पीएम मोदी ने दिया कोरोना से लड़ाई का मंत्र, दो गज दूरी, बहुत है जरूरी

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प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को एक मंत्र भी दिया- ‘दो गज दूरी, बहुत है जरूरी।’ मोदी ने कहा, ‘‘इन गतिविधियों ने जनभावनाओं को जज्बे में तब्दील कर दिया।’’ उन्होंने कहा कि हर गांव और शहर में लोगों ने कोरोना के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है।

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ भारत में जारी जंग को पूरी तरह से जनता द्वारा, जनता के नेतृत्व में लड़ी जा रही लड़ाई बताते हुयेदेशवासियों को आगाह भी किया कि कुछ इलाकों को संक्रमण मुक्त बनाने में मिली सफलता के बाद अति आत्मविश्वास में न आयें, क्योंकि जरा सी भी लापरवाही बेहद घातक साबित हो सकती है। मोदी ने रविवार को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम भाग्यशाली हैं कि, आज, पूरा देश, देश का हर नागरिक, जन-जन, इस लड़ाई का सिपाही है, लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है। आप कहीं भी नज़र डालिये, आपको एहसास हो जायेगा कि भारत की लड़ाई जनता द्वारा लड़ी जा रही (पीपुल ड्रिवेन) है।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में समाज के सभी वर्गों के योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक दूसरे की मदद के लिये हर जगह लोग आगे आ रहे हैं। उन्होंने इस अभियान में कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने में मिली शुरुआती कामयाबी का जिक्र करते हुये देशवासियों को अति आत्मविश्वास में आने से बचने के प्रति आगाह भी किया। उन्होंने पूरी सतर्कता बरतने की जरूरत पर बल देते हुये कहा, ‘‘हमारे यहां कहा भी गया है कि सावधानी हटी और दुर्घटना घटी।’’ 

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मोदी ने अक्षय तृतीया पर्व और रमजान के पवित्र माह की शुरुआत का उल्लेख करते हुये संकट के दौर में सभी वर्गों के लोगों द्वारा अपने पर्व घरों में ही मनाने का आह्वान किया। उन्होंने इससे पहले ईसाइयों के पर्व ईस्टर सहित अन्य त्योहार घरों में ही मनाने के लिये सभी धर्मों के मतावलंबियों की प्रशंसा करते हुये देशवासियों से रमजान के पवित्र माह में दुनिया को इस महामारी से मुक्ति दिलाने की दुआयें करने का आह्वान किया। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान इस संक्रमण के खिलाफ जनभावनाओं को समेकित करने के लिये ताली, थाली बजाने और दीया मोमबत्ती जलाने के अभियान को मददगार बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को एक मंत्र भी दिया- ‘दो गज दूरी, बहुत है जरूरी।’ मोदी ने कहा, ‘‘इन गतिविधियों ने जनभावनाओं को जज्बे में तब्दील कर दिया।’’ उन्होंने कहा कि हर गांव और शहर में लोगों ने कोरोना के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है। मोदी ने कहा, ‘‘महामारी के बीच किसान खेतों में मेहनत कर रहे हैं, शहरों में कोई किराया माफ कर रहा है, कोई अपनी पुरस्कार राशि पीएम केयर फंड में दान कर रहा है, कहीं मजदूर जिस स्कूल में क्वारंटाइन में हैं, उस स्कूल की रंगाई-पुताई कर रहे हैं।’’

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मोदी ने कहा कि यह सेवाभाव ही कोरोना के खिलाफ भारत को ताकत दे रहा है और इस लड़ाई को जनता के नेतृत्व वाली लड़ाई में तब्दील कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की जन भावनाओं को वह आदरपूर्वक नमन करते हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में लॉकडाउन के कारण बीच रास्ते में फंसे प्रवासी मजदूरों ने पृथक-वास के दौरान राजस्थान के सीकर जिले के पलासाना कस्बे के दो सरकारी स्कूलों का रंगरोगन कर उनकी सूरत बदल दी थी। मोदी ने स्कूल व जगह का नाम लिए बिना कहा ,‘‘कोई मास्क बना रहा है, कहीं हमारे मजदूर भाई-बहन पृथक-वास में रहते हुए, जिस स्कूल में रह रहे हैं, उसकी रंगाई-पुताई कर रहे हैं।’’ कोरोना संकट के बाद की स्थिति का उल्लेख करते हुये मोदी कहा, ‘‘जब पूरा विश्व इस महामारी के संकट से जूझ रहा है। भविष्य में जब इसकी चर्चा होगी, उसके तौर-तरीकों की चर्चा होगी, मुझे विश्वास है कि भारत की यह ‘पीपुल ड्रिवेन’ लड़ाई, इसकी ज़रुर चर्चा होगी।’’

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इस दौरान मोदी ने इस लड़ाई में कोविड वॉरियर बनने के लिये सरकार द्वारा शुरु किये गए नये प्लेटफार्म का जिक्र करते हुये कहा कि ‘‘कोविड वॉरियर डॉट जीओवी डॉट इन’’ नामक इस पोर्टल पर अब तक लगभग 1.25 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस अभियान में जरूरतमंद लोगों की मदद के लिये डॉक्टर, नर्स, राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस), आशा कर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता तथा अनगिनत वॉलेंटियर सेवा भाव के साथ आगे आ रहे हैं। उन्होंने देशवासियों से ‘कोविड वॉरियर’ बनने की अपील करते हुये इस पोर्टल से जुड़ने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये हाल ही में जारी अध्यादेश को जरूरी कदम बताते हुये कहा, ‘‘देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों ने, अभी हाल ही में जो अध्यादेश लाया गया है, उस पर अपना संतोष व्यक्त किया है। इस अध्यादेश में, कोरोना योद्धाओं के साथ हिंसा, उत्पीड़न और उन्हें किसी रूप में चोट पहुचाने वालों के खिलाफ़ बेहद सख्त़ सज़ा का प्रावधान किया गया है।’’

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उन्होंने कहा कि डॉक्टर, नर्स और सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मी सहित ऐसे सभी लोग, जो देश को ‘कोरोना-मुक्त’ बनाने में दिन-रात जुटे हुए हैं, उनकी रक्षा करने के लिए ये कदम बहुत ज़रुरी था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बीमारी ने विभिन्न क्षेत्रों में समाज की सोच को भी बदला है। उन्होंने कहा कि भले ही कारोबार हो, कार्यालय की संस्कृति हो, शिक्षा हो या चिकित्सा क्षेत्र हो, हर कोई कोरोना वायरस महामारी के बाद की दुनिया में बदलावों के अनुरूप खुद को ढाल रहा है। मोदी ने कहा, ‘‘हर लड़ाई कुछ सबक देती है और नयी मंजिल की दिशा भी प्रदान करती है। इसी का नतीजा है कि भारत नयी संकल्प शक्ति के साथ नये तकनीकी बदलावों की ओर ‘टीम भावना’ से आगे बढ़ रहा है। इसमें हर इनोवेटर कुछ नया बना रहा है।’’ इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के खिलाफ राज्य सरकारों के योगदान की भी सराहना की और कहा कि उन्होंने इस अभियान में बेहद सक्रिय भूमिका निभाई है। 

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उन्होंने केन्द्र, राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन के बीच बेहतर तालमेल की सराहना करते हुये कहा कि डाक विभाग से लेकर उड्ययन और रेल मंत्रालय सहित अन्य संबद्ध महकमे राहत एवं चिकित्सा सामग्री को देश के कोने-कोने में जरुरतमंद लोगों तक पहुंचा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने संकट की इस घड़ी में कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिये जरूरतमंद देशों को दवाइयों की आपूर्ति करने के फैसले को मुसीबत में दूसरों का भी साथ देने की भारत की संस्कृति और मूल चरित्र पर आधारित बताया। मोदी ने कहा, ‘‘भारत ने अपने संस्कारों और सोच के अनुरूप, हमारी संस्कृति का निर्वहन करते हुए कुछ फ़ैसले लिए हैं। संकट की इस घड़ी में, दुनिया के लिए भी, समृद्ध देशों के लिए भी, दवाइयों का संकट बहुत ज्यादा रहा है। यह ऐसा समय है कि अगर भारत दुनिया को दवाइयां न भी देता, तो कोई भारत को दोषी नहीं मानता। हर देश समझ रहा है कि भारत के लिए भी उसकी प्राथमिकता अपने नागरिकों का जीवन बचाना है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने भारत की आवश्यकताओं के लिए जो करना था, उसका प्रयास तो बढ़ाया ही, लेकिन, दुनिया-भर से आ रही मानवता की रक्षा की पुकार पर भी, पूरा-पूरा ध्यान दिया। हमने विश्व के हर जरूरतमंद तक दवाइयों को पहुँचाने का बीड़ा उठाया और मानवता के इस काम को करके दिखाया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज जब मेरी अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों से फ़ोन पर बात होती है तो वो भारत की जनता का आभार जरुर व्यक्त करते हैं। जब वे लोग कहते हैं, ‘‘थैंक्यू इंडिया, थैंक्यू पीपुल ऑफ इंडिया’’ तो देश के लिए गर्व और बढ़ जाता है।’’

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उन्होंने कोरोना संकट के दौरान भारत के आयुर्वेद को दुनिया भर में स्वीकार किये जाने का जिक्र करते हुये देश के युवाओं से आयुर्वेद के सिद्धांतों की वैज्ञानिक व्याख्या कर विश्व को इससे अवगत कराने का आह्वान किया। मोदी ने कहा, ‘‘इस समय दुनिया-भर में भारत के आयुर्वेद और योग के महत्व को भी लोग बड़े विशिष्ट-भाव से देख रहे हैं। हर तरफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए, किस तरह से, भारत के आयुर्वेद और योग की चर्चा हो रही है।’’ प्रधानमंत्री ने अपने ही देश में पारंपरिक ज्ञान को नकारने पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने इस सोच के लिये सैकड़ों वर्षों की गुलामी को मुख्य वजह बताते हुये कहा, ‘‘हम अपने देश के पारम्परिक सिद्दांतों को, शोध परक साक्ष्यों के आधार पर, आगे बढ़ाने के बजाय उसे छोड़ देते हैं, उसे हीन समझने लगते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत की युवा-पीढ़ी को, अब इस चुनौती को स्वीकार करना होगा। जैसे, विश्व ने योग को सहर्ष स्वीकार किया है, वैसे ही, हजारों वर्ष पुराने, हमारे आयुर्वेद के सिद्दांतों को भी विश्व अवश्य स्वीकार करेगा। इसके लिए युवा-पीढ़ी को संकल्प लेना होगा और दुनिया जिस में समझती है, उस वैज्ञानिक में हमें समझाना होगा।’’ प्रधानमंत्री ने देशवासियों से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये आयुष मंत्रालय द्वारा जारी प्रोटोकॉल का प्रयोग करने की अपील की। इस दौरान मोदी ने कोविड-19 के संक्रमण के खतरे के मद्देनजर देशवासियों से सार्वजनिक स्थलों पर थूकने की आदत को हमेशा के लिये खत्म करने का भी आह्वान किया। मोदी ने कहा, ‘‘हमारे समाज में एक और बड़ी जागरूकता ये आयी है कि अब सभी लोग ये समझ रहे हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने के क्या नुकसान हो सकते हैं। यहाँ-वहाँ, कहीं पर भी थूक देना, गलत आदतों का हिस्सा बना हुआ था। ये स्वच्छता और स्वास्थ्य को गंभीर चुनौती भी देता था।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘वैसे तो हमेशा से ही हम इस समस्या को जानते रहे हैं, लेकिन, ये समस्या, समाज से समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही थी। अब वो समय आ गया है कि इस बुरी आदत को, हमेशा हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया जाए।’’ प्रधानमंत्री ने कोरोना संकट के कारण समाज और लोगों की सोच में कई तरह के सकारात्मक बदलाव आने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा ‘‘कोरोना के कारण कई सकारात्मक बदलाव, हमारे काम करने के तरीके, हमारी जीवन-शैली और हमारी आदतों में भी स्वाभाविक रूप से अपनी जगह बना रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस संकट ने हमारी समझ और हमारी चेतना को जागृत किया है। जो असर, हमें अपने आस-पास देखने को मिल रहे हैं, इनमें सबसे पहला है मास्क पहनना और अपने चेहरे को ढंककर रखना।’’ उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से बदले हालत में, मास्क जीवन का हिस्सा बन रहा है और अब यह सभ्य-समाज का प्रतीक बन जायेगा। उन्होंने कहा कि अगर, बीमारी से खुद को और दूसरों को भी बचाना है, तो, मास्क लगाना पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने समाज की सोच में आये बदलाव का उल्लेख करते हुये कहा कि कोरोना संकट ने पुलिसकर्मियों से लेकर सामान्य मजदूरों तक विभिन्न वर्गों और कार्यों के प्रति समाज में लोगों के सामान्य नजरिये को बदलने का भी अवसर प्रदान किया है।

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मोदी ने कहा कि ऑटो चालक हों, दुकानों में काम करने वाले कामगार हों, मंडी के मजदूर हों या सफाई कर्मी, इन तमाम लोगों की अहमियत को हम सब संकट की इस घड़ी में महसूस कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब लोग इन सभी लोगों के बारे में सोशल मीडिया सहित अन्य मंचों पर इनके प्रति सम्मान प्रकट करते हुये लिख कर अपने भाव व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने देखा है कि शहरों में लोग सफाई कर्मियों पर पुष्प वर्षा कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि पहले इनकी सेवाओं को सामान्य मानकर इस प्रकार से भाव प्रकट नहीं किये जाते थे लेकिन संकट काल में इनकी सेवाओं से अभिभूत होकर ही समाज के नजरिये में बदलाव आया है। मोदी ने देश भर में पुलिस कर्मियों के प्रति भी इस दौरान लोगों की सोच में सकारात्मक बदलाव आने का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस व्यवस्था को लेकर भी आम सोच बदली है। पहले पुलिस के प्रति लोगों की सामान्य तौर पर नकारात्मक सोच थी।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज पुलिस हर किसी की मदद के लिये आगे आ रही है। इससे पुलिस का मानवीय और संवेदनशील पक्ष उभरा है। इस कारण से हमें पुलिस के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने का मौका मिला है।’’ उन्होंने कहा कि ये घटनायें आने वाले समय में समाज में सकारात्मक बदलाव लायेंगी। प्रधानमंत्री ने आगाह भी किया कि ‘‘इन घटनाओं को हमें नकारात्मकता के रंग से नहीं रंगना है।’’ उन्होंने उम्मीद जतायी कि अगली ‘मन की बात’ जब हम करेंगे तब कोरोना संकट से मुक्ति मिलने की चर्चा हो सकेगी। गौरतलब है कि देश में कोविड-19 के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर रविवार को 824 हो गई, वहीं संक्रमण के कुल मामले 26,496 हो गए हैं। कार्यक्रम के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से अति आत्मविश्वास में आने से बचने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘इस महामारी के बीच आपके परिवार के सदस्य के नाते मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूं। हम इस अति आत्मविश्वास में न पड़ जायें कि हमारे घर, गली, मुहल्ले या दफ्तर में कोरोना नहीं पहुंचा है तो आगे भी यह नहीं पहुंचेगा। उन्होंने आगाह किया कि ‘‘हल्के में लेकर छोड़ दी गयी आग, कर्ज और बीमारी, मौका पाकर खतरनाक हो जाते हैं। इसलिये इनका पूरा इलाज जरूरी है।’’ उन्होंने ‘दो गज दूरी’ बनाये रखने का आह्वान दोहराते हुये कहा, ‘‘अति उत्साह में कोई लापरवाही न हो। दो गज दूरी, बहुत है जरूरी। ऐसी कोई भूल बिल्कुल न करें, जिससे बीमारी को लौटने का मौका मिले। हमारे यहां कहा भी गया है कि ‘सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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