कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने की मांग
राज्यसभा में आज विपक्ष ने कश्मीर की बिगड़ती स्थिति पर प्रधानमंत्री से चुप्पी तोड़ने का अनुरोध किया और वहां कर्फ्यू के कारण पैदा संकट के हल के लिए राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने की मांग की।
राज्यसभा में आज कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने कश्मीर की बिगड़ती स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी चुप्पी तोड़ने का अनुरोध किया और वहां पिछले 30 दिनों से जारी कर्फ्यू के कारण पैदा संकट के हल के लिए राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने की मांग की। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर विचार विमर्श के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने, पैलेट गन के उपयोग पर रोक लगाने की भी मांग की। सदस्यों ने एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कश्मीर भेजे जाने, आम रिहायशी क्षेत्रों से सेना को हटाने की भी मांग की।
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने शून्यकाल में कश्मीर की स्थिति का मुद्दा उठाया और कहा कि वहां लगातार 30 दिनों से कर्फ्यू लगा हुआ है और आजाद भारत में 1947 के बाद शायद यह पहला मौका है जब किसी प्रांत में लगातार इतने दिनों से कर्फ्यू लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि कर्फ्यू की वजह से शिक्षण संस्थान बंद हैं और सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति नहीं के बराबर है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में हम सरकार को जगाना चाहते हैं। आजाद ने नियम 267 के तहत इस विषय पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था जिसे स्वीकार नहीं किया गया। इसके बाद वह शून्यकाल में यह विषय उठा रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री खामोश हैं और दर्शक की तरह तमाशा देख रहे हैं जो अफसोसजनक है। सोशल मीडिया पर की गयी टिप्पणियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि लोग प्रधानमंत्री की बात को सुनने के लिए बेताब हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान का ताज जल रहा है लेकिन उसकी गर्मी दिल्ली तक नहीं पहुंच रही है।
आजाद ने कहा कि सुरक्षाकर्मियों सहित आठ हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। पैलेट गन के कारण 410 लोगों की आंखों की सर्जरी की गयी है। एक हजार से ज्यादा घटनाएं हुयीं और करीब एक हजार युवा जेल में हैं। करीब 60 लोगों की मौत हुयी है। उन्होंने कहा कि सरकार को इसे सामान्य कानून व्यवस्था की समस्या नहीं मानना चाहिए। यह एक राजनीतिक समस्या है। उन्होंने प्रधानमंत्री से सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की और कहा कि इसके बाद एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कश्मीर जाना चाहिए ताकि हम उनकी बात सुन सकें।
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कश्मीर में लगातार 30 दिनों से कर्फ्यू लगे होने का जिक्र करते हुए कहा कि हमने भारत में ऐसा कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा कि सब संस्थान बंद हैं और एक हजार से ज्यादा गोलीबारी की घटनाएं हुयी हैं। उन्होंने कहा कि आठ हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और 60 लोगों की मौत हुयी है। येचुरी ने पैलेट गन के उपयोग पर आपत्ति जताते हुए इसे ‘‘अमानवीय और अपराध’’ बताया। उन्होंने कहा कि यहां तक कि इजराइल भी पैलेट गन का उपयोग नहीं करता। उन्होंने कहा कि हमारी चुप्पी से वहां के लोगों में अलगाव की भावना बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की चुप्पी से यह संदेश जाता है कि सरकार को उनकी फिक्र नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री से बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की। उन्होंने भी सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने और एक प्रतिनिधिमंडल वहां भेजने की मांग की।
भाकपा के डी राजा ने भी राजनीतिक प्रक्रिया की शुरूआत किए जाने पर बल देते हुए कहा कि वहां की स्थिति चिंताजनक है और वहां पैलेट गन का इस्तेमाल बंद होना चाहिए। उन्होंने असैनिक क्षेत्रों में सेना की उपस्थिति कम किए जाने पर भी बल दिया।
सपा के नीरज शेखर ने भी सर्वदलीय बैठक का सुझाव दिया वहीं जदयू के शरद यादव ने कहा कि वहां की स्थिति विकट है लेकिन देश में शांति है। उन्होंने कहा कि वहां की समस्या पर सरकार की चुप्पी तकलीफदेह है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर प्रधानमंत्री को बयान देना चाहिए।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार कश्मीर में शांति के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है और यह चर्चा मंगलवार या बुधवार को करायी जा सकती है। उपसभापति पी जे कुरियन ने सदस्यों से कहा कि सरकार इस विषय पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्य इस पर आज चर्चा चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर संभव हो तो इस पर मंगलवार को चर्चा की जाए।
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