हर जगह हारे सिंधिया, पश्चिमी यूपी में कांग्रेस की जमानत जब्त

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उत्तर प्रदेश को संभालने के लिए कांग्रेस ने दो टीमें बनाई थी। जिसमें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और मध्य प्रदेश से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं।

सत्ता के शिखर से सत्ता के बाहर का रास्ता देखने वाली कांग्रेस पार्टी पर ऐसी सुनामी आई कि केरल को छोड़ दिया जाए तो दहाई का आंकड़ा भी न पा सकी। जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सिर्फ हिन्दुस्तान के मानचित्र में सिर्फ और सिर्फ दिखाई देता है तो भगवा। शास्त्रों में भगवा को ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक बताया गया है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि हमारे मुल्क में चौतरफा विकास होगी। लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि मौजूदा परिस्थियों के बावजूद क्या कांग्रेस खेमे में शांति बहाली हो सकती है। एक तरफ दिल्ली को जाने वाले राज्य उत्तर प्रदेश से ही कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया तो दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा इस्तीफे की बात सामने आ रही है। उत्तर प्रदेश को संभालने के लिए कांग्रेस ने दो टीमें बनाई थी। जिसमें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और मध्य प्रदेश से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं।

महाराजा की सियासत से जनता नाराज

ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस पार्टी ने पश्चिम उत्तर प्रदेश की 39 सीटों के कैंपेन का काम सौंपा था। जहां पर उनको पार्टी की स्थिति को मजबूत करके वोट बैंक को कांग्रेस की तरफ मोड़ना था। मगर चुनावी नतीजों से तो यह साफ हो गया कि वोट बैंक मुड़ा हो या नहीं लेकिन ज्योतिरादित्य का कद जरूर घट गया। सुनामी की ऐसी मार सिंधिया को पड़ी कि वह राजघराने की गुना सीट को भी नहीं संभाल पाए। 

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 22 सीटों में से 21 पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर, पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद समेत अन्य पर दांव खेला। जिसमें से 21 प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की सुनामी में बुरी तरह से बह गए और उनकी जमानत तक जब्त हो गई। सहारनपुर से कांग्रेस के एकमात्र प्रत्याशी इमरान मसूद थे जिन्होंने दम भरकर मुकाबला किया और उन्हें 16.81 फीसदी वोट भी मिले। हालांकि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आरएलडी के महागठबंधन की चार बड़ी सीटों पर अपने उम्मीदवार भी नहीं उतारे थे। 

राज बब्बर की फतेहपुर सीकरी, सलमान खुर्शीद की फर्रुखाबाद, आगरा, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, बरेली, बदायूं, आंवला, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, मुरादाबाद, संभल, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, रामपुर, और कैराना से कांग्रेस उम्मीदवारों की हार इतनी जबरदस्त थी कि जमानत भी जब्त हो गई। हालांकि चुनाव नतीजों के बाद एक बार फिर से ढीकरा दूसरों पर फोड़ने का दौर शुरू हो गया और यूपी कांग्रेस प्रवक्ता राजीव बख्शी ने कहा कि परिणामों में कुछ गड़बड़ हो गई। हम लोगों के फैसले को स्वीकार करते हैं और अगले चुनावों के लिए कठिन परिश्रम करेंगे। राजनीतिक पंडितो ने चुनाव से पहले बने महागठबंधन को देखते हुए कहा था कि भाजपा को उत्तर प्रदेश में काफी नुकसान होने वाला है लेकिन नतीजों से इससे उलट निकले। उत्तर प्रदेश की जनता को हाथी लाठी 786 वाली बात जमी नहीं और भाजपा+ को 64 सीटें मिल गईं।

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हार के बाद शुरू हुआ इस्तीफो का दौर

एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा अपनी पैतृक सीट अमेठी गंवा देने के बाद मीडिया में खबरें आईं कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देंगे तो वहीं दूसरी तरफ राज बब्बर और अमेठी जिला अध्यक्ष ने भी इस्तीफा दे दिया। हालांकि राज बब्बर के नेतृत्व में लड़े गए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन काफी बुरा रहा। फतेहपुर सीकरी से मिली हार को स्वीकारते हुए राज बब्बर ने विजेताओं को बधाई दी और कहा कि यूपी कांग्रेस के लिए परिणाम निराशाजनक हैं। अपनी ज़िम्मेदारी को सफ़ल तरीके से नहीं निभा पाने के लिए ख़ुद को दोषी पाता हूँ। नेतृत्व से मिलकर अपनी बात रखूंगा। राहुल गांधी के अमेठी से हारने की जिम्मेदारी लेते हुए जिला अध्यक्ष योगेश मिश्रा ने अपना इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेज दिया।

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