तीरथ सिंह रावत: 2017 चुनाव में नहीं मिला था MLA का टिकट, अचानक बन गए उत्तराखंड के CM

tirath singh rawat
अंकित सिंह । Apr 9 2022 9:45AM

तीरथ सिंह रावत को जब उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया तब वह गढ़वाल संसदीय सीट से सांसद थे। हालांकि राजनीति में उनका अनुभव काफी लंबा रहा है। 9 अप्रैल 1964 को पौड़ी गढ़वाल में जन्मे तीरथ सिंह रावत को साफ-सुथरी छवि, सहज व्यक्तित्व, विनम्र और जमीन से जुड़े नेता के तौर पर जाना जाता है।

जब अचानक उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाया गया, तो उस वक्त सबसे बड़ा सवाल यही था कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? तभी भाजपा आलाकमान का बड़ा फैसला होता है और विधायक दल की बैठक में तीरथ सिंह रावत को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर चुना जाता है। इसके बाद सभी लोग इस बात को जानने की उत्सुकता में जुट गए कि तीरथ सिंह रावत कौन है? तीरथ सिंह रावत को जब उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया तब वह गढ़वाल संसदीय सीट से सांसद थे। हालांकि राजनीति में उनका अनुभव काफी लंबा रहा है। 9 अप्रैल 1964 को पौड़ी गढ़वाल में जन्मे तीरथ सिंह रावत को साफ-सुथरी छवि, सहज व्यक्तित्व, विनम्र और जमीन से जुड़े नेता के तौर पर जाना जाता है। उत्तराखंड के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में उनका चयन सभी सियासी जानकारों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था। तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के कई दिग्गज नेताओं को पीछे कर मुख्यमंत्री पद की बाजी मारी थी। तीरथ सिंह रावत को दिग्गज भाजपा नेता भुवन चंद्र खंडूरी के राजनीतिक शिष्य के तौर पर भी जाना जाता है। 

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लोगों में तीरथ सिंह की सियासी पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भी कोई उनसे मिलना चाहे तो वह उनके पास पहुंच सकता है। जब वह 2013 से 2015 तक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष थे, तब उनके इसी खूबी के लिए उन्हें जाना पहचाना गया। कार्यकर्ताओं में वह काफी लोकप्रिय हो गए। माना जाता है कि पौड़ी गढ़वाल के चौबट्टाखाल क्षेत्र के लोग उनसे काफी प्रभावित रहे हैं। शुरुआत में ही तीरथ सिंह रावत संघ के कार्यकर्ता बन गए। वह 1983 से 1988 तक संघ के प्रचारक रहे हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की और उत्तराखंड में संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री का भी पदभार संभाला। तीरथ सिंह रावत हेमंती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे हैं। तीरथ सिंह रावत लगातार राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते गए। 1997 में वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए। 

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हालांकि, जब 2000 में उत्तराखंड का गठन हुआ तो वह राज्य के पहले शिक्षा मंत्री बनाए गए। 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्हें जीत नहीं मिली। हालांकि 2012 में वह चौबट्टाखाल से विधानसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट लेने की रेस में वह बिछड़ गए और कांग्रेस छोड़कर आए सतपाल महाराज को पार्टी ने टिकट दिया। आश्चर्य की बात तो यह भी थी कि तीरथ सिंह रावत उस वक्त चौबट्टाखाल से विधायक थे। बावजूद इसके उन्हें टिकट नहीं दिया गया। तीरथ सिंह रावत को इस बात की बहुत ही ज्यादा नाराज हुई। हालांकि पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाकर उनकी नाराजगी को दूर किया। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा ने पौड़ी गढ़वाल सीट से टिकट दिया और वह जीतने में कामयाब रहे। उन्होंने यहां से अपने राजनीतिक गुरु भुवन चंद्र खंडूरी के बेटे मनीष को 302669 वोटों से हराया। हालांकि मुख्यमंत्री का कार्यकाल तीरथ सिंह रावत का लंबा नहीं चल सका। 10 मार्च 2021 से 4 जुलाई 2021 तक के उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। बाद में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और पुष्कर सिंह धामी राज्य के नए मुख्यमंत्री बने। 

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