नहीं होगी संयुक्त किसान मोर्चा की आपात बैठक, 4 दिसंबर को होगा किसान आंदोलन पर फैसला

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किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने के बाद सरकार का रुख नरम हो गया है। सरकार ने किसानों की मांगों पर बातचीत करने के लिए मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा से 5 नाम मांगे हैं। इसी के साथ एक बार फिर से सरकार-किसान वार्ता फिर से बहाल होने की उम्मीद शुरू हो चुकी है।

नयी दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस ले लिया है। इसके बावजूद किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इसी बीच बड़ी खबर सामने आ रही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 1 दिसंबर यानी की आज आपातकालीन बैठक बुलाई थी। जिसे रद्द कर दिया गया है। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा की 4 दिसंबर को होने वाली बैठक में ही तमाम फैसले लिए जाएंगे। इसी बैठक में किसान आंदोलन की रणनीति तय होगी और 5 प्रतिनिधि तय किए जाएंगे जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर सरकार के साथ बातचाती करेंगे। 

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किसान आंदोलन के सफलतम एक साल

आपको बता दें कि किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने के बाद सरकार का रुख नरम हो गया है। सरकार ने किसानों की मांगों पर बातचीत करने के लिए मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा से 5 नाम मांगे हैं। इसी के साथ एक बार फिर से सरकार-किसान वार्ता फिर से बहाल होने की उम्मीद शुरू हो चुकी है। 

गौरतलब है कि पंजाब के किसान संगठनों ने हाल ही में बैठक की थी। इस बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसान नेता ने बताया था कि 1 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की आपातकालीन बैठक होगी। बीकेयू कादियान के अध्यक्ष हरमीत सिंह कादियान ने बताया था कि चार दिसंबर को होने वाली बैठक अपने समय पर होगी। 1 दिसंबर को आपातकालीन बैठक होगी। यह बैठक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा आयोजित की जाएगी, जो सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता के लिए गए थे। 

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क्या है किसानों की मांग

किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 21 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत छह मांगों पर तत्काल वार्ता बहाल करने का अनुरोध किया था।

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