भारत की संस्कारों में सहकारिता, इसी से होगा गरीबों-पिछड़ों का विकास: अमित शाह

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अंकित सिंह । Sep 25 2021 12:54PM

अपने संबोधन में सहकारिता मंत्री ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष के बाद और ऐसे समय पर जब सहकारिता आंदोलन को सबसे ज्यादा जरूरत थी तब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय बनाया, मैं आप सभी की ओर से उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं।

गृह मंत्री अमित शाह ने आज सहकारिता सम्मेलन को संबोधित किया। अपने संबोधन में गृह मंत्री ने कहा कि देश के विकास के अंदर सहकारिता बहुत महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। उन्होंने माना कि देश के विकास के अंदर सहकारिता का योगदान आज भी है। हमें नए सिरे से सोचना पड़ेगा, नए सिरे से रेखांकित करना पड़ेगा, काम का दायरा बढ़ाना पड़ेगा, पारदर्शिता लानी पड़ेगी। शाह ने कहा कि सहकारिता आंदोलन सबसे ज्यादा प्रासंगिक है, तो आज ही के दिनों में है। हर गांव को कॉ-ऑपरेटिव के साथ जोड़कर, सहकार से समृद्धि के मंत्र साथ हर गांव को समृद्ध बनाना और उसके बाद देश को समृद्ध बनाना, यही सहकार की भूमिका होती है।

अपने संबोधन में सहकारिता मंत्री ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष के बाद और ऐसे समय पर जब सहकारिता आंदोलन को सबसे ज्यादा जरूरत थी तब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय बनाया, मैं आप सभी की ओर से उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि गरीब कल्याण और अंत्योदय, इसकी कल्पना सहकारिता के अलावा हो ही नहीं सकती है। देश में सबसे पहले विकास की जब बात होती थी तब सबसे पहले अंत्योदय की बात जिन्होंने की वो पंडित दीनदयाल जी थे। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने एक मंत्र दिया है- सहकार से समृद्धि तक। मैं आज मोदी जी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सहकारिता क्षेत्र भी आपके 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी को पूरा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देगी। 

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राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं सहकारिता मंत्री के नाते देशभर के सहकारिता नेताओं और कार्यकर्ताओं को कहना चाहता हूं कि लापरवाही का समय समाप्त हुआ है, प्राथमिकता का समय शुरू हुआ है। आइए सब साथ में रहकर सहकारिता को आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन भारत के ग्रामीण समाज की प्रगति भी करेगा और नई सामाजिक पूंजी का कंसेप्ट भी तैयार करेगा। भारत की जनता के स्वभाव में सहकारिता घुली-मिली है। इसलिए भारत में सहकारिता आंदोलन कभी अप्रासंगिक नहीं हो सकता। 

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