उत्तर प्रदेश की बड़ी खबरें: राज्यमंत्री ने कहा- फोटोग्राफी का कोर्स वैश्विक पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाएगा
शहीद पथ स्थित संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में भारत की कला एवं इसकी विरासत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए सिंह कहा कि हमारा देश कुशल व कौशल से परिपूर्ण है और उनके कौशल को संस्थान द्वारा शुरू किये जाने वाला फोटोग्राफी का कोर्स वैश्विक पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभायेगा।
उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद ने वर्षा की स्थिति से अवगत कराते हुए बताया कि गत 24 घंटे में प्रदेश में 5.2 मि0मी0 औसत वर्षा हुई है, जो सामान्य वर्षा से 3.7 मिमी के सापेक्ष 141 प्रतिशत है। इस प्रकार प्रदेश में 01 जून, 2021 से अब तक 721.9 मिमी औसत वर्षा हुए, जो सामान्य वर्षा 770.2 मिमी के सापेक्ष 94 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि गंगा नदी बदायूं, शारदा-खीरी, तथा क्वानों-गोंडा में खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है। प्रदेश में वर्तमान में 12 जनपदों में 156 गांव बाढ़ से प्रभावित है। प्रदेश के वर्षा से प्रभावित जनपदों में सर्च एवं रेस्क्यू हेतु एनडीआरएफ, एसडीआरएफ तथा पीएसी की कुल 59 टीमें तैनाती की गयी है, 6706 नावें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगायी गयी है तथा 1349 मेडिकल टीमें लगायी गयी है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ द्वारा 58351 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।
प्रसाद ने बताया कि अब तक कुल 350957 ड्राई राशन किट वितरित किए गये हैं। अब तक कुल 642828 फूड पैकेट वितरित किए गए हैं। प्रदेश में 286363.58 मी त्रिपाल, पीने के पानी का पाउच 270868 ली, ओआरएस के 277078 पैकेट तथा क्लोरीन के 2914093 टेबलेट वितरित किया गया है। प्रदेश में 1134 बाढ़ शरणालय तथा 1327 बाढ़ चौकी स्थापित की गयी है। प्रदेश में अब तक कुल 1909 पशु शिविर स्थापित किये गये हैं। विगत 24 घंटों में पशु टीकाकरण की संख्या 4829 तथा अब तक कुल पशु टीकाकरण की संख्या 979952 है।इसे भी पढ़ें: मथुरा में जांच के लिए आई पुलिस को बनाया बंधक, मुठभेड़ के बाद 11 लोग गिरफ्तार
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के अनुमान जारी उत्तर प्रदेश राज्य नियोजन संस्थान के अर्थ एवं संख्या प्रभाग द्वारा माह जून 2021 के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के अनुमान जारी किए गए हैं जारी अनुमान के अनुसार जून 2021 के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के सामान्य सूचकांक का त्वरित अनुमान 119.58 रहा है, यह अनुमान आधार वर्ष 2011-12 पर आधारित है। निदेशक, अर्थ एवं संख्या विवेक ने यह जानकारी देते हुए बताया कि माह जून 2021 के खनन का सूचकांक 96.25 तथा विनिर्माण का सूचकांक 121.17 रहा है जबकि विद्युत क्षेत्र का सूचकांक 140.34 रहा है। उन्होंने बताया कि उद्योगों के संदर्भ में विनिर्माण क्षेत्र के 23 उद्योग समूहों के सूचकांक भी जारी किए गए हैं। विवेक ने बताया कि उपयोग आधारित वर्गीकरण में प्राथमिक वस्तुओं, पूंजीगत वस्तुओं, मध्यवर्ती वस्तुओं, आधारभूत संरचना/निर्माण वस्तुओं, उपभोक्ता टिकाऊ और उपभोक्ता गैर टिकाऊ वस्तुओं का सूचकांक भी जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि जून 2021 के सूचकांक प्राथमिक वस्तुओं के लिए 110.70, पूंजीगत वस्तुओं के लिए 220.10, मध्यवर्ती वस्तुओं के लिए 143.09 और आधारभूत संरचना/निर्माण वस्तुओं के लिए 116.84 रहा है। उपभोक्ता टिकाऊ और उपभोक्ता गैर टिकाऊ वस्तुओं के लिए सूचकांक क्रमशः 70.01 और 117.85 रहा है। उन्होंने बताया कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के माह जून 2021 के त्वरित अनुमानों के साथ कारखानों से प्राप्त अद्युनांत आंकड़ों से मई 2021 के सूचकांक को प्रथम संशोधन के साथ अर्थात अनन्तिम सूचकांक प्रस्तुत किया गया है। जो विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। विवेक ने बताया कि अर्थ एवं संख्या प्रभाग, राज्य नियोजन संस्थान, उत्तर प्रदेश द्वारा आधार वर्ष 2011-12 पर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के माहवार त्वरित अनुमान तैयार किये जाते हैं। आधार वर्ष 2011-12 पर माहवार त्वरित अनुमान केन्द्रीय सांख्यिकीय कार्यालय, भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई रीति विधायन के अनुसार प्रदेश के विभिन्न कारखानों एवं विभागों द्वारा उपलब्ध कराये गये आंकड़ों का प्रयोग कर तैयार किये गये हैं। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा प्रदेश के पिछड़े वर्ग के दबे-कुचले एवं पीड़ित समुदाय को न्याय प्रदान करने के उद्देश्य से इन्दिरा भवन स्थित राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के कार्यालय में निरन्तर सुनवाई की जा रही है। इसी उद्देश्य की प्राप्ति हेतु गत दिवस राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जसवन्त सैनी द्वारा प्रदेश के विभिन्न जनपदों के पिछड़े वर्ग के लोगों के रक्षोपायों एवं उत्पीड़न से सम्बन्धित 32 प्रकार के वादों की सुनवाई की गई एवं महत्वपूर्ण प्रकरणों पर कार्यवाही के निर्देश दिये गये।इसे भी पढ़ें: निषाद आरक्षण के लिये कुँवर सिंह निषाद ने कहा आरक्षण नहीं तो भाजपा को वोट नहीं
आयोग में निरेन्द्र सिंह राठौर, जिला संयोजक, बरेली बनाम जिलाधिकारी बरेली, जो नगर पालिका परिषद नवाबगंज बरेली की वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष, मती शाहिला ताहिर ने पिछड़ी जाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर पिछड़ों के लिए आरक्षित नगरपालिका अध्यक्ष की सीट से चुनाव लड़कर पिछड़ों के अधिकारों के हनन के सम्बन्ध में 15 अक्टूबर 2019 को शिकायत प्राप्त हुयी थी। प्रकरण पर जिलाधिकारी बरेली द्वारा कमेटी गठित की गयी और जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति के निर्णय के उपरान्त तहसीलदार नबावगंज बरेली द्वारा 21 जनवरी, 2017 को मती शहला ताहिर के पक्ष में जारी उत्तर प्रदेश के पिछड़ी जाति के लिए जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया। यह साक्ष्य आयोग के समक्ष सुनवाई के समय जिलाधिकारी बरेली के प्रतिनिधि द्वारा प्रस्तुत किया गया। आयोग द्वारा कहा गया कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने एवं बनवाने वाली नगर पालिका अध्यक्ष व सम्बन्धित अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्व एफ0आई0आर0 दर्ज कराने की कार्यवाही की जायेगी। इसी प्रकार नीरज कुमार राजपूत बनाम प्रमुख सचिव आवास, उप्र शासन व उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण लखनऊ का प्रकरण जो प्लाट उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में था, कि सुनवाई की गयी। आयोग द्वारा प्रमुख सचिव की ओर से किसी भी प्रतिनिधि के उपस्थित न होने पर नाराजगी व्यक्त की गयी। आयोग ने कहा कि लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा पिछड़े वर्ग के प्लाटों में गड़बड़ी के सम्बन्ध में बहुत अधिक शिकायतें प्राप्त हो रही है जो खेदजनक है। सैनी ने कहा कि प्रमुख सचिव आवास, उ0प्र0 शासन व उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण पिछड़े वर्गो की शिकायतों को गम्भीरता से लेते हुए त्वरित निस्तारित करें। आयोग द्वारा कन्हइ, क्लीनर, जनपद उन्नाव बनाम प्रबन्ध निदेशक उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम लखनऊ के प्रकरण की सुनवाई की गयी, जिसमें विभाग द्वारा समस्त लम्बित देयकों का भुगतान कर दिया गया। फसल बीमा हेल्पडेस्क उत्तर प्रदेश सरकार ने समस्त जिलाधिकारियों को निर्देश जारी करते हुये कहा है कि फसल बीमा योजना के प्रभावी एवं सुचारू रूप से क्रियान्वयन हेतु जनपद एवं तहसील स्तर पर बीमा कम्पनी के फसल बीमा हेल्पडेस्क की स्थापना की जाए। बीमा कम्पनियों का कार्यालय यथासंभव जनपद अथवा तहसील स्तरीय कृषि विभाग अथवा उद्यान विभाग के परिसर में स्थापित किये जायें। कार्यालय में एकरूपता के दृष्टिगत समस्त जनपद व तहसील स्तरीय कार्यालयों का नाम पीएमएफबीवाई फैसलिटेशन सेंटर रखा जाएगा। अपर मुख्य सचिव कृषि, देवेश चतुर्वेदी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि बीमा कम्पनी अपने कार्यालयों में आवश्यक कर्मियों की तैनाती, फर्नीचर, कम्प्यूटर एवं सहवर्ती उपकरण की व्यवस्था स्वयं करेगी। चूंकि किसान कृषि विभाग के जनपदीय एवं तहसील स्तरीय कार्यालय के बारे में अच्छे से जानते हैं, इसलिए जनपदीय उप कृषि निदेशक कार्यालय एवं तहसील स्तर पर उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी के कार्यालय में एक ‘‘फसल बीमा हेल्प डेस्क’’ की स्थापना की जाए। जारी आदेश में यह भी निर्देश दिये गये हैं कि कार्यालय अवधि में हेल्प डेस्क पर बीमा कंपनी का एक कर्मचारी सदैव उपस्थित रहना चाहिए। बीमा कंपनी अपने तहसील स्तरीय कार्यालयों की सूची, कार्यरत कर्मियों के नाम, मोबाइल नंबर जिला स्तरीय कार्यालय एवं कृषि निदेशालय को उपलब्ध करायेंगी। उप कृषि निदेशक प्रत्येक माह बीमा योजनाओं की समीक्षा करेंगे, जिसमें मुख्य रूप से बीमा कम्पनियों के हेल्प डेस्क के संचालन की स्थिति, योजना के प्रचार-प्रसार, सर्वे कार्य एवं कम्पनी स्तर से क्षतिपूर्ति के वितरण आदि की समीक्षा की जायेगी। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना हेतु 50 लाख रूपए स्वीकृत उत्तर प्रदेश सरकार ने कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर में गेहूँ तथा सब्जी पर अनुसंधान के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स की स्थापना हेतु रूपये 50 लाख की धनराशि निर्गत किये जाने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। जारी की जा रही धनराशि में से गेहूँ पर अनुसंधान हेतु 25 लाख रूपये एवं सब्जी पर अनुसंधान हेतु 25 लाख रूपये स्वीकार की जा रही है। विशेष सचिव कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान, बृजराज सिंह यादव ने यह जानकारी देते हुये बताया कि इस सम्बन्ध में औपचारिक आदेश निर्गत कर दिये गये हैं। जारी आदेश के अनुसार कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर में गेहूँ तथा सब्जी पर अनुसंधान के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना हेतु लागत क्रमशः 697 लाख रूपये एवं 699.17 लाख रूपये के सापेक्ष 150-150 लाख रूपये कुल 300 लाख रूपये स्वीकार किये जा चुके हैं। उक्त शोध हेतु निर्गत की जा रही धनराशि का उपयोग सम्बन्धित शोध के संचालन हेतु ही किया जायेगा। अन्य किसी शोध में धनराशि का व्ययावर्तन अनुमन्य नहीं किया जायेगा। यह भी निर्देश दिये गये हैं कि स्वीकार की जा रही धनराशि से उपकरणों आदि का क्रय सुसंगत शासनादेशों में निहित व्यवस्था के अनुसार ही किया जायेगा। साथ ही केवल उन्हीं उपकरणों का क्रय किया जायेगा, जो शोध के लिए नितांत आवश्यक हों। शोध योजना हेतु वित्तीय एवं भौतिक लक्ष्यों का निर्धारण करते हुये विवरण शासन को उपलब्ध कराया जायेगा। शोध के संचालन हेतु निर्धारित लक्ष्यों के सम्बन्ध में पृथक से योजनावार विवरण रखा जायेगा।
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सड़कों के गड्ढ़ामुक्त कार्यों के फोटो निगरानी ऐप पर होंगे अपलोड
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कुशल दिशा-निर्देशन में प्रदेश में सड़कों की गड्ढ़ामुक्ति का कार्य अभियान के तौर पर चलाया जा रहा है। गड्ढ़ामुक्ति अभियान पूरी गतिशीलता के साथ संचालित किया जा रहा है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा पूर्व में ही सभी सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि अभियान के तहत पहले गड्ढा/जहां पैच का कार्य किया जाना है, उन स्थलों का चिन्हाकन करते हुये उनके फोटो लोक निर्माण विभाग के ‘‘निगरानी ऐप’’ पर अपलोड किये जायेंगे तथा कार्याेपरान्त कराये गये कार्य की फोटो भी निगरानी ऐप पर अपलोड किये जायेंगे। मौर्य ने यह भी निर्देश दिये हैं कि गड्ढ़ामुक्ति अभियान के तहत 50 प्रतिशत कार्य 15 अक्टूबर 2021 तक अनिवार्य रूप से पूरे किये जायं तथा सभी कार्य 15 नवम्बर 2021 तक हर हाल में पूरे कराये जायं। उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि गड्ढ़ामुक्ति कार्यों का प्रथम सत्यापन 15 से 30 अक्टूबर के मध्य कराया जाय तथा अन्तिम सत्यापन 16 से 30 नवम्बर के मध्य कराया जाय। उन्होने गड्ढ़ामुक्ति अभियान को पूरी गम्भीरता, संवेदनशीलता व इमानदारी के साथ संचालित किये जाने की आवश्यकता पर बल देते हुये कहा है कि अधिकारी कार्यों की निगरानी में कोई कोताही न बरतें, गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जायेगा। कार्यों में हीलाहवाली या लापरवाही किये जाने पर सम्बन्धित के विरूद्ध कठोरतम कार्यवाही की जायेगी। उपमुख्यमंत्री ने निर्देश दिये हैं कि रू 25 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं का निरीक्षण सम्बन्धित जोन के मुख्य अभियन्ता अनिवार्य रूप से करेंगे तथा निरीक्षण रिपोर्ट लोक निर्माण विभाग के विश्वकर्मा ऐप पर अपलोड करेंगे तथा रू 05 करोड़ से 25 करोड़ तक के कार्यों का निरीक्षण अधीक्षण अभियन्ता करेंगे और निरीक्षण आख्या ‘‘विश्वकर्मा ऐप’’ पर अपलोड करेंगे। प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग नितिन रमेश गोकर्ण ने गड्ढ़ामुक्ति अभियान की जानकारी देते हुये बताया कि अब तक 40553 स्थल/गड्ढ़ों के फोटोग्राफ्स लोक निर्माण विभाग के ‘‘निगरानी ऐप’’ पर अपलोड किये जा चुके हैं और गड्ढ़ामुक्ति के कार्यों में और अधिक तेजी लाने के निर्देश दिये गये हैं। प्रमुख सचिव ने सम्बन्धित अधिकारियों/अभियन्ताओं को निर्देश दिये हैं कि वह सभी परियोजनाओं के निरीक्षण के साथ-साथ उनकी गहन व नियमित समीक्षा करें और टाईम-टेबल बनाकर निर्धारित समय के अन्दर कार्यों को पूरा करायें तथा निरीक्षण रिपोर्ट व फोटोग्राफ सम्बन्धित ऐप पर अपलोड करें। लोक निर्माण विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अब तक 349263 किमी सड़कों को गड्ढ़ामुक्त कराया गया है, जिसका वार्षिक औसत लगभग 77614 किमी है। फोटोग्राफी का कोर्स वैश्विक पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभायेगा उप्र डिजाइन एवं शोध संस्थान, लखनऊ एवं इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ फोटोग्राफी एकेडमी, नोएडा (आईआईपी) के संयुक्त तत्वाधान में ‘‘काशी एक उत्सव’’ का आयोजन किया गया।इसे भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश की बड़ी खबरें: 13 जनपदों में 293 गांव बाढ़ से प्रभावित, फूड पैकेट किए जा रहे वितरित
उत्तर प्रदेश सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। शहीद पथ स्थित संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में भारत की कला एवं इसकी विरासत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए सिंह कहा कि हमारा देश कुशल व कौशल से परिपूर्ण है और उनके कौशल को संस्थान द्वारा शुरू किये जाने वाला फोटोग्राफी का कोर्स वैश्विक पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभायेगा।
संस्थान की अध्यक्ष मती क्षिप्रा शुक्ला ने कहा कि उ0प्र0 डिजाइन एवं शोध संस्थान अपने अन्य कोर्स के साथ-साथ फोटोग्राफी का भी कोर्स शुरू करने जा रहा है। उत्तर प्रदेश के उत्पादों को लोकल से ग्लोबल बनाने में फोटोग्राफी का विशेष महत्व होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर जिले में विशेष उत्पाद है। राज्य सरकार ने ओडीओपी कार्यक्रम के माध्यम से पारंपरिक उत्पादों एवं कलाओं को वैश्विक पहचान दिलाई है। फोटोग्राफी के माध्यम से प्रदेश के अन्य उत्पादों को आकर्षक रूप ऑनलाइन प्लेटफार्म पर प्रस्तुत करने में मदद मिलेगी। कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक प्रो डीपी सिंह सहित समाजिक कार्यकर्ता कपिल मिश्रा, प्रख्यात स्तम्भकार नवलकांत सिन्हा तथा आईआईपी के निदेशक राजेश गोयल उपस्थित थे। प्रवेश परिणाम घोषित विशेष सचिव, व्यावसासयिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग/अधिशासी निदेशक, एस0सी0वी0टी0 हरिकेश चौरसिया ने सर्व साधारण को सूचित किया जाता है कि राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा प्रदेश में चल रहे राजकीय/निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आई0टी0आई0) में सत्र 2021 के द्वितीय चरण व राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का प्रथम चरण के आवंटन के पश्चात उच्चीकरण का प्रवेश परिणाम घोषित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि अभ्यर्थी अपने प्रवेश परिणाम की जानकारी के लिए वेबसाइट-पर देख सकते हैं। द्वितीय चरण के प्रवेश की अंतिम तिथि 29 सितम्बर, 2021 दिन बुधवार (अवकाश सहित) निर्धारित की गयी है। अभ्यर्थी दिये गये लिंक पर क्लिक कर एवं अपना पंजीकरण संख्या और जन्मतिथि अंकित कर सकते हैं। यदि अभ्यर्थी का प्रवेश हुआ है, तो उसका बुलावा पत्र प्रदर्शित होगा, जिसका प्रिन्ट वह प्राप्त कर सकता है। अभ्यर्थी द्वारा ऑनलाइन आवेदन में दिये गये मोबाइल नम्बर पर चयनित अभ्यर्थी को उसके प्रवेश की सूचना एसएमएस द्वारा भी दी जा रही है। प्रवेश न होने की दशा में उसकी रैंक सूचना सहित प्रदर्शित होगी तथा अभ्यर्थी को अगले प्रवेश चरण की प्रतीक्षा करनी होगी। प्रवेशित अभ्यर्थी अपने बुलावा पत्र की प्रति, समस्त मूल प्रमाण-पत्रों, अंक पत्रों की प्रति एवं उनकी एक-एक प्रमाणित प्रति तथा दो पासपोर्ट साइज फोटो के साथ सम्बन्धित प्रवेशित संस्थान के प्रधानाचार्य से अन्तिम निर्धारित तिथि के पूर्व सम्पर्क करके संस्थान में उपलब्ध प्रवेश लिस्ट से जॉच करवाने के उपरान्त अपना प्रवेश लेना होगा। उन्होंने कहा कि अभ्यर्थी बुलावा पत्र में अंकित विवरण के अनुसार राजकीय संस्थान में प्रवेश के समय अपग्रेडेशन प्रक्रिया में भाग लेने की स्थिति के अनुसार थ्तमम्रम (स्थिर) एवं थ्सवंज (विस्थापित) उपरोक्त दोनों विकल्पों में से किसी एक विकल्प का चयन करते हुए प्रवेश की कार्यवाही पूर्ण करानी होगी। पंजीकृत गन्ना किसानों को आईडी अपलोड करने की अनिवार्यता खत्म प्रदेश के गन्ना किसानों को उत्कृष्ट डिजिटल सुविधा प्रदान करने तथा उनके समय तथा धन की बचत कराने एवं विभागीय टोल-फ्री नम्बर पर प्राप्त किसानों के सुझावों के दृष्टिगत ई.आर.पी. की वेबसाइट-मदुनपतलण्बंदमनचण्पद पर ऑनलाइन घोषणा-पत्र भरवाने सम्बन्धी प्रकिया को कृषक हित में और अधिक सरल बना दिया गया है।इसे भी पढ़ें: दुनिया जब वैश्विक महामारी से जूझ रही थी, उत्तर प्रदेश के एनसीआर में हुए बड़े निवेश : योगी आदित्यनाथ
प्रोजेक्ट के अन्तर्गत गन्ना किसान वर्तमान में बहुत तेजी से घोषणा-पत्र ऑनलाइन भर रहे हैं। विभाग के टोल-फ्री नम्बर 1800-121-3203 पर किसानों एवं विभागीय अधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया कि सभी किसानों द्वारा एक साथ घोषणा-पत्र भरने तथा आवेदन करने से प्रोजेक्ट की वेबसाइट की गति धीमी हो गयी थी, जिससे ऑनलाइन आवेदन एवं घोषणा-पत्र भरने की प्रक्रिया पूर्ण करने में अधिक समय लग रहा था।
भूसरेड्डी ने बताया कि गन्ना किसानों की इस समस्या का त्वरित संज्ञान लेते हुए विभागीय अधिकारियों तथा ैळज्ञ प्रोजेक्ट के सेवा प्रदाता से तत्काल वार्ता की गयी तथा ऑनलाइन सदस्यता एवं घोषणा-पत्र भरने की प्रक्रिया को और अधिक सरलीकृत किया गया। जिसके तहत अब किसानों को लॉगिन के लिए आई.डी. अपलोड करने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि अब केवल अपने आधार नम्बर या बैंक एकाउन्ट नम्बर के अन्तिम चार अंकों के साथ पंजीकृत मोबाईल नम्बर डालने से ऑनलाइन घोषणा-पत्र भरने आदि के लिए साइट ओपन हो जाएगी। यदि किसान का आधार नम्बर, बैंक खाता संख्या एवं मोबाइल नम्बर पंजीकृत नहीं है तो किसानों को अपनी समितियों से सम्पर्क कर इन्हें पंजीकृत कराना होगा। इस निर्णय से पंजीकृत गन्ना किसानों को काफी सुविधा होगी जहॉं पूर्व में वेबसाइट ओपन करने के लिए आधार कार्ड, आई.डी. आदि अपलोड करनी पड़ती थी। अब इसकी आवष्यकता नहीं रहेगी तथा किसानों के श्रम एवं समय की बचत होगी। वेबसाइट के सर्वर पर डाटा अपलोडिंग का लोड कम होने से वेबसाइट की गति भी और तीव्र हो जाएगी, तथा किसानों के वेबसाइट से सम्बन्धित सभी कार्य त्वरित गति से पूर्ण किये जा सकेगें। यहॉं यह भी उल्लेखनीय है कि विभाग द्वारा विगत सप्ताह किसानों की सुविधा हेतु ऑनलाइन घोषणा-पत्र भरते समय राजस्व खतौनी को अपलोड करने की अनिवार्यता को भी समाप्त किया गया था। उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए किया आमंत्रित उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना से आज विधान भवन स्थित उनके कार्यालय कक्ष में भारत में सिंगापुर के उच्चायुक्त साइमन वांग वी कुन के नेतृत्व में तीन सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल ने भेंट की। उन्होंने उत्तर प्रदेश में लॉजिस्टक, इंट्रीग्रेटेड टाउनशिप एवं डाटा सेंटर के क्षेत्र में निवेश करने पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि सिंगापुर की दो कंपनियां नोएडा में डाटा सेंटर की स्थापना करना चाहती हैं। साथ ही एक अन्य कंपनी कानपुर में एग्रो के क्षेत्र में निवेश की इच्छुक है। इसके अलावा वाराणसी में भी निवेशक स्किल सेंटर के क्षेत्र में निवेश करना चाहते हैं। उन्होंने उद्यम स्थापना हेतु भूमि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया। सिंगापुर के प्रतिनिधि मण्डल ने अवगत कराया कि सिंगापुर के निवेशक उत्तर प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के क्षेत्र में निवेश के लिए उत्सुक है। उन्होंने कहा कि भारत और सिंगापुर के बीच व्यापारिक रिश्ते काफी मजबूत हैं। उत्तर प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र के विकास मंे सिंगापुर के उद्यमी अपना अहम योगदान दे सकते हैं। लॉजिस्टिक, कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश की बड़ी संभावनाएं हैं। सिंगापुर के उद्यमी उत्तर प्रदेश ईज ऑफ डूईंग बिजनेस से काफी प्रभावित हैं। दादरी एवं जेवर का मास्टर प्लान उद्यमियों को निवेश के लिए आकर्षित कर रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिवेश में विश्व की बहुत सी इलेक्ट्रानिक कंपनियां चीन से बाहर जा रही हैं। उत्तर प्रदेश ऐसी कंपनियों को अपने यहां आकर्षित करने के लिए बेहतर विकल्प साबित होगा। प्रतिनिधि मण्डल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए अनुकूल माहौल है। यहां उद्योग लगाने पर आसानी से दक्ष कारीगर उपलब्ध होंगे और निवेशकों को बड़ा उपभोक्ता बाजार भी मिलेगा। उत्तर प्रदेश में आधारभूत अवस्थापना सुविधाओं को बेहतर विकास हुआ है। इसके फलस्वरूप उत्तर प्रदेश सिंगापुर के निवेशकों हेतु नम्बर वन हाट-स्पाट बन गया है। प्रदेश की निवेश नीति के तहत परियोजनाओं का कार्यान्वयन तीव्र गति से होने के करण निवेशक काफी प्रभावित हैं। औद्योगिक विकास मंत्री ने प्रतिनिधि मण्डल से सिंगापुर के निवेशकों को उत्तर प्रदेश मंे निवेश के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि सरकार निवेशकों को हर प्रकार की सहूलियत एवं सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। जिसके कारण कई देशों से निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं और शीघ्र ही बहुत से क्षेत्रों में उद्योग स्थापित होने की संभावना है। सिंगापुर के साथ भी निवेश के विकल्प खुले हैं। उन्हांेने कहा कि प्रदेश में सड़क एवं वायु परिवहन सेवाओं को बेहतर बनाया गया है। डिमाण्ड एवं सप्लाई चेन को मजबूत किया गया है। निवेश को आकर्षित करने के लिए पारदर्शी नीति लागू की गई है। प्रदेश में उद्यम स्थापना हेतु पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव, औद्योगिक विकास अरविन्द कुमार, विशेष सचिव औद्योगिक विकास मुत्थू स्वामी उपस्थित थे।इसे भी पढ़ें: ओवैसी के पोस्टर में संभल को बताया गया गाजियों की धरती, भाजपा ने कहा- कोई भी शहर गाजियों का नहीं रहा और ना ही हम होने देंगे
पुल/पुलियों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण हेतु धनराशि अवमुक्त सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा जनपद सहारनपुर में पूर्वी यमुना नहर प्रणाली के राजवाहों एव माइनरों पर क्षतिग्रस्त पुल/पुलियों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण की परियोजना हेतु प्राविधानित धनराशि 243.04 लाख रूपये के सापेक्ष कुल धनराशि परियोजना के अवशेष कार्यों पर व्यय करने हेतु अवमुक्त किये जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस संबंध में विशेष सचिव सिंचाई मुश्ताक अहमद की ओर से आवश्यक शासनादेश जारी करते हुए निर्देशित किया गया है कि सक्षम स्तर से तकनीकि स्वीकृति प्राप्त करने के पश्चात ही कार्य शुरू कराया जाये। विभाग द्वारा नियमानुसार समस्त आवश्यक वैधानिक आपत्तियां एवं पर्यावरणीय क्लीयरेंस सक्षम स्तर से प्राप्त करके ही निर्माण कार्य कराया जाये। इसके अलावा परियोजना का निर्माण कार्य समय से पूरा कराने के साथ ही धनराशि व्यय करते समय शासन द्वारा समय-समय पर जारी सुसंगत शासनादेशों का अनुपालन अनिवार्य रूप से किया जाये। धनराशि का व्यय स्वीकृत परियोजनाओं पर ही किया जाये ऐसा न किये जाने पर किसी प्रकार की अनियमितता के लिए विभाग की जिम्मेदारी होगी। स्वीकृत धनराशि का उपयोग स्वीकृत परियोजनाओं पर ही किया जाये। ऐसा न किये जाने पर किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर समस्त उत्तरदायित्व विभाग का होगा। भूमि सिंचन क्षमता प्रदेश के 30 जनपदों के डार्क जोन में स्थित 569 खराब राजकीय नलकूपों के पुनर्निर्माण की परियोजना के लिए 173.34 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृति की गई है। अगले दो वर्षों में इस परियोजना के सभी कार्यों को पूरा कराने का लक्ष्य रखा गया है। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार इन 30 जनपदों के डार्क जोन में स्थित 569 नलकूपों के पुनर्निर्माण के पूरा होने पर 56900 हे0 सिंचन क्षमता की पुनर्स्थापना होगी और लगभग 39800 किसान परिवारों को लाभ मिलेगा। इसी प्रकार 73 जनपदों में 6600 राजकीय नलकूपों के आधुनिकीकरण की परियोजना हेतु 285.80 करोड़ रुपये धनराशि स्वीकृत की गई है। इसे 03 वर्षों में परियोजना के पूरा होने पर 76098 हे सिंचन क्षमता की पुनर्स्थापना होगी और लगभग 70,000 किसान परिवार लाभान्वित होंगे। जल जीवन मिशन कार्यक्रम उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बुन्देलखण्ड एवं विन्ध्य क्षेत्र में पाइप पेयजल के माध्यम से जलापूर्ति की जा रही है। इस क्रम में बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 7 जनपदों में ‘जल जीवन मिशन योजना’ के अन्तर्गत 32 पैकेज के अन्तर्गत कुल 467 पाइप पेयजल योजनायें निर्माणाधीन है, जिसमें से 43 सतही जल आधारित योजनायें एवं 424 भूजल आधारित योजनायें हैं। विन्ध्य क्षेत्र के 2 जनपदों के अन्तर्गत 17 पैकेज के अन्तर्गत कुल 162 पाइप पेयजल योजनायें निर्माणाधीन हैं, जिसमें से 22 सतही जल आधारित योजनायें एवं 140 भूजल आधारित योजनायें हैं। नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग से उपलब्ध जानकारी के अनुसार बुन्देलखण्ड एवं विन्ध्य क्षेत्र में 9 जनपदों के अन्तर्गत निर्माणाधीन पेयजल योजनाओं को मार्च, 2022 तक पूर्ण किया जाना है, परन्तु इन समस्त योजनाओं को माह दिसम्बर 2021 तक पूर्ण किये जाने हेतु युद्ध स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। इस 49 पैकेज के अन्तर्गत कुल 629 योजनाओं के पूर्ण होने के उपरान्त कुल 6784 राजस्व ग्राम आच्छादित होंगे एवं 1.13 करोड़ आबादी लाभान्वित होगी तथा कुल 18.64 लाख घरों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति होगी। जल जीवन मिशन कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 2020-21 में रू0 2648 करोड़ व्यय किये गये हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 में योजनान्तर्गत रू0 15000 करोड़ का बजट रखा गया है, जिसके सापेक्ष विगत जुलाई, 2021 तक कुल रू0 947.71 करोड़ की धनराशि व्यय की जा चुकी है।
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