मणिशंकर अय्यर: कांग्रेस के दिग्गज नेता जो अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं

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अंकित सिंह । Apr 10 2022 12:08PM

मणिशंकर अय्यर की शिक्षा दीक्षा बेहद ही शानदार रही। उन्होंने उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा वेल्हम बॉयज स्कूल और द दून स्कूल से हासिल की। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से इकोनॉमिक्स में बीए की डिग्री हासिल की। इसके अलावा उन्होंने अपनी पढ़ाई कैंब्रिज से भी की है।

अक्सर अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहने वाले मणिशंकर अय्यर आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। मणिशंकर अय्यर का जन्म 10 अप्रैल 1941 को अविभाजित भारत के लाहौर में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मणिशंकर अय्यर के पिता वैद्यनाथ शंकर अय्यर एक बड़े चार्टर्ड अकाउंटेंट थे। बहुत ही कम उम्र में मणिशंकर अय्यर ने अपने पिता को खो दिया। मणिशंकर अय्यर की शिक्षा दीक्षा बेहद ही शानदार रही। उन्होंने उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा वेल्हम बॉयज स्कूल और द दून स्कूल से हासिल की। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से इकोनॉमिक्स में बीए की डिग्री हासिल की। इसके अलावा उन्होंने अपनी पढ़ाई कैंब्रिज से भी की है। 

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शुरुआत के दिनों से ही मणिशंकर अय्यर का झुकाव मार्क्सवाद की तरफ था। बाद में इनकी नियुक्ति भारतीय विदेश सेवा में हुई। उन्होंने भारतीय विदेश सेवा में 26 सालों तक काम किया है। इसके अलावा वह 5 वर्ष राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए पीएमओ में प्रतिनियुक्ति पर रहे। मणिशंकर अय्यर की विशेष रूचि भारत के पड़ोसी देशों और पश्चिम एशिया के साथ संबंध तथा परमाणु निरस्त्रीकरण में रही है। उन्होंने कई राजनीतिक शिष्ट मंडलों में भी हिस्सा लिया है। 1978 से 82 तक वह कराची में भारत के पहले महावाणिज्य दूत रहे। उन्होंने विदेश मंत्रालय में बतौर संयुक्त सचिव 1982 से 83 तक कार्य किया। 83-84 में वह सूचना व प्रसारण मंत्री के सलाहकार रहे। 1989 का वह दौर था जब भारतीय राजनीति में बड़ा परिवर्तन आ रहा था। इसी दौरान मणिशंकर अय्यर ने भारतीय विदेश सेवा से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में आ गए।

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राजनीति में आने के बाद उन्होंने कांग्रेस को ज्वाइन कर लिया। 1991 का लोकसभा चुनाव उन्होंने मायिलादुतुरई निर्वाचन क्षेत्र से लड़ा और जीतकर सांसद बने। 1998 में मणिशंकर अय्यर को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सचिव बनाया गया। हालांकि मणिशंकर अय्यर को 1996, 1998 और 2009 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा उन्होंने 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। देश में जब 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी तो मणिशंकर अय्यर को बड़ी जिम्मेदारी दी गई और उन्हें प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम मंत्री बनाया गया। बाद में मणिशंकर अय्यर ने पंचायती राज मंत्री, युवा कल्याण मंत्री और खेल मंत्री पद भी संभाला।

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मणिशंकर अय्यर अपने बयानों की वजह से खूब चर्चा में रहते हैं। मणिशंकर अय्यर ने 2014 के चुनाव से पहले यह कहा था कि मैं आपसे वादा करता हूं कि 21वीं सदी में मोदी इस देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता और उन्हें चाय ही बेचनी होगी। मोदी ने अय्यर के इस बयान को चुनाव के दौरान खूब भुनाया। एक पाकिस्तानी टीवी से बातचीत में उन्होंने एक बार यह कह दिया था कि अगर पाकिस्तान को भारत से बातचीत करनी है तो उसे पहले नरेंद्र मोदी सरकार को हटाना होगा और कांग्रेस को लाना होगा। मणिशंकर अय्यर के इस बयान पर खूब बवाल मचा था। मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए नीच और असभ्य जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया। हाल में ही मणिशंकर अय्यर ने मुगल शासन के दौरान हुए अत्याचारों को नकार दिया जिसके बाद से उनकी आलोचना हुई। 

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