उत्तराखंड मुद्दे पर संसद में कांग्रेस का भारी हंगामा

लोकसभा में कांग्रेस सांसद धरने पर बैठ गये जबकि राज्यसभा में पार्टी सदस्यों ने उत्तराखंड मुद्दे पर चर्चा की अनुमति नहीं मिलने पर जमकर हंगामा किया।

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने का मुद्दा आज लोकसभा में उठा और इस पर गहरी आपत्ति व्यक्त करते हुए कांग्रेस सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे और इस विषय पर बात रखने की अनुमति तत्काल नहीं दिये जाने के विरोध में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे सदन में धरने पर बैठ गये। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा, 'प्रश्नकाल स्थगित नहीं करने का नियम सदन के सदस्यों ने ही बनाया है। इसलिए इस कार्यस्थगन की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस विषय को खडगे जी शून्यकाल के दौरान उठायें।’’

सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा, 'लोकतंत्र की हत्या हुई है और हम इस विषय पर अपनी बात रखना चाहते हैं। यह महत्वपूर्ण मुद्दा है और अध्यक्ष के पास कार्यस्थगन का अधिकार है।’’ अध्यक्ष की ओर से शून्यकाल में बात रखने और प्रश्नकाल चलाने का संकेत देने के बाद कांग्रेस, जदयू और आप सदस्य आसन के समीप आकर सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे। आप सदस्य भगवंत मान को देश के कई हिस्सों में सूखे और किसानों की आत्महत्या के विषय पर कुछ बोलते सुना गया। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। इस विषय पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति शासन के निर्णय पर रोक लगा दिया था। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने इस बारे में उच्च न्यायालय के फैसले पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है।

राज्यसभा में पार्टी सदस्यों ने उत्तराखंड मुद्दे पर चर्चा की अनुमति नहीं मिलने पर जमकर हंगामा किया। हंगामे के कारण सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। सरकार का कहना है कि जो विषय न्यायालय के विचाराधीन हो उस पर चर्चा नहीं कराई जा सकती जिसके बाद कांग्रेस सांसदों ने नियमों का हवाला देते हुए सरकार पर चर्चा से बचने का आरोप लगाया।

12 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर हंगामा जारी रहा जिसके बाद कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। तीन बार के स्थगन के बाद तीन बजकर करीब 10 मिनट पर बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी। सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने शून्यकाल में उत्तराखंड मुद्दा उठाते हुए सरकार पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर विपक्ष को उकसाती है और व्यवधान की स्थिति लाती है ताकि सदन नहीं चले। उन्होंने कहा कि पिछले करीब एक साल से लगातार देखा गया है कि सत्ताधारी दल ऐसे प्रयास करता है कि सदन में कामकाज नहीं हो पाए।

आजाद ने आरोप लगाया कि सरकार सत्र के दौरान या सत्र से पहले ऐसा कुछ कर देती है कि संसद नहीं चल पाती। पिछले सत्र के दौरान अरुणाचल प्रदेश की सरकार को अपदस्थ करते हुए पहले वहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया और जब तक वहां भाजपा की सरकार नहीं बन गई, केंद्र ने चैन की सांस नहीं ली। अब उत्तराखंड में यही किया जा रहा है। उन्होंने उत्तराखंड का संदर्भ देते हुए कहा कि विभिन्न राज्यों में कई बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है लेकिन इतनी क्रूरतापूर्वक’’ नहीं लगाया गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए कायदे कानून होते हैं लेकिन केंद्र सरकार ने किसी की परवाह नहीं की।

विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि उत्तराखंड के मुद्दे पर चर्चा नहीं की जा सकती क्योंकि यह उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। इस पर आजाद ने कहा कि ऐसी सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता जो अदालतों का सम्मान नहीं करती।

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