कश्मीर में सुधर रहे हैं हालात, घरों से बाहर निकल रहे लोग

[email protected] । Oct 5 2016 2:14PM

अलगाववादियों के फरमानों को धता बताते हुए शहर के कई इलाकों में लोग अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए अपने घरों से आज बाहर निकलें।

श्रीनगर। अलगाववादियों के फरमानों को धता बताते हुए शहर के कई इलाकों में लोग अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए अपने घरों से आज बाहर निकलें। वहीं अलगववादियों द्वारा प्रायोजित हड़ताल ने 89वें दिन भी घाटी में जनजीवन को प्रभावित किया। आठ जुलाई को दक्षिण कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के अगले दिन से शुरू हुए अशांति के दौर के शहर के सिविल लाइंस इलाके में मंद पड़ने के संकेत दिख रहे हैं क्योंकि कई लोग अपना जन जीवन फिर से शुरू करने के लिए घरों से बाहर निकल रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि समूची घाटी में कुछ दिन पहले कर्फ्यू हटा दिया था जिसके बाद कारोबारी केंद्र लाल चौक सहित श्रीनगर के बाहरी इलाकों में बसों को छोड़ निजी और सार्वजनिक वाहनो की आवाजाही में काफी बढ़ोतरी हुई है। कश्मीर में हर दिन के बीतने के साथ ही हालात में सुधार हो रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर के कुछ इलाकों में लोगों और वाहनों की मंगलवार को सामान्य आवाजाही देखी गई थी। उन्होंने बताया कि शहर के टीआरसी चौक-बटमालू के आसपास कई रेहड़ी-पटरी वालों ने अपने स्टॉल लगाए और कई स्थानों पर फल, सब्जी, ताजा जूस, चाय और स्नैक्स जैसा सामान बेचा तथा दिन भर अपनी व्यापारिक गतिविधियां जारी रखीं। अधिकारियों ने बताया कि ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के सिविल लाइन इलाके में कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानें खोली। इसके अलावा शहर के बाहरी इलाकों में भी कुछ दुकानें खुलीं।

अधिकारियों ने बताया कि घाटी में कहीं भी लोगों की आवाजाही पर कोई पाबंदी नहीं है लेकिन लोग सुरक्षित महसूस करें इसके लिए बाजारों और कई स्थानों पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ताकि लोग बिना किसी डर के अपना कामकाज कर सकें। इस बीच, शहर के मध्य हिस्से सहित कश्मीर के कुछ इलाकों में और जिला मुख्यालयों और कस्बों में अलगाववादियों द्वारा प्रायोजित बंद के कारण 89वें दिन भी जनजीवन प्रभावित रहा। इन क्षेत्रों की ज्यादातर दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद ही रहे। अधिकारियों के मुताबिक हड़ताल के कारण अब भी छात्र स्कूल नहीं जा रहे हैं। ज्यादातर जगहों पर सरकारी संस्थान खुले हुए हैं और शिक्षक ड्यूटी पर मौजूद भी हैं। सरकारी दफ्तरों और बैंकों में भी हाजिरी में सुधार हुआ है। अशांति का दौर शुरू होने बाद से सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष में दो पुलिसकर्मियों सहित 83 लोगों की मौतें हो चुकी हैं और करीब एक हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

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