मध्य प्रदेश में ग्रामीणों को उनके भू-खण्ड पर मिलेगा मालिकाना हक, मुख्यमंत्री ने दिये योजना को लागू करने के निर्देश

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दिनेश शुक्ल । May 28 2020 11:31PM

भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा आगामी जून माह के प्रथम सप्ताह में हरदा एवं डिंडोरी जिले के कुछ गाँव में कार्य प्रारंभ किया जाना प्रस्तावित है। इस संबंध में जिला कलेक्टर्स को दिशा-निर्देश जारी किये जा चुके हैं।

भोपाल। मध्य प्रदेश में ग्रामीण बसाहट का सर्वे कर अधिकार अभिलेख तैयार कर ग्रामीण जनता को उनके भू-खण्ड पर मालिकाना हक प्रदान किया जाएगा। ग्रामीणों के हित में योजना के तहत तैयार किये गये डाटाबेस से पंचायत स्तर पर सम्पत्ति रजिस्टर भी तैयार किये जायेंगे। ग्रामीणों को यह सौगात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 24 अप्रैल को की गई 'ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण योजना' की घोषणा के तहत प्राप्त होगी। भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा पंचायत एवं ग्रामीण विकास और राजस्व विभाग के माध्यम से यह कार्य किया जाएगा।

 

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण योजना को प्रभावी रूप से लागू करने के निर्देश दिये है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा आगामी जून माह के प्रथम सप्ताह में हरदा एवं डिंडोरी जिले के कुछ गाँव में कार्य प्रारंभ किया जाना प्रस्तावित है। इस संबंध में जिला कलेक्टर्स को दिशा-निर्देश जारी किये जा चुके हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि योजना के तहत प्रथम वर्ष में प्रदेश के 10 पॉयलेट जिलों का चयन किया गया है, शेष 43 जिलों का सर्वे द्वितीय एवं तृतीय वर्ष में क्रमबद्ध किया जाएगा। प्रथम चरण में शामिल 10 जिलों मुरैना, श्योपुर, सागर, शहडोल, खरगौन, विदिशा, भोपाल, सीहोर, हरदा और डिंडोरी जिले के 10 हजार 553 राजस्व गाँव शामिल किये गये है। इन सभी राजस्व गाँवों में आबादी भूमि के सर्वे का कार्य तीन चरणों में किया जाएगा।

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ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण योजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण सम्पत्तियों का अधिकार अभिलेख तैयार करना और प्रत्येक सम्पत्ति स्वामी को उसकी सम्पत्ति का स्वामित्व अभिलेख उपलब्ध करवाना है, जो उसके स्वत्व तथा स्वामित्व का प्रमाण होगा। योजना को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिये योजना की लागत का वर्षवार वर्गीकरण किया गया है। वर्ष 2020-21 में 17 करोड़ 85 लाख, वर्ष 2021-22 में 40 करोड़ 6 लाख, इस प्रकार तीन वर्षों में 97 करोड़ 97 लाख राशि व्यय होगी। इस राशि में भारत सरकार द्वारा भारतीय सर्वेक्षण विभाग को सीधे किये जाने वाला भुगतान 29 करोड 9 लाख, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किये जाने वाले कार्य पर होने वाला व्यय 27 करोड़ 55 लाख और राजस्व विभाग द्वारा किये जाने वाले कार्यों पर होने वाला व्यय 41 करोड़ 33 लाख शामिल है।

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आबादी सर्वे अन्तर्गत केवल उन सम्पत्ति धारकों का अधिकार अभिलेख तैयार किया जाएगा, जो मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता-1959 (यथा संशोधित-2018) के लागू होने की तिथि 25 सितम्बर 2018 को आबादी भूमि पर काविज थे अथवा जिन्हें इसी तिथि के बाद विधिपूर्वक आबादी भूमि में भू-खण्ड का आवंटन किया गया हो। संबंधित आबादी क्षेत्र के समीप यदि दखलरहित भूमि पर बसाहट है जो आबादी क्षेत्र में शामिल नहीं है, तो ऐसी स्थिति में कलेक्टर द्वारा दखलरहित भूमि को आबादी घोषित की जाने की कार्यवाही की जा सकेगी। योजनान्तर्गत आबादी भूमि के सर्वे का कार्य तीन चरणों में किया जायेगा। प्रथम चरण में जागरूकता अभियान और ग्राम सभाओं का आयोजन, द्वितीय चरण में सर्वे की कार्यवाही में ड्रोन के माध्यम से सर्वे का प्रारूप अभिलेख का निर्माण एवं घर-घर जाकर सत्यापन का कार्य होगा। तृतीय चरण में सर्वे पश्चात की कार्यवाही जैसे दावा-आपत्ति दर्ज एवं उनका निराकरण, सम्पत्ति धारकों को सम्पत्ति कार्ड एवं अन्य अधिकार अभिलेख का वितरण किया जाएगा।

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ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण योजना में ग्रामीण सम्पत्तियों का अधिकार अभिलेख होगा, प्रत्येक सम्पत्ति धारक को उसकी सम्पत्ति का स्वामित्व प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। सम्पत्तियों पर बैंक से ऋण लेना आसान होगा। सम्पत्तियों के पारिवारिक विभाजन, सम्पत्ति हस्तांतरण की प्रक्रिया सुगम होगी और पारिवारिक सम्पत्ति के विवाद कम होंगे। योजनान्तर्गत सम्पन्न हुई कार्यवाही से ग्राम पंचायत को स्थानीय आय के साधन प्राप्त होंगे। पंचायत स्तर पर ग्राम विकास की योजना बनाने में सुविधा होगी। शासकीय एवं सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा एवं रख-रखाव आसान होगा। सम्पत्ति संबंधी विवादों में कमी आने के साथ सम्पत्ति के नामांतरण और बटवारे में सहूलियत होगी।

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