अयोध्या फैसले पर विदेश मंत्रालय ने दिया बयान, दूसरे देशों के साथ कूटनीति व्यापक रूप से सफल रही
रवीश कुमार ने कहा कि भारत ने अयोध्या फैसले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर दिल्ली में और अपने दूतावासों के जरिए कुछ देशों के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की गई, उस सभी से हमने कहा कि ये भारत का आंतरिक मामला है, और ये उच्चतम न्यायालय का फैसला है, उच्चतम न्यायालय शीर्ष अदालत है, और इसे इसी तरह देखना चाहिए।’’
नयी दिल्ली। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत ने अयोध्या फैसले के बारे में दूसरे देशों को संतोषजनक ढंग से समझाया है और इस मामले में किए गए प्रयास ’’व्यापक रूप से सफल’’ रहे हैं। कुमार ने गुरुवार को कहा, ‘‘विदेश मंत्रालय का काम है कि अगर भारत में कोई महत्वपूर्ण घटना होती है तो हम दूसरों के साथ इस पर चर्चा करे, और अगर राजनयिक समुदाय की तरफ से कोई अनुरोध किया जाता है- हमसे पूछा जाता है कि क्या हुआ और ऐसा क्यों हुआ- तो हमारा काम है कि हम उनके साथ बात करें और अपना नजरिया रखें।’’
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कुमार ने कहा कि भारत ने अयोध्या फैसले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर दिल्ली में और अपने दूतावासों के जरिए कुछ देशों के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की गई, उस सभी से हमने कहा कि ये भारत का आंतरिक मामला है, और ये उच्चतम न्यायालय का फैसला है, उच्चतम न्यायालय शीर्ष अदालत है, और इसे इसी तरह देखना चाहिए।’’
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कुमार ने कहा, ‘‘मेरी जानकारी के मुताबिक हमें कहीं से कोई भी ऐसी टिप्पणी नहीं, जिससे हमें यह सोचना पड़ता कि हमने इस बारे में उन्हें पर्याप्त ढंग से नहीं समझाया। हमारी भागीदारी व्यापक रूप से सफल रही।’’ गौरतलब है कि गत नौ नवम्बर को उच्चतम न्यायालय ने सर्वसम्मति के फैसले में 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम लला को सौंपने के निर्देश दिये थे। उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र को निर्देश दिया था कि मस्जिद निर्माण के लिये सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाए।
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