अयोध्या मामले में बोले जमीयत प्रमुख, उम्मीद है कि फैसला कानूनी नजरिए से होगा

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[email protected] । Aug 2 2019 6:56PM

जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा कि हमें अफसोस है कि मध्यस्थता के जरिए इस मामले में सुलह नहीं हो सकी।

नयी दिल्ली। देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीय उलेमा-ए-हिंद ने अयोध्या मामले के मध्यस्थता के जरिए समाधान निकलने में सफलता नहीं मिलने पर अफसोस जताते हुए शुक्रवार को कहा कि आगे इस मामले में आस्था नहीं, बल्कि कानूनी नजरिए से फैसला होने की उम्मीद है। जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा कि हमें अफसोस है कि मध्यस्थता के जरिए इस मामले में सुलह नहीं हो सकी। 

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उन्होंने कहा कि अब हमारा यह कहना है कि आगे इस मामले पर सुनवाई में आस्था के आधार पर नहीं, बल्कि कानूनी नजरिए के आधार पर निर्णय होना चाहिए। गौरतलब है कि राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील अयोध्या के रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का सर्वमान्य समाधान मध्यस्थता के माध्यम से खोजने में सफलता नहीं मिलने के तथ्य का संज्ञान लेते हुये उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि अब इस मामले में छह अगस्त से रोजाना सुनवाई होगी।

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प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट का संज्ञान लिया कि इस विवाद का सर्वमान्य हल खोजने के उसके प्रयास विफल हो गये हैं। 

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