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बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष को अलीपुरद्वार में दिखाये गए काले झंडे, काफिले पर पथराव
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- नवंबर 13, 2020 10:06
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जिला तृणमूल कांग्रेस प्रमुख सौरव चक्रवर्ती ने हालांकि कहा कि घोष उत्तर बंगाल में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं और उनकी पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता इस घटना में शामिल नहीं था। घोष के साथ उत्तर बंगाल में हुई घटना का विरोध करते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने दिन में बाद में राज्य के कई हिस्सों में रैलियां निकाली।
जयगांव/कोलकाता। पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले के जयगांव क्षेत्र में बृहस्पतिवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के काफिले पर पत्थर फेंके गए और काले झंडे दिखाए गए, जहां वह पार्टी के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने गए थे। यह जानकारी पुलिस ने दी। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के कई कार्यकर्ताओं को घोष के खिलाफ नारे लगाते हुए देखा गया, जो उन्हें वहां से चले जाने को कह रहे थे। भाजपा के सूत्रों ने कहा कि हमले में घोष का वाहन आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया। पुलिस अधिकारियों के एक दल ने प्रदर्शनकारियों और भाजपा समर्थकों को तितर-बितर करने के बाद स्थिति को नियंत्रित किया। घोष ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस और उनके सहयोगी हताश हो रहे हैं, क्योंकि वे आगामी विधानसभा चुनावों में हार महसूस कर सकते हैं। हालांकि, इस तरह की रणनीति काम नहीं करेगी। लोग हमारे साथ हैं।’’ उन्होंने यह भी दावा किया कि इस घटना से पता चलता है कि बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। उन्होंने कहा, ‘‘चाय पे चर्चा सत्र के बाद हम एक अन्य कार्यक्रम के लिए जा रहे थे, तभी हमारे काफिले पर पथराव किया गया। काले झंडे दिखाए गए।
सत्तारूढ़ दल और उसके सहयोगियों द्वारा ऐसे हमले साबित करते हैं कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त हो गई है। एक लोकतंत्र में ऐसी चीजें नहीं हो सकती।’’ जिला तृणमूल कांग्रेस प्रमुख सौरव चक्रवर्ती ने हालांकि कहा कि घोष उत्तर बंगाल में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं और उनकी पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता इस घटना में शामिल नहीं था। घोष के साथ उत्तर बंगाल में हुई घटना का विरोध करते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने दिन में बाद में राज्य के कई हिस्सों में रैलियां निकाली। कार्यकर्ताओं ने घोष के काफिले पर हमले के खिलाफ यहां प्रदेश पार्टी कार्यालय मुख्यालय के पास सेंट्रल एवेन्यू सड़क बाधित कर दी। राज्य भाजयुमो अध्यक्ष सौमित्र खान के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने 90 मिनट की नाकेबंदी के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पुतला भी फूंका। खान ने कहा, ‘‘हमने एक तीव्र आंदोलन शुरू नहीं किया क्योंकि त्योहारी मौसम चल रहा है। हालांकि, अगर हमारी पार्टी के लोगों पर इस तरह के हमले जारी रहे और कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हम फिर से सड़कों पर उतरेंगे।’’ इस तरह के आंदोलन सल्किया, हावड़ा के बेलूर, दक्षिण दिनाजपुर के बेलुरघाट, बीरभूम के सूरी और राज्य के अन्य हिस्सों में भी देखे गए।It's nothing new, I have been attacked many times earlier. As BJP is gaining popularity in the state so these attacks are being carried out by TMC as they are frustrated. We need change in Bengal to stop political violence: BJP West Bengal Chief Dilip Ghosh https://t.co/X9h6UdmY9A pic.twitter.com/Xwm5v3ftXe
— ANI (@ANI) November 12, 2020
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घोष के काफिले पर हमले की निंदा करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय ने कहा कि राज्य के लोग तृणमूल कांग्रेस के ‘अत्याचार’ का ‘करारा जवाब’ देंगे। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मैं उपद्रवियों द्वारा अलीपुरद्वार में पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष पर हमले की कड़ी निंदा करता हूं। राज्य के लोग अराजक राज्य सरकार को करारा जवाब देंगे। तृणमूल कांग्रेस के इस अत्याचारी शासन को खत्म करने के लिए पश्चिम बंगाल भाजपा अंत तक संघर्ष करेगी।’’ पश्चिम बंगाल के नगरपालिका मामलों और शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने आरोपों को खारिज करते हुए संवाददाताओं से कहा कि ‘‘तृणमूल कांग्रेस इस तरह के हमले करने में विश्वास नहीं करती है। हम लोकतांत्रिक आंदोलनों में विश्वास करते हैं।’’ बिमल गुरुंग के नेतृत्व वाले जीजेएम ने हाल ही में तृणमूल कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया है जबकि गोरखा संगठन का बिनय तमांग गुट हमेशा से सत्ताधारी पार्टी का सहयोगी रहा है।
दो महीने से चल रहा किसान आंदोलन दिल्ली हिंसा के बाद पड़ा कमजोर, किसानों ने खोया समर्थन !
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 28, 2021 08:37
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रेवाड़ी के पुलिस अधीक्षक अभिषेक जोरवाल ने फोन पर बताया, प्रदर्शनकारियों ने मसानी कट विरोध स्थल को खाली कर दिया है और उनमें से कुछ टीकरी चले गए हैं, जबकि कुछ जय सिंहपुरा खेड़ा गांव (हरियाणा-राजस्थान सीमा पर राजस्थान में) गए हैं।
चंडीगढ़। ट्रैक्टर रैली के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के बाद हरियाणा में विरोध कर रहे किसान बुधवार को अपना समर्थन खोते दिखे। हरियाणा के रेवाड़ी जिले में कम से कम 15 गांवों की एक पंचायत ने बुधवार को तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर डेरा डाले किसानों से 24 घंटे के भीतर सड़क खाली करने को कहा। पुलिस ने बताया कि तीन जनवरी से जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर रेवाड़ी में मसानी बैराज कट के पास धरना दे रहे किसानों ने बुधवार शाम तक वह स्थान खाली कर दिया।
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रेवाड़ी के पुलिस अधीक्षक अभिषेक जोरवाल ने फोन पर बताया, प्रदर्शनकारियों ने मसानी कट विरोध स्थल को खाली कर दिया है और उनमें से कुछ टीकरी चले गए हैं, जबकि कुछ जय सिंहपुरा खेड़ा गांव (हरियाणा-राजस्थान सीमा पर राजस्थान में) गए हैं। कई अन्य लोग घर लौट गए हैं।” उन्होंने कहा कि पिछले कई हफ्तों से राज्य में राजमार्गों पर कई टोल प्लाजा के पास घेराबंदी कर रहे किसानों ने शाम तक विरोध स्थलों को खाली कर दिया।
मध्य प्रदेश में कोरोना के 185 नये मामले, 06 लोगों की मौत
- दिनेश शुक्ल
- जनवरी 28, 2021 08:35
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स्वास्थ्य विभाग द्वारा बुधवार देर शाम जारी कोरोना से संबंधित हेल्थ बुलेटिन में दी गई। नये मामलों में इंदौर-21, भोपाल-60, जबलपुर-16 के अलावा अन्य जिलों में 10 से कम मरीज मिले हैं। इनमें 22 जिले ऐसे हैं, जहां आज नये प्रकरण शून्य रहे।
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लाल किला हिंसा मामले में अभिनेता दीप सिद्धू और लक्खा सिधाना के खिलाफ मामला दर्ज
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 28, 2021 08:29
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अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सार्वजनिक संपत्ति को क्षति से रोकथाम अधिनियम और अन्य कानूनों की प्रासंगिक धाराओं के तहत उत्तरी जिले के कोतवाली थाने में मामला दर्ज किया है।
नयी दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने लाल किले पर हुई हिंसा के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी में अभिनेता दीप सिद्धू और ‘गैंगस्टर’ से सामाजिक कार्यकर्ता बने लक्खा सिधाना के नाम लिए हैं। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सार्वजनिक संपत्ति को क्षति से रोकथाम अधिनियम और अन्य कानूनों की प्रासंगिक धाराओं के तहत उत्तरी जिले के कोतवाली थाने में मामला दर्ज किया है।
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प्राथमिकी में प्राचीन स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों और अवशेष अधिनियम तथा शस्त्र अधिनियम के प्रावधानों को भी जोड़ा गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की ओर से जारी आदेश के मुताबिक लाल किला 27 जनवरी से 31 जनवरी तक आगंतुकों के लिए बंद रहेगा।

