Mata Kheer Bhawani वार्षिक मेले के लिए श्रद्धालुओं का जत्था जम्मू से रवाना, मंदिर पहुँच कर LG ने की तैयारियों की समीक्षा

Mata Kheer Bhawani Yatra
ANI

खीर भवानी मंदिर के बारे में मान्यता है कि मंदिर के नीचे मौजूद कुंड के पानी का रंग घाटी में मौजूदा स्थिति का संकेत देता है। कुंड के पानी के अधिकतर रंग का कोई विशेष महत्व नहीं होता है लेकिन पानी का रंग काला या गहरा हो जाना कश्मीर के लिए बुरे समय का संकेत माना जाता है।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में माता खीर भवानी मंदिर में पूजा-अर्चना की और सभी के कल्याण के लिए प्रार्थना की। हम आपको बता दें कि इस समय मंदिर में 28 मई से शुरू होने वाले वार्षिक खीर भवानी मेले की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। उपराज्यपाल ने मंदिर पहुँच कर दर्शन-पूजन किया और मेले की तैयारियों की समीक्षा भी की। खीर भवानी मंदिर की कश्मीर पंडितों के बीच काफी मान्यता है। मध्य कश्मीर में गांदेरबल जिले के तुल्लामुला गांव में चिनार के पेड़ों के बीच स्थित इस मंदिर में लगने वाले वार्षिक खीर भवानी मेले के दौरान कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र से कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ बड़ी संख्या में अन्य श्रद्धालु भी दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मेले के दौरान श्रद्धालु नंगे पांव गुलाब की पंखुड़ियां लेकर मंदिर पहुंचते हैं तथा उन्हें राज्ञा देवी को चढ़ाते हैं। मंदिर परिसर में सदैव मंत्रोच्चारण चलता रहता है। श्रद्धालु यहां दूध और खीर भी चढ़ाते हैं। इस मंदिर से जुड़ी एक विशेष बात यह है कि यह कश्मीर के विभिन्न समुदायों के बीच सदियों पुरानी उदार संस्कृति और भाईचारे का भी प्रतीक है। यहाँ लगने वाला मेला भी सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है क्योंकि खीर भवानी मंदिर के इलाके में भक्तों के लिए फूलों और अन्य प्रसाद के स्टालों की स्थापना सहित अन्य सभी व्यवस्था मुसलमान ही करते हैं।

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इस मंदिर के बारे में यह भी मान्यता है कि मंदिर के नीचे मौजूद कुंड के पानी का रंग घाटी में मौजूदा स्थिति का संकेत देता है। कुंड के पानी के अधिकतर रंग का कोई विशेष महत्व नहीं होता है लेकिन पानी का रंग काला या गहरा हो जाना कश्मीर के लिए बुरे समय का संकेत माना जाता है। इस बार पानी का रंग बुरे समय का संकेत नहीं दे रहा है जोकि अच्छी बात है। हम आपको यह भी बता दें कि कश्मीर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक खीर भवानी मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण एक बहती हुई धारा पर किया गया है। इस मंदिर के चारों ओर चिनार के पेड़ और नदियों की धाराएं हैं जो इस जगह की सुंदरता पर चार चांद लगाती हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1912 में महाराजा प्रताप सिंह द्वारा करवाया गया तथा बाद में महाराजा हरी सिंह ने इस मंदिर का विस्तार और सौंदर्यीकरण करवाया। खीर भवानी मंदिर से जुड़ी एक प्रमुख किवंदती यह है कि भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के समय इस मंदिर में पूजा की थी। वनवास की अवधि समाप्त होने के बाद भगवान श्रीराम ने हनुमानजी द्वारा यहां माता की मूर्ति स्थापित करवाई थी।

दूसरी ओर, जम्मू से मिले समाचारों के मुताबिक जम्मू के डिविजनल कमिश्नर ने माता खीर भवानी यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। 125 बसों में 4000 श्रद्धालु माता खीर भवानी मेले में भाग लेने के लिए जम्मू से रवाना हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह सभी श्रद्धालु खीर भवानी मंदिर के अलावा कश्मीर के अन्य मंदिरों में भी जाएंगे। यह दर्शाता है कि जम्मू-कश्मीर विकास और शांति की राह पर है।

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