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सीरम इंस्टीट्यूट के दौरे के समय PM मोदी के साथ नहीं रहेंगे महाराष्ट्र के राज्यपाल और मुख्यमंत्री
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- नवंबर 28, 2020 13:28
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बयान में कहा गया, ‘‘मुख्यमंत्री और राज्यपाल पुणे में नहीं रहेंगे क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने सूचित किया है कि चूंकि प्रधानमंत्री बहुत कम समय के लिए आ रहे हैं इसलिए उनकी मौजूदगी की आवश्यकता नहीं है।’’
मुंबई। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के दौरे के समय शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ महाराष्ट्र के राज्यपाल बी एस कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नहीं होंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक वक्तव्य जारी कर यह जानकारी दी। बयान में कहा गया, ‘‘मुख्यमंत्री और राज्यपाल पुणे में नहीं रहेंगे क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने सूचित किया है कि चूंकि प्रधानमंत्री बहुत कम समय के लिए आ रहे हैं इसलिए उनकी मौजूदगी की आवश्यकता नहीं है।’’
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प्रधानमंत्री मोदी ने देश में कोरोना वायरस के टीके के विकास कार्यों की समीक्षा के लिए शनिवार को तीन शहरों का दौरा अहमदाबाद के पास जाइडस कैडिला के टीका उत्पादन संयंत्र के दौरे के साथ शुरू किया।
Tomorrow, PM @narendramodi will embark on a 3 city visit to personally review the vaccine development & manufacturing process. He will visit the Zydus Biotech Park in Ahmedabad, Bharat Biotech in Hyderabad & Serum Institute of India in Pune.
— PMO India (@PMOIndia) November 27, 2020
पं. बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान से अलंकृत किए जाएंगे देवेन्द्र कुमार बहल
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 28, 2021 15:02
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वर्ष 2012 से संकल्पसिद्ध शिक्षार्थी भाव से हिन्दी जगत् को ‘अभिनव इमरोज़’ एवं ‘साहित्य नंदिनी’ जैसे दो महत्वपूर्ण पत्रिकाएं देकर अपनी सेवा भाव का प्रत्यक्ष प्रमाण दे रहे हैं।
नई दिल्ली। मासिक साहित्यिक पत्रिका ‘अभिनव इमरोज़’ (नई दिल्ली) के संपादक देवेन्द्र कुमार बहल को इस वर्ष का पंडित बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान दिया जाएगा। 7 फरवरी को ऑनलाइन आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। देवेन्द्र कुमार बहल हिंदी प्रेम और अपने गुरु स्वर्गीय डॉ. त्रिलोक तुलसी की प्रेरणा से 70 वर्ष की आयु में संपादन-प्रकाशन की दुनिया में खींचे चले आए। वर्ष 2012 से संकल्पसिद्ध शिक्षार्थी भाव से हिन्दी जगत् को ‘अभिनव इमरोज़’ एवं ‘साहित्य नंदिनी’ जैसे दो महत्वपूर्ण पत्रिकाएं देकर अपनी सेवा भाव का प्रत्यक्ष प्रमाण दे रहे हैं।
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त्रैमासिक पत्रिका ‘मीडिया विमर्श’ के कार्यकारी संपादक प्रो संजय द्विवेदी ने बताया कि यह पुरस्कार प्रतिवर्ष हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है। इस अवॉर्ड का यह 13वां वर्ष है। ‘मीडिया विमर्श’ द्वारा शुरू किए गए इस अवॉर्ड के तहत ग्यारह हजार रुपए, शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह और सम्मान पत्र दिया जाता है। पुरस्कार के निर्णायक मंडल में नवभारत टाइम्स, मुंबई के पूर्व संपादक विश्वनाथ सचदेव, छत्तीसगढ़ ग्रंथ अकादमी, रायपुर के पूर्व निदेशक रमेश नैयर तथा इंदिरा गांधी कला केंद्र, दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी शामिल हैं।
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इससे पूर्व यह सम्मान वीणा (इंदौर) के संपादक स्व. श्यामसुंदर व्यास, दस्तावेज (गोरखपुर) के संपादक डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, कथादेश (दिल्ली) के संपादक हरिनारायण, अक्सर (जयपुर) के संपादक डॉ. हेतु भारद्वाज, सद्भावना दर्पण (रायपुर) के संपादक गिरीश पंकज, व्यंग्य यात्रा (दिल्ली) के संपादक डॉ. प्रेम जनमेजय, कला समय (भोपाल) के संपादक विनय उपाध्याय, संवेद (दिल्ली) के संपादक किशन कालजयी, अक्षरा (भोपाल) के संपादक कैलाशचंद्र पंत, अलाव (दिल्ली) के संपादक रामकुमार कृषक, प्रेरणा (भोपाल) के संपादक अरुण तिवारी और युगतेवर (सुल्तानपुर) के संपादक कमल नयन पाण्डेय को दिया जा चुका है।
जानिए कौन है लाल किले पर धार्मिक झंडा लगाने वाला जुगराज, परिवार पर है चार लाख का कर्ज
- अंकित सिंह
- जनवरी 28, 2021 14:53
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पुलिस का शिकंजा कसता देख गांव में भगदड़ सी मच गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक झंडा लगाने वाले जुगराज सिंह का परिवार फ़िलहाल गायब हो गया है। पुलिस लगातार छानबीन कर रही है।
26 जनवरी को दिल्ली में हुए किसान परेड के दौरान लाल किले पर खालसा झंडा लगाने वाला युवक जुगराज सिंह बताया जा रहा है। जुगराज पंजाब के तरनतारन के गांव तारा सिंह का रहने वाला है। जुगराज सिंह मध्यमवर्गीय परिवार से आता था और ढाई वर्ष पहले चेन्नई में वह निजी काम करने चला गया था। हालांकि 5 महीने पहले ही वह पंजाब लौटा था और खेती किसानी का काम करने लगा था। इन सब के बीच जैसे ही किसान आंदोलन शुरू हुआ, जुगराज सिंह उसमें सक्रिय हो गया।
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ग्रामीणों का दावा है कि जुगराज सिंह सिर्फ मैट्रिक पास है। गांव वालों ने ही टीवी पर खबर देखने के बाद यह दावा किया था कि लाल किले पर झंडा लगाने वाला युवक उसी के गांव का जुगराज सिंह है। 26 जनवरी के दिन पुलिस युवराज के घर भी पहुंची थी और परिवार वालों से पूछताछ भी किया था। जुगराज सिंह के दादा मेहल सिंह ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि लाल किले पर झंडा लगाने वाला उन्हीं का पोता है। हालांकि, उन्होंने यह भी दावा किया कि उनका परिवार या उसका कोई सदस्य कभी भी किसी गैर सामाजिक गतिविधि में शामिल नहीं रहा है।
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जुगराज के दादा ने बताया कि परिवार के पास 2 एकड़ जमीन है। 3 भैंस और एक गाय भी है। परिवार पर चार लाख का कर्ज भी है। वहीं, दादी ने बताया कि जुगराज गांव के गुरुद्वारे में निशान साहिब पर चोला चढ़ाने का सेवा करता था। गांववालों ने दावा किया कि जोश में आकर वह लाल किले पर चढ़ गया होगा और झंडा चढ़ा दिया होगा। गांव वालों ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। लगातार जुगराज के घर पर पुलिस दबिश दे रही है। गांव वाले दावा कर रहे हैं कि ऐसी कोई योजना थी ही नहीं लेकिन उसने जो किया वह गलत था। पुलिस का शिकंजा कसता देख गांव में भगदड़ सी मच गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक झंडा लगाने वाले जुगराज सिंह का परिवार फ़िलहाल गायब हो गया है। पुलिस लगातार छानबीन कर रही है।
बजट सत्र से पहले विपक्ष ने दिखाए सख्त तेवर, राष्ट्रपति के भाषण का करेंगे बहिष्कार
- अंकित सिंह
- जनवरी 28, 2021 14:39
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कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ है। उनकी मांग है कि सरकार तत्काल इन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करें।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि राष्ट्रपति के संसद की संयुक्त बैठक के संबोधन का 16 विपक्षी दल किसानों के मुद्दे को लेकर बहिष्कार करेंगे। विपक्षी दलों ने गणतंत्र दिवस के दिन हिंसा के मामले में केंद्र की भूमिका की जांच की मांग की। आजाद ने कहा कि इस फैसले के पीछे प्रमुख कारण यह है कि विधेयकों (फार्म कानून) को विपक्ष के बिना, सदन में जबरन पारित किया गया।
आपको बता दें कि कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ है। उनकी मांग है कि सरकार तत्काल इन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करें। गौरतलब है कि इन तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान लगभग 60 दिनों से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।We're issuing a statement from 16 political parties that we're boycotting President's Address that will be delivered at Parliament tomorrow. The major reason behind this decision is that the Bills (Farm Laws) were passed forcibly in House, without Opposition: GN Azad, Congress pic.twitter.com/9uhtfLKh67
— ANI (@ANI) January 28, 2021

