मानवाधिकार आयोग ने बिहार की जेलों की क्षमता, सुरक्षा बढाने आदि की आवश्यकता जतायी

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ANI Twitter.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य बीन एम. मूले के नेतृत्व में आयोग की एक टीम ने छपरा जेल और पटना के बेउर जेल का निरीक्षण करने के बाद शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं, इसे देखते हुए संबंधित अधिकारियों से काराओं की क्षमता बढाने को कहा है।

पटना| राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार की जेलों में कैदियों को रखने की क्षमता बढाए जाने, सुरक्षा का चाक चौबंद प्रबंध करने तथा जेल परिसर के भीतर स्वच्छता पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता जतायी है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य बीन एम. मूले के नेतृत्व में आयोग की एक टीम ने छपरा जेल और पटना के बेउर जेल का निरीक्षण करने के बाद शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं, इसे देखते हुए संबंधित अधिकारियों से काराओं की क्षमता बढाने को कहा है।

मूले ने कहा कि निरीक्षण के दौरान महिला कैदियों के चर्म रोग से ग्रस्त होने की बात सामने आयी है, ऐसे में जेल परिसर में स्वच्छता पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि जेल में बंद विचाराधीन बंदियों को आवश्यकता अनुसार कानूनी सहायता उपलब्ध कराने का का निर्देश जेल प्रशासन को दिया गया है। मूले ने कहा कि जेल के भीतर प्रतिबंधित सामग्री पहुंचने पर रोक के लिए कर्मियों की संख्या बढाए जाने, सीसीटीवी कैमरा एवं फ्लड लाईट और अधिक संख्या में लगाए जाने की आवश्यक्ता जतायी है।

मानवाधिकार आयोग की यह टीम छपरा जेल में बंद वैशाली जिला निवासी चंदन शाह (35) नामक विचाराधीन कैदी की 2020 में स्प्रीट सेवन से मौत होने के मामले की जांच के लिए बिहार आयी थी। इस अवसर पर मौजूद बिहार के कारा महानिरीक्षक मनेश मीणा ने बताया कि प्रदेश में कुल 59 कारा हैं जिनकी क्षमता 47,750 कैदियों को रखने की है पर वर्तमान में इन जेलों में करीब 64 हजार कैदी बंद हैं।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में पांच अन्य कारा लगभग बनकर तैयार है तथा 9 अन्य काराओं के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण मामला प्रक्रियाधीन है।

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