लखनऊ में मुहर्रम पर गूंजने लगी या हुसैन की सदाएं, घरों में मातम का दौर शुरू

In Lucknow, Muharram started resonating or Hussains time
संजय सक्सेना । Aug 11 2021 6:03PM

हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके 72 साथियों की याद में आज पहली मोहर्रम को आसिफी इमामबाड़े से शाही जरीह का जुलूस कोरोना वायरस को देखते हुए नहीं निकाला गया। जुलूस में 22 फिट की मोम की और 17 फिट ऊंची अभ्रक की जरीह मुख्य आकर्षण का केंद्र होती थीं।

लखनऊ। आज मुहर्रम की पहली तारीख है। हुसैन के चाहने वाले गमों में डूब गए हैं तो दूसरी तरफ मंगलवार की चांद रात से ही घरों में ताजिया स्थापना के लिए खरीदारी भी शुरू हो गई। इमाम ईदगाह लखनऊ के मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि आज मुहर्रम की पहली तारीख है। उधर,वरिष्ठ शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने सभी से कोरोना महामारी को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गई गाइड लाइन का पालन करने और 50 से अधिक लोगों को एक साथ न एकत्र होने की अपील की है। 68 दिनों तक गम के इस महीने में मजलिसों का दौर चलेगा,लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते कोई जुलूस नहीं निकलेगा।

इसे भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के खिलाफ भाजपा गद्दी छोड़ो के नारे के साथ कांग्रेस ने की पदयात्रा

बहरहाल, पुराने लखनऊ में कल(मंगलवार को) से ही गम का माहौल दिखने लगा। हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के 72 शहीदों की शहादत के गम में शियों की आंखों से जार-ओ-कतार आंसू जारी हो गए। पुराने शहर के शिया बाहुलय क्षेत्रों में या हुसैन... या हुसैन... की सदाएं गूंजने लगी हैं। शियों ने कर्बला के शहीदों का गम मनाने के लिए रंग-बिरंगे कपड़े उतार कर काले कपड़े पहन लिए। महिलाओं ने सुहाग की निशानियां उतार कर काले लिबास पहन लिए। तर्बरुक, हार-फूल, अलम के लिए फूल के सेहरे, इमामबाड़े के लिए फूलों के पटके और ताबूत के लिए फूलों की चादरों की भी खरीदारी शुरू हो गई है। हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके 72 साथियों की याद में आज पहली मोहर्रम  को आसिफी इमामबाड़े से शाही जरीह का जुलूस कोरोना वायरस को देखते हुए नहीं निकाला गया। जुलूस में 22 फिट की मोम की और 17 फिट ऊंची अभ्रक की जरीह मुख्य आकर्षण का केंद्र होती थीं। यह खूबसूरत जरीह बड़े इमामबाड़े से छोटे इमामबाड़े तक हजारों अकीदत मंदों के साथ जाती थी। संक्रमण के चलते शाही जरीह के जुलूस को स्थगित कर दिया गया है। 

इसे भी पढ़ें: ओवैसी से कोई मतभेद नहीं उनकी पार्टी अब भी भागीदारी संकल्प मोर्चा का हिस्सा : राजभर

आज से इस्लामिक नया साल भी शुरू होने जा रहा है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक मोहर्रम के पहले दिन से नए इस्लामिक साल की शुरुआत होती है। मोहर्रम साल का पहला महीना होता है, जो कि आज से शुरू हो गया है। आज से एक मोहर्रम 1443 हिजरी की शुरुआत हो गई है। मुस्लिम मान्यताओं के हिसाब से मोहर्रम ग़म का महीना है। इस महीने में पैगंबर हज़रत मोहम्मद के नवासे हज़रत इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ शहीद कर दिए गए थे। इसलिए इस महीने में ग़म मनाया जाता है। मोहर्रम का चांद जैसे ही नजर आता है, अजादार अपने इमाम के ग़म में गमजदा हो जाते हैं। इस्लाम धर्म की मान्यता है कि इस दिन कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 जानिसारों के साथ शहादत को याद किया जाता है। इस दिन ताजिया निकाला जाता है,जो कोरोना के चलते अबकी से नहीं निकल रहा है। खैर, ये ताजिया पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और हजरत इमाम हसन के मकबरों का प्रतिरूप होते है। मोहर्रम महीने का दसवां दिन आशूरा कहलाता है। यह इस्लामिक इतिहास का सबसे निंदनीय दिनों में से एक माना जाता है। 

All the updates here:

अन्य न्यूज़