नाबालिग के साथ दरिंदगी करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास और अर्थदंड की सज़ा

Punishment for life imprisonment
दिनेश शुक्ल । Feb 9 2021 1:27PM

वहां मौजूद हमालों ने पीडिता के परिवारजनों को बताया कि आरोपित अंशुल निवस्त्र होकर नन्हीं बालिका के साथ गलत कार्य कर रहा था, जिसे उन लोगों ने पकड़ लिया। जिसकी पीड़िता के परिवारजनों ने उगली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।

सिवनी। मध्य प्रदेश में सिवनी जिला न्यायालय के विशेष न्यायाधीश (बालको का संरक्षण अधिनियम 2012) सुमन उइके की न्यायालय ने सोमवार को जघन्य एवं सनसनीखेज एक प्रकरण में धारा 376 (ए) (बी) भा.द.वि. के अपराध में आजीवन कारावास एवं 1000 रुपये अर्थदण्ड दिये जाने का निर्णय सुनाया है। साथ ही पीड़ित को प्रतिकर दिलाये जाने की अनुशंसा की है।

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जिला मीडिया सेल प्रभारी मनोज कुमार सैयाम ने बताया कि जिले के उगली थाना में वर्ष 2019 में धारा 376, 376 (ए),(बी), भा.द.वि. एंव 5,6 पॉक्सो अधिनियम 2012 दर्ज किया गया था। दर्ज प्रकरण में आरोपित अंशुल (19) पुत्र सुरेश गिरी गोस्वामी निवासी उगली थाना क्षेत्र के द्वारा 11 मार्च 2019 की शाम 05.30 बजे 03 वर्ष 06 माह की मासूम बालिका को गांव की ओर घुमाने के बहाने रोड़ तरफ ले जाया गया और जहां ग्राम के स्कूल के मैदान पर मासूम बालिका की रोने की आवाज सुनकर नन्ही बालिका की दादी और मां गई। जहां पर स्कूल की परछी के धान के सब कंट्रोल में धान की ढुलाई कर रहे हमालों के द्वारा आरोपित अंशुल को पकड़कर रखा गया था और नन्हीं बालिका को भी गोद में हमालों ने उठाया रखा था।

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वहां मौजूद हमालों ने पीडिता के परिवारजनों को बताया कि आरोपित अंशुल निवस्त्र होकर नन्हीं बालिका के साथ गलत कार्य कर रहा था, जिसे उन लोगों ने पकड़ लिया। जिसकी पीड़िता के परिवारजनों ने उगली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। जिस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर विवेचना में लेकर जांच उपरांत प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर आरोपित के विरूद्ध अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया था। जिसकी सुनवाई सोमवार 08 फरवरी को विशेष न्यायाधीश श्रीमति सुमन उइके (बालको का संरक्षण अधिनियम 2012), की न्यायालय में की गई।

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बताया गया कि अभियोजन के तर्को के आधार पर न्यायालय ने आरोपित अंशुल गिरी गोस्वामी को सर्वाधिक दंड प्रावधानित धारा 376 (ए) (बी) भा.द.वि. के अपराध में आजन्म कारावास जो कि प्राकृतिक जीवन काल के लिए होने एवं 1000 रुपये अर्थदण्ड दिये जाने का निर्णय सुनाया और पीडिता को प्रतिकर दिलाये जाने की अनुशंसा की है।

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