दिल्ली वालों का घुट रहा दम, प्रदूषण स्तर बढ़ने की वजह से सभी स्कूल शुक्रवार तक बंद

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[email protected] । Nov 14 2019 8:13AM

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आशंका जतायी है कि अगले दो दिन तक हवा की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं होगा।

नयी दिल्ली। दिल्ली और एनसीआर के नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद पर एक बार फिर से स्मॉग अपना कहर बरपा रहा है और वायु गुणवत्ता के ‘‘एमरजेंसी’ ’स्तर पर पहुंच जाने के बाद इन सभी इलाकों में प्रशासन ने स्कूलों को 15 नवंबर तक बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं। दो सप्ताह में यह दूसरी बार है, जब स्कूलों को भीषण प्रदूषण के कारण बंद करना पड़ा है।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आशंका जतायी है कि अगले दो दिन तक हवा की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं होगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए लागू की गयी वाहनों की सम विषम योजना की अवधि जरूरत पड़ने पर 15 नवंबर के बाद भी बढ़ाई जा सकती है। उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित प्रदूषण रोधी समिति ईपीसीए ने बुधवार को दिल्ली में प्रदूषण के 'आपातकालीन' स्तर के करीब पहुंचता देख अगले दो दिन तक स्कूल बंद रखने का आदेश जारी किया।

इसके बाद उत्तर प्रदेश के जिला प्रशासनों ने स्कूलों को बंद रखने के संबंध में अलग से आदेश जारी किए गए। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने ट्वीट किया, ‘‘उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के कारण पैदा प्रदूषण से हवा की गुणवत्ता खराब होने के मद्देनजर, दिल्ली सरकार ने कल और परसों स्कूलों को बंद रखने का फैसला किया है।’’ ईपीसीए समिति ने लोगों को जहां तक संभव हो, बाहर जाने से बचने और घर में रहकर काम करने की सलाह दी। पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने दिल्ली-एनसीआर में 'हॉट-मिक्स प्लांट्स' और 'स्टोन-क्रशर' पर लगे प्रतिबंध को भी 15 नवंबर तक बढ़ा दिया।

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शीर्ष अदालत ने चार नवंबर को अगले आदेश तक क्षेत्र में निर्माण संबंधी गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। वहीं, दिल्ली के स्कूलों में बाहरी गतिविधियों को बुधवार को स्थगित कर दिया गया क्योंकि पिछले 15 दिनों में तीसरी बार मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों ने शहर में प्रदूषण के स्तर को "आपातकालीन" स्तर की ओर धकेल दिया। इस महीने की शुरुआत में, दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण के स्तर के मद्देनजर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के बाद सभी स्कूलों को चार दिनों के लिए बंद कर दिया था।

वायु गुणवत्ता में सुधार के बाद 5 नवंबर को स्कूल फिर से खुले थे। शहर का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक मंगलवार की शाम चार बजे 425 था जो बुधवार को शाम चार बजे 456 दर्ज किया गया। रोहिणी और द्वारका सेक्टर आठ शहर के सबसे अधिक प्रदूषित इलाके रहे जहां एक्यूआई 494, नेहरू नगर 491 और जहांगीरपुरी 488 दर्ज की गयी। इसके साथ ही फरीदाबाद(448), गाजियाबाद (481), ग्रेटर नोएडा (472), गुरूग्राम (445) और नोएडा (479) में भी लोगों का दम घुटता रहा।

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पडोसी हरियाणा के हिसार और भिवानी में सबसे अधिक खराब (470) एक्यूआई दर्ज किया गया। इसके बाद जींद (445), फतेहाबाद(430), सिरसा (415), रोहतक (412) और पानीपत (408) रहा। पंजाब में अमृतसर का एक्यूआई 362, इसके बाद बठिंडा (333), पटियाला (285) और जालंधर (276) रहा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वायु गुणवत्ता निगरानीकर्ता ‘सफर’ ने जानकारी दी है कि मंगलवार को दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की केवल 480 घटनाएं दर्ज की गयीं और दिल्ली के प्रदूषण में पराली की हिस्सेदारी गुरूवार को कम होकर 13 फीसदी तक गिरने की संभावना है।

सफर ने बताया, ‘अफगानिस्तान और पड़ोसी इलाकों के ऊपर चक्रवाती तूफान के कारण नए सिरे से पश्चिमी विक्षोभ बन रहा है। अगले दो दिन में इसका असर उत्तर पश्चिमी भारत पर पड़ेगा और इससे शुक्रवार तक हवा की रफ्तार बढ़ेगी।’ बुधवार की रात में वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब होने की आशंका है लेकिन यह ‘‘गंभीर’’ श्रेणी तक ही सीमित रहेगा। सफर ने कहा है कि हवा की ‘‘बहुत खराब’’ श्रेणी में 16 नवंबर तक ही सुधार होने की संभावना है। गौरतलब है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 0-50 के बीच ‘अच्छा’, 51-100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101-200 के बीच ‘मध्यम’, 201-300 के बीच ‘खराब’, 301-400 के बीच ‘अत्यंत खराब’, 401-500 के बीच ‘गंभीर’ और 500 के पार ‘बेहद गंभीर एवं आपात’ माना जाता है।

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मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, तापमान में कमी और हवाओं की धीमी गति के कारण प्रदूषक तत्व वातावरण में एकत्र हो गए। बादल छाए रहने के कारण यह समस्या और बढ़ गयी। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा कि पिछले एक पखवाड़े के कुछ दिनों में दिल्ली में 40 प्रतिशत तक प्रदूषण पराली जलाने से हुआ लेकिन ‘‘एक दूसरे को दोष देने और कोसने से कोई फायदा नहीं होगा।’’ उन्होंने यह भी भरोसा जताया कि नई प्रौद्योगिकी से पराली जलाये जाने के खतरे को नियंत्रित किया जा सकेगा और प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी।

सम-विषम योजना की अवधि बढ़ाये जाने की खबरों पर जावड़ेकर ने कहा, ‘‘हमने देखा कि सम-विषम योजना के लागू होने के 10 दिनों के भीतर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 600 के साथ-साथ 200 भी पहुंचा। इसलिए मैं इस बात में नहीं जाना चाहता हूं कि सम-विषम योजना का (प्रदूषण) से क्या संबंध है।’’

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