अदालती कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग की मांग वाली याचिका खारिज

बंबई उच्च न्यायालय ने इस आधार पर याचिका खारिज कर दी कि न्यायिक प्रक्रियाओं और मामलों की सुनवाई की जानकारी प्राप्त करना किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है।

मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने देश की सभी अदालतों में कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग की इस आधार पर मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी कि न्यायिक प्रक्रियाओं और मामलों की सुनवाई की जानकारी प्राप्त करना किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर मंजुला चेल्लूर और न्यायमूर्ति एमएस सोनक ने नवनीत खोसला की याचिका खारिज कर दी कि बंबई उच्च न्यायालय पहले भी इस तरह की दो याचिकाएं खारिज कर चुका है।

अदालत ने महसूस किया कि न्यायिक प्रक्रियाओं की वीडियो रिकार्डिंग को एक नागरिक का मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता लेकिन किसी विशेष मामले में या किसी विशेष परिस्थिति में जरूरी होने पर इसकी अनुमति दी जा सकती है। खंडपीठ ने छह अक्तूबर के अपने आदेश में कहा, ‘‘उपरोक्त कारणों से हम इस याचिका को खारिज करते हैं। हालांकि हम इस मामले में किसी प्रकार के खर्च के भुगतान करने का आदेश नहीं दे रहे हैं।’’ पूर्व में उच्च न्यायालय ने आदेशों में एक सूची जारी की है कि किन परिस्थितियों में किसी अदालत में इस तरह की वीडियो रिकार्डिंग पर विचार किया जा सकता है। यह ऐसे समय में हो सकता है जब अदालत एक गवाह से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात करना चाहती है और वह विदेश में होता है और भारत नहीं आ सकता है या ऐसे मामले में जब गवाह को बोलने में दिक्कत हो या अदालत संरक्षण के मामलों में बच्चे से बात करना चाहती हो।

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