योगी सरकार के आदेश को प्रियंका ने बताया लोकतंत्र पर हमला, बोलीं- जाति और धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करना अपराध
कांग्रेस महासचिव ने आगे लिखा कि उत्तर प्रदेश में ठेलों, खोमचों और दुकानों पर उनके मालिकों के नाम का बोर्ड लगाने का विभाजनकारी आदेश हमारे संविधान, हमारे लोकतंत्र और हमारी साझी विरासत पर हमला है।
उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर भोजनालयों के लिए मालिकों का नाम प्रदर्शित करना अनिवार्य बनाने के निर्देश को लेकर योगी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। विपक्ष के साथ साथ भाजपा के कई सहयोगी भी योगी सरकार के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी एक्स पोस्ट को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा कि हमारा संविधान हर नागरिक को गारंटी देता है कि उसके साथ जाति, धर्म, भाषा या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं होगा।
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कांग्रेस महासचिव ने आगे लिखा कि उत्तर प्रदेश में ठेलों, खोमचों और दुकानों पर उनके मालिकों के नाम का बोर्ड लगाने का विभाजनकारी आदेश हमारे संविधान, हमारे लोकतंत्र और हमारी साझी विरासत पर हमला है। उन्होंने कहा कि समाज में जाति और धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करना संविधान के खिलाफ अपराध है। यह आदेश तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और जिन अधिकारियों ने इसे जारी किया है, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
वहीं, निर्देश जारी होने के बाद, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने न्यायपालिका से इस कदम के पीछे "सरकार की मंशा" की जांच करने के लिए मामले का स्वत: संज्ञान लेने को कहा। अखिलेश ने लिखा … और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? उन्होंने कहा कि माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जाँच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।
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कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "सिर्फ राजनीतिक दलों को ही नहीं, सभी सही सोच वाले लोगों और मीडिया को इस राज्य प्रायोजित कट्टरता के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। हम भाजपा को देश को अंधेरे युग में वापस धकेलने की अनुमति नहीं दे सकते।" वर यात्रा 22 जुलाई से शुरू होने वाली है। जुलूस की तैयारी में, मुजफ्फरनगर जिले में पुलिस ने एक आदेश जारी कर कांवर यात्रा मार्ग पर सभी भोजनालयों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर अपने मालिकों के नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने के लिए कहा। विपक्षी दलों ने इस कदम को मुस्लिम व्यापारियों को निशाना बनाने के रूप में देखा।
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