Mainpuri Bypoll: मैनपुरी में बसपा वोटर्स हो सकते हैं निर्णायक, इन्हें साधने की कोशिश में जुटी सपा और भाजपा

Mayawati
ANI
अंकित सिंह । Dec 1 2022 12:34PM

मैनपुरी में समाजवादी पार्टी और भाजपा दोनों की नजर मायावती की वोट बैंक पर है। मैनपुरी में मायावती की पार्टी का कोई उम्मीदवार नहीं है। ऐसे में दोनों ओर से उनके वोटर्स को साधने की कोशिश लगातार जारी है। मैनपुरी में 1.25 लाख से ज्यादा वोट जाटव समुदाय से है।

समाजवादी पार्टी के गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी में इस वक्त उपचुनाव हो रहे हैं। दरअसल, समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से यह सीट खाली हुई थी। यही कारण है कि इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। समाजवादी पार्टी की ओर से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया गया है। वही भाजपा ने कभी समाजवादी पार्टी के हिस्सा रहे रघुराज शाक्य को अपना उम्मीदवार बनाया है। दोनों ओर से पूरी ताकत झोंकी जा रही है। अखिलेश यादव मैनपुरी में डेरा डाले हुए हैं और घर-घर, मोहल्ला-मोहल्ला जाकर प्रचार कर रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा के नेता भी मैनपुरी में जमकर प्रचार कर रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी चुनाव प्रचार किया था। यही कारण है कि मैनपुरी में काफी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। 

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हालांकि, मैनपुरी में समाजवादी पार्टी और भाजपा दोनों की नजर मायावती की वोट बैंक पर है। मैनपुरी में मायावती की पार्टी का कोई उम्मीदवार नहीं है। ऐसे में दोनों ओर से उनके वोटर्स को साधने की कोशिश लगातार जारी है। मैनपुरी में 1.25 लाख से ज्यादा वोट जाटव समुदाय से है। यह मायावती का वोट बैंक माना जाता है। इसके अलावा कठेरिया समुदाय का भी 70 हजार के आसपास वोट है। यही कारण है कि कहीं ना कहीं मैनपुरी चुनाव में मायावती एक अहम फैक्टर साबित हो रही हैं। मायावती की पार्टी मैनपुरी में उप चुनाव नहीं लड़ रही है। ऐसे में बसपा समर्थकों के पास सपा या भाजपा में से किसी उम्मीदवार के पक्ष में वोट डालने की स्वतंत्रता है। ऐसे में दोनों पार्टियों की ओर से उन्हें साधने की भी कोशिश की जा रही है। 

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यही कारण है कि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बसपा का वोट बैंक मैनपुरी में निर्णायक साबित हो सकता है। पिछले चुनाव में भी इस तरह के परिणाम देखने को मिले हैं। कुल मिलाकर देखें तो मैनपुरी में चुनावी दंगल जबरदस्त तरीके से जारी है। भाजपा का दावा है कि इस बार मैनपुरी में भी कमल खिलेगा। वहीं, समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव की विरासत को अपने पास रखने के लिए जबरदस्त तरीके से मेहनत कर रही है। समाजवादी परिवार में एकता भी दिखाई दे रही है। अखिलेश यादव और शिवपाल यादव एक साथ हैं। वहीं, भाजपा जबरदस्त तरीके से दोनों नेताओं पर हमला कर रही है। 

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