विधेयक काफ़ी समय से था लंबित, हरीश साल्वे बोले- जेल से सरकार चलाने का बार-बार दुखद दृश्य देखना पड़ा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच लोकसभा में ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किए। बाद में उनके प्रस्ताव पर सदन ने तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का निर्णय लिया।
प्रख्यात न्यायविद और भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने कहा कि सरकारों को जेल से चलाने से रोकने के लिए 'अपराधी नेता' विधेयक काफ़ी समय से लंबित था। हरीश साल्वे ने कहा कि इस विधेयक काफ़ी समय से लंबित था। हमने बार-बार सरकारों को जेल से चलाने का एक बेहद दुखद दृश्य देखा है। पहला उदाहरण सॉलिसिटर जनरल के रूप में मेरे अनुभव के दौरान था, जब बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जेल गए थे, कम से कम लोकतंत्र के नाम पर उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था। उनकी पत्नी मुख्यमंत्री बन गई थीं। उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक पद धारण करना कोई अधिकार नहीं बल्कि एक पवित्र कर्तव्य है। वरिष्ठ वकील ने सवाल उठाया, अगर अदालत को प्रथम दृष्टया लगता है कि आपके ख़िलाफ़ मामला बनता है, तो आपको पद क्यों नहीं छोड़ना चाहिए?
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गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच लोकसभा में ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किए। बाद में उनके प्रस्ताव पर सदन ने तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का निर्णय लिया। इनमें गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार किए गए और लगातार 30 दिन हिरासत में रखे गए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने के प्रावधान हैं।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्रियों को जेल से सरकार चलाने से रोकने के उद्देश्य से लाए गए एक नए विधेयक की सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक ज़रूरी था क्योंकि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नैतिक आधार पर इस्तीफा नहीं दिया था। शाह ने ज़ोर देकर कहा कि यह कानून भाजपा के मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री सहित सभी पर लागू होगा। उन्होंने कहा कि जब संविधान बनाया गया था, तब ऐसे बेशर्म लोगों की कल्पना भी नहीं की गई थी। जेल जाने के बावजूद उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। यह विधेयक ऐसी स्थिति से निपटने के लिए है जहाँ भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहा कोई नेता जेल में रहते हुए भी शासन करता रहे। पारित होने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता के कारण, विधेयक को एक संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया है, जिसके संसद के अगले सत्र तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की उम्मीद है।
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