Maharashtra ATS ने किया बड़ा खुलासा- 2047 तक India में Islamic rule लाने की PFI ने रची थी साजिश

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महाराष्ट्र एटीएस ने दो फरवरी को दाखिल किए गए आरोप पत्र में ‘‘भारत 2047- भारत में इस्लाम के शासन की ओर’’ नामक एक दस्तावेज जब्त करने का दावा किया है। एटीएस के अनुसार, इस दस्तावेज में ‘‘सरकार को गिराने के लिए’’ पीएफआई के सदस्यों के लिए खाका मुहैया कराया गया है।

प्रतिबंधित संगठन पीएफआई की बड़ी साजिश का खुलासा करते हुए महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने दावा किया है कि पिछले साल केंद्र द्वारा प्रतिबंधित ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) का उद्देश्य 2047 तक भारत में ‘‘इस्लाम का शासन’’ स्थापित करना था। एटीएस के मुताबिक, अपने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पीएफआई की विदेश या अन्य संगठनों की मदद से हथियार और गोला-बारूद हासिल करने की भी योजना थी। हम आपको बता दें कि एटीएस ने पीएफआई के पांच सदस्यों के खिलाफ पिछले हफ्ते एक स्थानीय अदालत में दाखिल आरोप पत्र में यह बात कही है। इन लोगों को गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। विभिन्न राज्यों में कई एजेंसियों की छापेमारी के बाद महाराष्ट्र एटीएस ने पिछले साल सितंबर में पांच पीएफआई सदस्यों- मजहर खान, सादिक शेख, मोहम्मद इकबाल खान, मोमिन मिस्त्री और आसिफ हुसैन खान को गिरफ्तार किया था।

एटीएस ने दो फरवरी को दाखिल किए गए आरोप पत्र में ‘‘भारत 2047- भारत में इस्लाम के शासन की ओर’’ नामक एक दस्तावेज जब्त करने का दावा किया है। एटीएस के अनुसार, इस दस्तावेज में ‘‘सरकार को गिराने के लिए’’ पीएफआई के सदस्यों के लिए खाका मुहैया कराया गया है। आरोप पत्र के अनुसार, ‘‘पीएफआई कहता है कि हम ऐसे 2047 का सपना देखते हैं, जब राजनीतिक सत्ता मुस्लिम समुदाय के पास वापस आ गई हो, जिसे इसे ब्रितानी शासन ने अन्यायपूर्ण तरीके से छीन लिया था। इसके लिए सबसे पहला खाका मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ शुरू होता है, जिसके लिए ‘एम्पावर इंडिया फाउंडेशन’ के नाम से एक अलग खाका पहले से ही मुहैया कराया जा चुका है।’’ 

दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘इसके लिए मुस्लिम समुदाय को बार-बार उसकी परेशानियों की याद दिलाने की आवश्यकता है और जहां परेशानियां नहीं है, वहां इन्हें पैदा करने की जरूरत है। पार्टी सहित हमारे सभी अग्रिम संगठनों को विस्तार करने और नए सदस्यों की भर्ती पर ध्यान देना चाहिए।’’ आरोप पत्र में दावा किया गया है कि पीएफआई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को केवल उच्च जाति के हिंदुओं के कल्याण में रुचि रखने वाले संगठन के रूप में पेश करके समुदायों के बीच विभाजन पैदा करना चाहता था। एटीएस ने कहा कि आरोपियों ने अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कई प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित किए। आरोप पत्र में दावा किया गया है कि आरोपी इकबाल के उपकरणों से मिले एक अन्य दस्तावेज में उनके महाराष्ट्र में विस्तार की योजनाओं की जानकारी दी गई है। एटीएस ने दावा किया कि पीएफआई की अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विदेश या अन्य संगठनों की मदद से हथियार और गोला-बारूद प्राप्त करने की भी योजना थी।

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एनआईए की कार्रवाई

उधर, जहां तक प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के खिलाफ जारी धरपकड़ अभियान की बात है तो आपको बता दें कि एनआईए ने इस सप्ताह सोमवार को बिहार के पूर्वी चंपरण जिले से प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के एक और संदिग्ध कार्यकर्ता को गिरफ्तार करने का दावा किया है। एनआईए द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, इरशाद उर्फ मोहम्मद बेलाल को रविवार देर रात को जितौरा गांव से गिरफ्तार किया गया और उससे पूछताछ के आधार पर पूर्वी चंपारण के निकटवर्ती मुजफ्फरपुर जिले के एक गाँव में उसके ठिकानों से प्रतिबंधित संगठन का एक बैनर और तलवारें बरामद की गईं। विज्ञप्ति के अनुसार, इरशाद ने पिछले साल पटना के फुलवारीशरीफ इलाके में पीएफआई द्वारा आयोजित प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया था। हम आपको बता दें कि एनआईए ने इस मामले में अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया है। एनआईए के अनुसार, रविवार को पूर्वी चंपारण में आठ स्थानों पर हुई छापामारी में पीएफआई के दो संदिग्ध कार्यकर्ताओं तनवीर रज़ा और मोहम्मद आबिद को गिरफ्तार किया गया। एनआईए फुलवारीशरीफ से जुड़े मामले में फरार आरोपी याकूब की तलाश कर रही थी जिसने हाल ही में फेसबुक पर शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के उद्देश्य से भड़काऊ वीडियो पोस्ट किया था।

मध्य प्रदेश में भी एक्शन

दूसरी ओर, मध्य प्रदेश पुलिस ने पीएफआई के तीन और सदस्यों को सरकार के खिलाफ साजिश रचने और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में भोपाल से गिरफ्तार किया है। इससे पहले पुलिस ने पिछले सप्ताह इसी मामले में श्योपुर निवासी पीएफआई के पदाधिकारी वासीद खान को गिरफ्तार किया था। अधिकारी के मुताबिक, पुलिस ने पीएफआई के दो सदस्यों को भोपाल से गिरफ्तार किया जबकि तीसरे सदस्य को पेशी वारंट पर औरंगाबाद (महाराष्ट्र) से मध्य प्रदेश लाए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया। अधिकारी ने बताया कि पीएफआई सदस्यों की पहचान धार जिले के निवासी गुलाम रसूल शाह (37), इंदौर निवासी साजिद खान उर्फ गुलाम नबी (56) और औरंगाबाद निवासी परवेज खान (30) के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 121 ए (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश), 153बी (राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले दावे), 20 बी (आपराधिक साजिश) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधान के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस अधिकारी के मुताबिक, परवेज खान 2017 से पीएफआई से जुड़ा हुआ था और कई मौकों पर प्रशिक्षण देने के लिए मध्य प्रदेश आया था। वह औरंगाबाद की एक जेल में बंद था और उसे शनिवार को पेशी वारंट पर भोपाल लाया गया था। वहीं, अधिकारी के मुताबिक, गुलाम रसूल पीएफआई का सक्रिय सदस्य था जो राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर लोगों को संगठन के लिए काम करने के लिए प्रेरित करता था और गुलाम नबी पीएफआई का वित्तीय प्रबंधन संभालता था।

पिछले साल लगा था प्रतिबंध

गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में केंद्र ने इस्लामिक स्टेट जैसे वैश्विक आतंकी समूहों के साथ संबंध होने का आरोप लगाते हुए पीएफआई और उसके कई सहयोगियों को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। प्रतिबंध से पहले, एनआईए, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और विभिन्न राज्य पुलिस बलों ने पीएफआई पर बड़े पैमाने पर छापे मारे थे और विभिन्न राज्यों से संगठन के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को देश में आतंकी गतिविधियों का समर्थन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

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