अमेरिका से अन्य समझौते करने की कोई जल्दी नहींः पर्रिकर

[email protected] । Aug 30 2016 2:34PM

अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण साजो-सामान समझौता करने के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने संकेत दिए हैं कि भारत को दो अन्य बुनियादी समझौते करने की कोई जल्दी नहीं है।

वाशिंगटन। अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण साजो-सामान समझौता करने के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने संकेत दिए हैं कि भारत को दो अन्य बुनियादी समझौते करने की कोई जल्दी नहीं है। गौरतलब है कि अमेरिका बीते कई साल से इन समझौतों पर जोर दे रहा है। पर्रिकर ने अमेरिकी रक्षामंत्री एश्टन कार्टर के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस साजो-सामान समझौते को करने में हमें 12-13 साल का वक्त लगा है। लेकिन साजो-सामान समझौते का सैन्य अड्डे बनाने से घालमेल किया जा रहा है। पहले मुझे इस समझौते को जनता के बीच ले जाने दीजिए और उसे इसके बारे में विस्तार से समझाने दीजिए। उसके बाद हम दूसरे पहलुओं पर विचार करेंगे।’’

यहां पर्रिकर दो बुनियादी समझौतों के भविष्य के बारे में सवाल का जवाब दे रहे थे। ये दो बुनियादी समझौते हैं- कम्युनिकेशन्स एंड इन्फॉर्मेशन सिक्युरिटी मेमोरंडम ऑफ एग्रीमेंट (सीआईएसएमओए) और बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए) फॉर जियोस्पेटियल इंटेलिजेंस। भारत के साथ रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए अमेरिका एक दशक से भी ज्यादा समय से चार बुनियादी समझौतों पर जोर दे रहा है। ये दो बुनियादी समझौते उन्हीं का हिस्सा हैं। इन चार समझौतों में से जनरल सिक्युरिटी ऑफ मिलिटरी इन्फॉर्मेशन एग्रीमेंट (जीएसओएमआईए) साल 2002 में हुआ था जबकि लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) पर हस्ताक्षर सोमवार को हुए हैं।

रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक सीआईएसएमओए साझेदारों के बीच द्विपक्षीय और बहुराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों और अभियानों के दौरान सुरक्षित पारस्परिक संप्रेषण के लिए है। यह मित्रवत साझेदार सरकारों को इन उद्देश्यों के लिए मंजूर किए गए उपकरणों के जरिए सुरक्षित संप्रेषण उत्पादों और सूचनाओं की प्राप्ति में मदद देता है। बीईसीए के तहत भारत तथा अमेरिकी नेशनल जियोस्पेशियल इंटेलिजेंस एजेंसी (एनजीए) के बीच गैर गोपनीय और नियंत्रित गैर गोपनीय जियोस्पेशियल उत्पादों, डाटा आदि का आदान-प्रदान किया जा सकता है। इसके लिए कीमत अदा करने की जरूरत नहीं होगी। इसके तहत साझेदार सरकारें भौगोलिक, समुद्री और वैमानिक संबंधी डाटा और उत्पादों के लेन-देन पर सहमत होती हैं।

इस समझौते के जरिए भारत को विविध जियोस्पेशियल उत्पाद और प्रशिक्षण प्राप्त हो सकेगा। इसके अलावा विषय विशेष के विशेषज्ञों का आदान-प्रदान भी संभव हो जाएगा। इसके अतिरिक्त एनजीए के तहत भारत को एनजीए कॉलेज में मनचाहे प्रशिक्षण भी हासिल हो सकेंगे। जीएसओएमआईए पर हस्ताक्षर पहले ही हो चुके हैं। इसका उद्देश्य अमेरिका और साझेदार देश के बीच एक-दूसरे की गोपनीय जानकारी को संरक्षित करना है। एलईएमओए सैन्य संबंधी साजो-सामान, आपूर्ति और भारत तथा अमेरिका के बीच पुनर्भुगतान के आधार पर सेवाओं के लिए नियम बनाता है और उनके संचालन के लिए रूपरेखा भी तैयार करता है।

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