कोरोना वायरस से निपटने की लड़ाई में अब कैदी भी साथ, बना रहे हैं मास्क और सैनिटाइजर

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अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों, सरकारी विभागों और सूचना प्रौद्योगिकी कम्पनियों की ओर से इनकी बढ़ती मांग को देखते हुए राज्य में केन्द्रीय कारागार और जिला जेलों ने मास्क और सैनिटाइजर के निर्माण को बढ़ा दिया है।

हैदराबाद। वैश्विक महामारी कोविड-19 से निपटने की राष्ट्र की लड़ाई में शामिल होते हुए तेलंगाना जेलों के कैदियों ने डॉक्टरों, पुलिस कर्मियों, चिकित्सा कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के अन्य कर्मियों के लिए मास्क और सैनिटाइजर बनाना शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों, सरकारी विभागों और सूचना प्रौद्योगिकी कम्पनियों की ओर से इनकी बढ़ती मांग को देखते हुए राज्य में केन्द्रीय कारागार और जिला जेलों ने मास्क और सैनिटाइजर के निर्माण को बढ़ा दिया है। उन्होंने बताया कि इन मास्क को आप धोकर दोबार इस्तेमाल भी कर सकते हैं। वहीं मास्क और सैनिटाइजर की कीमत बाजार में मौजूद उत्पादों से कम है। उन्होंने बताया कि तेलंगाना कारागार विभाग प्रकोष्ठ इनकी बिक्री ‘माय नेशन’ ब्रांड के अधीन करता है। इसके साथ ही वह एक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता किट भी लाए हैं, जिसमें मास्क (जिसे धो सकते हैं), हैंड सैनिटाइजर, हैंडवॉश, नहाने का साबुन और फिनाइल है। उन्होंने बताया कि कैदियों को केमिस्ट ने सैनिटाइजर बनाने का प्रशिक्षण दिया है। वहीं मास्क जेल में मौजूद प्रशिक्षित टेलर बना रहे हैं। 

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अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें मास्क और हैंड सैनिटाइजर बनाने का पहले से कोई अनुभव नहीं था लेकिन कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर हमने कैदियों को इसके लिए प्रशिक्षित कराने की पहल की।’’ उन्होंने बताया कि हैदराबाद के चंचलगुडा और चेरलापल्ली केंद्रीय जेलों में हैदराबाद और अन्य जिला जेल में रोजाना करीब नौ हजार मास्क और तीन हजार लीटर सैनिटाइजर बनाया जाता है। अधिकारी ने बताया कि कारागार विभाग इनकी आपूर्ति चिकित्सा तथा स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों, पुलिस, बिजली इकाई, डाक विभाग के कर्मियों सहित अन्य सरकारी एजेंसियों को करता है।

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डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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