Prabhasakshi Exclusive: 1962 नहीं यह 2022 है, यह कहना तो आसान है मगर हमारी तैयारी क्या है?

LAC
ANI

गलवान की घटना के बाद भी चीन वार्ता की मेज पर इसलिए आने को मजबूर हुआ था क्योंकि उसे दिखा कि ठीक रास्ते नहीं होने के बावजूद भारत पूर्वी लद्दाख में भारी हथियार और वाहन तथा हजारों की संख्या में हर मौसम में रहने के लिए तैयार सैनिकों को पहुँचा सकता है।

चीन को लेकर हम यह तो कह रहे हैं कि यह 1962 नहीं 2022 है लेकिन जनता यह भी जानना चाहती है कि हमारी तैयारियां क्या हैं? इस संबंध में जब प्रभासाक्षी ने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी से बात की तो उन्होंने कहा कि हम सिर्फ मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत नहीं हैं बल्कि हमारी युद्धक क्षमता भी बढ़ी है और सेना को मिलने वाली सुविधाओं में भी इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि जवाब देने की हमारी तैयारी सदैव उच्च स्तर की होती है। तवांग में जो कुछ हुआ उसका हमें पहले ही अंदाजा था इसलिए हमारी तैयारी पूरी थी तभी तो हमारे पचास और उनके 300 सैनिक होते हुए भी हम उन पर भारी पड़े।

इसे भी पढ़ें: LAC के पास वायुसेना का युद्धाभ्यास क्या China को डराने के लिए किया जा रहा है?

उन्होंने कहा कि गलवान की घटना के बाद भी चीन वार्ता की मेज पर इसलिए आने को मजबूर हुआ था क्योंकि उसे दिखा कि ठीक रास्ते नहीं होने के बावजूद भारत पूर्वी लद्दाख में भारी हथियार और वाहन तथा हजारों की संख्या में हर मौसम में रहने के लिए तैयार सैनिकों को पहुँचा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार जिस तरह विश्व स्तरीय हथियार सेना को मुहैया करा रही है और घरेलू स्तर पर भी रक्षा उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है उससे हम आत्मनिर्भर हुए हैं और हमारी मारक क्षमता में जोरदार इजाफा हुआ है।

All the updates here:

अन्य न्यूज़