Supreme Court पहुंचा Anand Mohan की रिहाई का मामला, IAS जी कृष्णैया की पत्नी ने दायर की याचिका
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जी. कृष्णैया ने साफ तौर पर कहा कि जब मृत्यु दंड की जगह उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है, तब उसका सख्ती से पालन करना होता है, जैसा कि न्यायालय का निर्देश है और इसमें कटौती नहीं की जा सकती।
बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। आनंद को गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। कृष्णैयाको 1994 में एक भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था। अब मारे गए आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आनंद मोहन के जेल से रिहाई को चुनौती दी है। बिहार सरकार ने जेल नियमों में संशोधन के बाद गुरुवार सुबह मोहन को सहरसा जेल से रिहा कर दिया। जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने याचिका में दलील दी है कि गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को सुनाई गई उम्रकैद की सजा उनके पूरे जीवनकाल के लिए है और इसकी व्याख्या महज 14 वर्ष की कैद की सजा के रूप में नहीं जा सकती।
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जी. कृष्णैया ने साफ तौर पर कहा कि जब मृत्यु दंड की जगह उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है, तब उसका सख्ती से पालन करना होता है, जैसा कि न्यायालय का निर्देश है और इसमें कटौती नहीं की जा सकती। बिहार जेल नियमावली में राज्य की महागठबंधन सरकार द्वारा 10 अप्रैल को संशोधन किये जाने के बाद सजा घटा दी गई, जबकि ड्यूटी पर मौजूद लोकसेवक की हत्या में संलिप्त दोषियों की समय पूर्व रिहाई पर पहले पाबंदी थी। तेलंगाना के रहने वाले जी. कृष्णैया की 1994 में एक भीड़ ने उस वक्त पीट-पीटकर हत्या कर दी, जब उनके वाहन ने मुजफ्फरपुर जिले में गैंगस्टर छोटन शुक्ला की शवयात्रा से आगे निकलने की कोशिश की थी।
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इससे पहले पटना उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें बिहार के जेल नियमों में संशोधन को चुनौती दी गई है, जिसके जरिये गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को तीन दशक पहले एक आईएएस अधिकारी की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा के बाद रिहाई का मार्ग प्रशस्त हो सका था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व सांसद आनंद मोहन को लेकर बवाल खड़ा करने के लिए शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा। नीतीश ने आनंद की रिहाई पर सवाल उठा रही प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा का नाम लिए बिना उसकी ओर इशारा करते हुए कहा, मुझे आश्चर्य है कि जेल से रिहा हुए 27 कैदियों में से सिर्फ एक व्यक्ति के बारे में इतनी चर्चा की जा रही है।”
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