कर्नाटक सरकार ने मुस्लिमों के 4 फीसदी आरक्षण को किया खत्म, इन दोनों समुदायों को होगा फायदा

कर्नाटक में राज्य सरकार ने तीन दशक पहले मुस्लिमों के लिए 4 फीसदी कोटे को खत्म कर दिया। राज्य की भाजपा सरकार का कहना है कि धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यकों केलिए आरक्षण का संवैधानिक प्रावधान नहीं है। मुस्लिमों के चार फीसदी कोटे को EWS के 10 फीसदी कोटे में बदल दिया गया है।
कर्नाटक सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए चार फीसदी आरक्षण खत्म करने का फैसला किया। बता दें कि अब अल्पसंख्यकों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के तहत लाया जाएगा। कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने जानकारी देते हुए बताया कि अल्पसंख्यकों के लिए चार फीसदी आरक्षण को अन्य के बीच समान रूप से बांटा जाएगा। इस चार फीसदी आरक्षण को राज्य में वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के मौजूदा आरक्षण में जोड़ा जाएगा।
फैसले को बताया गया चुनावी दांव
हालांकि इस फैसले पर जमकर विवाद हुआ। ऐसे में इस फैसले को चुनावी दांव बताया जाने लगा। सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद राज्य में लिंगायत आरक्षण को 5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी किया जाएगा। वहीं वोक्कालिगा समुदाय के लिए आरक्षण को बढ़ाकर 6 फीसदी किया जाएगा। राज्य सरकार को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट से फटकार भी लगी है। लेकिन सरकार का कहना है कि धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण का संवैधानिक प्रावधान नहीं है।
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मुस्लिम कोटा खत्म होने पर बवाल
मुस्लिम कोटे को खत्म कर जब राज्य सरकार ने लिंगायत और वोक्कालिगा को जगह दी तो इस पर बवाल बढ़ गया है। सीएम ने घोषणा करते हुए बताया था कि मुसलमानों को 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा पूल में बदला जाएगा। मुस्लिम श्रेणी 2 बी के तहत आते हैं। हालांकि सरकार द्वारा किए गए इस फेरबदल के बाद अब मुस्लिम समुदाय के लोगों को EWS कोटे से मुकाबला करना होगा। EWS कोटे में ब्राह्मण, वैश्य, मुदलियार, जैन और अन्य शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार
इस मामले पर बवाल बढ़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बोम्मई सरकार को फटकार लगाई है। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर अदालत ने कहा कि यह फैसला भ्रामक अनुमानों पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लेने की प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण और अस्थिर बताया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस फैसले पर 18 अप्रैल तक रोक लगी रहेगी। वहीं सीएम बोम्मई का कहना है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने के लिए संविधान के तहत कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही यह किसी भी राज्य में लागू नहीं है।
सीएम बोम्मई ने दिया आंध्र प्रदेश का उदाहरण
सीएम बोम्मई ने आंध्र प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि कोर्ट ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के आरक्षण को रद्द कर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि अंबेडकर जी ने भी साफ तौर पर कहा था कि आरक्षण जातियों के लिए है। सीएम ने कहा कि शाब्दि अर्थों में ओबीसी आरक्षण का लाभ उठाने के लिए आर्थिक मानदंड हैं। इसलिए वह अल्पसंख्यकों को मिलने वाले 4 फीसदी आरक्षण को EWS के 10 फीसदी कोटे में बदल रहे हैं।
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