कोरोना वायरस: ड्यूटी के दौरान दुर्व्यवहार और हमलों का सामना कर रहीं आशा कार्यकर्ता

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आशा कार्यकर्ता ऊषा ठाकुर ने बताया कि कुछ इलाकों में लोगों ने सही जानकारी नहीं दी। वे हिरासत में लिये जाने के डर से अपने फोन नंबर देने से भी बच रहे हैं। ठाकुर ने ऐसी ही एक घटना को याद करते हुए बताया कि एक बार एक महिला ने आशा कार्यकर्ताओं के साथ गाली-गलौच भी की।

नागपुर। महाराष्ट्र के नागपुर में कोरोना वायरस प्रसार नियंत्रण क्षेत्र में काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों ने अपने साथ दुर्व्यवहार और हमलों की शिकायत की है। उनका आरोप है कि इस दौरान कुछ लोगों ने उनपर थूका, पथराव किया और गाली-गलौच भी की। हालांकि इस सबका सामना करने के बावजूद मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा कर्मी) अपना काम कर रही हैं। आशा कार्यकर्ता कोरोना वायरस को लेकर जागरुकता फैलाने के अलावा टीबी और कैंसर के मामलों का पता लगाने के लिये घर घर जा रही हैं। आशा कार्यकर्ता ऊषा ठाकुर ने बताया कि कुछ इलाकों में लोगों ने सही जानकारी नहीं दी। वे हिरासत में लिये जाने के डर से अपने फोन नंबर देने से भी बच रहे हैं। 

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ठाकुर ने ऐसी ही एक घटना को याद करते हुए बताया कि एक बार एक महिला ने आशा कार्यकर्ताओं के साथ गाली-गलौच भी की। उन्होंने कहा कि एक बार तो, कुछ स्थानीय निवासियों ने हमारे मोबाइल फोन छीनने की भी कोशिश की। कई बार हम पर पत्थर फेंके गए। कई बार थूका भी गया। ठाकुर से जब पूछा गया कि क्या ऐसे अनुभवों से उनका हौसला नहीं टूटता, तो उन्होंने कहा, हम राष्ट्र और समाजसेवा के लिये अपना काम कर रहे हैं। एक और आशा कार्यकर्ता ने कहा कि उन्हें भी काम करते समय प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। 

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उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सभी लोग ऐसा ही बर्ताव करते हैं। कई लोगों ने हमारे साथ सहयोग भी किया है। अधिकतर आशा कार्यकर्ता नागपुर नगर निगम से जुड़ी हैं। ऐसे में जब निगम आयुक्त तुकाराम मुंडे से संपर्क किया गया तो उन्होंने स्वीकार किया किया कि निगम के कर्मचारियों ने ऐसे भयानक अनुभवों का सामना किया है। उन्होंने कर्मचारियों के साथ सहयोग नहीं करने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी। नागपुर में 21 अप्रैल तक कोविड-19 संक्रमण के 90 मामले सामने आ चुके हैं।

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डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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