पीएम मोदी से मुलाकात के बाद बोले मनोहर लाल खट्टर, एमएसपी पर कानून बनाना संभव नहीं

khattar modi
अंकित सिंह । Nov 27 2021 12:18PM

पीएम मोदी से मुलाकात के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि एमएसपी की गारंटी देने वाला कानून फिलहाल संभव नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसानों के उत्पाद को कोई दूसरा नहीं खरीदता है तो सरकार पर ऐसा करने का दबाव बनेगा।

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए इसे वापस ले लिया गया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। माना जा रहा था कि इस ऐलान के बाद किसान अपना आंदोलन खत्म कर देंगे। लेकिन किसानों की मांग है कि जब तक मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी की एमएसपी की गारंटी वाला कानून नहीं आएगा तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। यही कारण है कि किसान अब भी आंदोलन के मूड में है और दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। इन सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मुलाकात की है।

पीएम मोदी से मुलाकात के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि एमएसपी की गारंटी देने वाला कानून फिलहाल संभव नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसानों के उत्पाद को कोई दूसरा नहीं खरीदता है तो सरकार पर ऐसा करने का दबाव बनेगा। जब खट्टर से सवाल किया गया कि क्या प्रधानमंत्री ने एमएसपी कानून को लेकर कोई चर्चा की है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अब तक इस मामले पर कोई चर्चा नहीं हुई है। एमएसपी कानून को लेकर अर्थशास्त्रियों के अलग-अलग विचार है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को इतनी आवश्यकता नहीं है और इस पर सिस्टम बनाना भी फिलहाल संभव नहीं है। आवश्यकता के अनुसार ही सरकार खरीद कर सकती हैं। 

आंदोलन का एक साल पूरा

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन का एक साल पूरा होने पर दिल्ली के तीन सीमा बिन्दुओं-सिंघू, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान एकत्र हुए। किसान संगठनों ने कहा कि आज का दिन उनके आंदोलन का एक वर्ष पूरा होने का प्रतीक है जो इतिहास में हमेशा लोगों के संघर्ष के सबसे महान क्षणों में से एक के रूप में याद किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। हालांकि किसान संगठनों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन उनका कहना है कि उनका विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगें पूरी नहीं हो जातीं।

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