्यक्रम का हवाला देकर उन्होंने मना कर दिया था। बुधवार को ट्रंप और पीएम नरेंद्र मोदी, दोनों ने उम्मीद जताई कि इस यात्रा से दोनों देशों के बीच रिश्ते और बेहतर होंगे।

अमेरिका में चुनाव

ट्रंप का भारत दौरा तब हो रहा है जब अमेरिका में इसी साल प्रेजिडेंट चुनाव होने हैं और ट्रंप दूसरे टर्म के लिए दावा ठोक रहे हैं। जीतने के लिए उन्हें अमेरिका में बसे भारतीयों के समर्थन की भी जरूरत है। पिछले साल अमेरिका में पीएम मोदी के हाउडी मोदी कार्यक्रम में 'अबकी बार ट्रंप सरकार' का नारा लग भी चुका है। जाहिर है कि ट्रंप अपने दौरे में इस जुड़ाव को और मजबूत करना चाहेंगे। अब तक के ट्रेंड को देखें तो अमेरिका में भारतीयों का अधिकतर वोट डेमोक्रेट्स को मिलता रहा है। वह इस बार ट्रेंड बदलना चाहेंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रंप के लिए अहमदाबाद में हाउडी मोदी की तर्ज पर 'केम छो ट्रंप' कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें एक लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है।

कश्मीर पर ट्रंप कार्ड

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने का मामला हो या बाद में आया नागरिकता संशोधन कानून, पाकिस्तान सहित कुछ देशों ने इसके अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिश की। अधिकतर देशों ने जहां दोनों ही मुद्दों को भारत का आंतरिक मामला बताया, वहीं ट्रंप का रुख उलझन भरा रहा। कई बार ट्रंप मध्यस्थता का प्रस्ताव दे चुके हैं। ऐसे में भारत ट्रंप के दौरे से इस मसले का स्थाई हल निकालना चाहेगा। साथ ही अगर ट्रंप पाकिस्तान नहीं जाते हैं तो ये भी बड़ा संदेश होगा।

ट्रेड डील

ट्रंप के भारत दौरे का एक और बड़ा कारण है। दरअसल, ट्रेड डील में अमेरिका कुछ खास रियायतों की मांग कर रहा है। भारत ने मेक इन इंडिया का हवाला देते हुए अमेरिकी आईटी कंपनियों को मनमाना डील देने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा भारत अमेरिका से दोबारा स्पेशल स्टेटस बहाल करने की भी मांग कर रहा है।

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यात्रा से पहले झटका

ट्रंप की बहुप्रतीक्षित यात्रा से ठीक पहले अमेरिकी प्रशासन ने एक ऐसा फैसला किया है। जिसके बाद भारतीय निर्यातकों की मुश्किलें बहुत बढ़ जाएंगी। इस फैसले के तहत अमेरिका ने भारत को विकासशील देशों की सूची से बाहर कर दिया है। इसको अगर आसान भाषा में समझने की कोशिश करें तो अमेरिका से होने वाले भारतीय निर्यात को अब इस जांच से गुजरना होगा कि उसके निर्माण और निर्यात में सरकारी सब्सिडी का कोई खास योगदान तो नहीं है। अभी तक विकासशील देशों से आई चीजों को वहां न सिर्फ इस जांच से छूट हासिल थी, बल्कि 2 प्रतिशत तक सरकारी सहायता पर कोई एतराज भी नहीं था। नए बदलाव के तहत अमेरिका में भारत, इंडोनेशिया, ब्राजील, अर्जेंटीना और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से होने वाले आयात में अड़ंगा लगेगा और इसका वॉल्यूम घटेगा। नए मानकों के मुताबिक अमेरिका इन चार तरह के देशों को विकासशील नहीं मानेगा- जो ऑर्गनाइजेशन फॉर इकनॉमिक कोऑपरेशन एंड डिवेलपमेंट (ओईसीडी) के सदस्य हों या उसकी सदस्यता चाहते हों, जो जी-20 के सदस्य हों, विश्व बैंक जिन्हें ऊंची आय वाले देशों की श्रेणी में रखता हो, और विश्व व्यापार में जिनकी भागीदारी 0.5 फीसदी से ज्यादा हो। ट्रंप सरकार के इस फैसले के अलावा एक और बाहरी कारक यहां पहले से जारी स्लोडाउन को और बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। खुद को मोदी का मित्र कहने वाले ट्रंप वैसे तो अपने चुनाव अभियान में भी भारत का पूरा फायदा उठाने से नहीं चूकते हैं ऐसे में भारत यात्रा में इस मुद्दे पर बातचीत होगी या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा। -अभिनय आकाश

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