12 साल से कम उम्र के बच्चे हवसी लोगों का बन रहे आसान शिकार: अदालत

मुंबई। उपनगरीय क्षेत्र कांदिवली में 2014 में छह साल की एक बच्ची से दुष्कर्म और उसके साथ क्रूरता के मामले में एक व्यक्ति को दोषी करार देते हुए एक विशेष अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई। इस दौरान अदालत ने कहा कि हमलावरों के लिए अपनी हवस को पूरा करने के लिए 12 साल से कम उम्र के बच्चे आसान निशाना बन गये हैं। पोक्सो अधिनियम अदालत के न्यायमूर्ति एचसी शिंदे ने अली मोहम्मद शेख को भारतीय दंड संहिता और पोक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दोषी करार दिया और उसे सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
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अभियोजन पक्ष के अनुसार शेख ने बच्ची को 20 अगस्त 2014 को फुटपाथ से उस समय उठाया था जब वह अपनी मां के साथ सो रही थी। अदालत को बताया गया कि शेख ने बच्ची का यौन उत्पीड़न किया और उसके निजी अंग में झाड़ू डाल दी। बच्ची अगले दिन पास के स्थान पर रोते हुए मिली थी। इसके बाद जांच के दौरान शेख की पहचान करके उसे गिरफ्तार किया गया था।
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अपने आदेश में अदालत ने कहा कि इन दिनों 12 साल से कम उम्र के बच्चे हमलावरों के लिए अपनी हवस पूरा करने का आसान निशाना बने हुये हैं। मासूम बच्चे जो वास्तव में सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं जानते वो ऐसे हमलावरों का शिकार बन रहे हैं। न्यायाधीश ने यह भी उल्लेख किया कि ऐसे लोगों द्वारा हमेशा फुटपाथ से छोटे बच्चे उठाये जाते हैं। ज्यादतर बार ऐसे मामलों की जानकारी भी दर्ज नहीं हो पाती।
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