द्रमुक विधायकों का निलंबन रद्द करने से फिर किया इंकार

चेन्नई। तमिलनाडु के स्पीकर पी धनपाल ने बुधवार को निलंबित किए गए द्रमुक विधायकों का निलंबन वापस लेने पर विचार करने से आज एक बार फिर इंकार कर दिया। इन विधायकों को सदन में कथित तौर पर हंगामा करने के कारण निलंबित किया गया था। निलंबित विधायक अब भी निलंबन का विरोध कर रहे हैं। विपक्ष के नेता एमके स्टालिन और द्रमुक के उपनेता दुरई मुरूगन के नेतृत्व में द्रमुक के निलंबित विधायकों ने सदन के बाहर एक ‘छद्म विधानसभा’ लगाई।
द्रमुक के के.एन. नेहरू की याचिकाओं के जवाब में स्पीकर ने यह स्पष्ट कर दिया कि द्रमुक के विधायकों को एक सप्ताह तक के लिए निलंबित किए जाने के उनके फैसले पर कोई पुनर्विचार नहीं होगा। के.एन. नेहरू उन विधायकों में शामिल नहीं थे, जिन्हें निलंबित किया गया क्योंकि वह 17 अगस्त को सदन में मौजूद नहीं थे। स्पीकर ने द्रमुक के विधायकों को निलंबित करने के अपने फैसले के बारे में कहा, ‘‘उस दिन मैंने बहुत धैर्य रखा और अंतत: मुझे कार्रवाई करनी पड़ी।’’ द्रमुक को उसके सहयोगियों- कांग्रेस और आईयूएमएल की ओर से भी सहयोग मिल रहा है और वे भी निलंबन के आदेश को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
द्रमुक के जो नौ विधायक बुधवार को सदन में मौजूद नहीं थे, उन्हें निलंबित नहीं किया गया है। इनमें से सात द्रमुक विधायकों ने कांग्रेस और आईयूएमएल के सदस्यों के साथ वॉकआउट किया। धनपाल ने कल द्रमुक के 80 विधायकों के सामूहिक निलंबन को वापस लेने से इंकार कर दिया था। निलंबित सदस्यों ने सदन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था और उनके सहकर्मियों ने इस मुद्दे पर सदन के भीतर दो बार वॉकआउट किया।
इसके बाद संवाददाताओं से बात करते हुए, स्टालिन ने कहा कि निलंबित विधायकों ने एक ‘‘छद्म विधानसभा’’ लगाई। उन्हें पहले से ही कह दिया गया था कि यहां सिर्फ जनता के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए, किसी और विषय पर नहीं। उन्होंने कहा कि ‘स्पीकर’ के तौर पर ‘छद्म विधानसभा’ का नेतृत्व दुरई मुरूगन ने किया। स्टालिन ने विधानसभा की कार्यवाही के सीधे प्रसारण की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि इससे यह पहचान करने में मदद मिलेगी कि ‘‘गलतियां किसने कीं’’।
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