चुनाव प्रचार में नये तेवर के साथ उतरे राहुल गांधी पर मुद्दे वही पुराने हैं

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अंकित सिंह । Oct 14 2019 1:59PM

राहुल ने अपने भाषण में रोजगार, अर्थव्यव्स्था और PMC का भी मुद्दा उठाया और सरकार से कई सवाल पूछे पर अब सबसे ज्यादा चर्चा राफेल पर होगी। राहुल ने अगर ये राग फिर से छेड़ा है तो भाजपा उसे चुनावी रंग में जरूर भिगोएगी।

लोकतंत्र और चुनाव एक दूसरे के पूरक हैं और नेता के बगैर चुनाव की संभावना बेहद कम होती है। लोकतंत्र में चुनाव के मौके पर एक पार्टी के नेता दूसरी पार्टी के नेताओं पर हमलावर रहते हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के दो राज्यों में चुनाव हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा में राजनीतिक दल अपने प्रचार-प्रसार को लेकर बेहद ही सक्रिय हैं। सभी पार्टियां अपने-अपने बड़े नेताओं के जरिए लोगों को लुभाने में लगी हैं। वर्तमान में देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, देवेंद्र फडणवीस और मनोहर लाल खट्टर जैसे बड़े नेताओं के भरोसे है और सत्ता में वापसी की उम्मीद पाले है। वहीं देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस एक बार फिर गांधी नेहरु परिवार के भरोसे ही दिख रही है। हालांकि पार्टी के बड़े नेता भी चुनाव प्रचार में हैं पर प्रत्याशियों की मांग गांधी परिवार के सदस्य हैं। उम्मीदवार हों या फिर कार्यकर्ता, सभी चाहते हैं कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी उनके लिए प्रचार करें। फिलहाल सोनिया अपनी सेहत की वजह से प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं। प्रियंका गांधी भी चुनाव प्रचार में जा सकती हैं। लेकिन मीडिया का कैमरा एक चेहरे को ढूंढ रहा था।  

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काफी असमंजस की स्थिति के बाद अखिरकार रविवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी महाराष्ट्र के चुनाव प्रचार में उतरे। राहुल ने एक के बाद एक तीन रैलियां कीं और मोदी सरकार पर खूब बरसे। लेकिन एक बार फिर उनकी चुनावी भाषण में राफेल आ ही गया। कुछ दिन पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राफेल की शस्त्र पूजा की। इस पूजा के बाद एक बार फिर राफेल चुनावी मुद्दा बन गया है। लेकिन राहुल के एंट्री ने एक बात फिर से कहा जाने लगा कि राफेल को लेकर कांग्रेस अपनी स्टैंड बदलने वाली नहीं है। हालांकि यह बात पार्टी को अच्छे से पता है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी को इससे काफी नुकसान हुआ था। फिर भी राहुल ने इस चुनाव में भी इस मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक यह मान रहे हैं कि एक बार फिर राहुल ने भाजपा को राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव लड़ने का मौका दे दिया है। शायद भाजपा चाहती भी यहीं है। फिर विकास का मुद्दा कहीं पीछे छूट जाता है। हालांकि कांग्रेस राफेल की शस्त्र पूजा पर सवाल उठा कर पहले ही अपना राजनीतिक नुकसान कर चुकी है। भाजपा शस्त्र पूजा को हिन्दू संस्कृति से जोड़कर कांग्रेस पर हमलावर है। राहुल ने भले ही इस बार चौकीदार चोर है का नारा नहीं दिया है पर राफेल को लेकर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दे रहे हैं। 

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मुंबई के चांदिवली विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि ऐसा लगता है कि राफेल सौदा अब भी भाजपा को परेशान कर रहा है। अगर नहीं कर रहा तो राजनाथ सिंह पहला लड़ाकू विमान ग्रहण करने के लिये फ्रांस क्यों गए? उन्होंने कहा कि रक्षा अधिकारियों ने भी दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राफेल लड़ाकू विमान सौदे में दखल दे रहे हैं। इस सच से कोई नहीं भाग सकता, ना तो नरेंद्र मोदी, ना ही अमित शाह और ना ही भाजपा। एक दिन सच उन्हें पकड़ेगा। राहुल ने कहा कि हर कोई जानता है कि राफेल सौदा विवादास्पद था और ‘‘कुछ रिश्वत दिए गए थे।’’ सौदा अभी भी (भाजपा को) परेशान कर रहा। इसी कारण से हमारे रक्षा मंत्री पहला लड़ाकू विमान लेने फ्रांस गए थे। अब तक कोई भी इस तरह लड़ाकू विमान लेने आपूर्ति करने वाले देश नहीं गया था। राहुल के ये आरोप भाजपा को इसके मजबूत पक्ष को लोगों के समक्ष एक बार फिर रखने का बड़ा मौका दे रहे हैं। तभी तो अपनी हर रैली में भाजपा के बड़े नेता राफेल का जिक्र कर कांग्रेस से सवाल करते हैं। हां, एक बात जो राहुल के चुनावी प्रचार में सुनाई नहीं दी वद थी 'चौकीदार चोर है' का नारा। राहुल ने भी प्रधानमंत्री के लिए अपने बयाने में वैसी कटुता नहीं दिखाई जो लोकसभा चुनाव के समय देखने को मिलती थी। 

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राहुल ने अपने भाषण में रोजगार, अर्थव्यव्स्था और PMC का भी मुद्दा उठाया और सरकार से कई सवाल पूछे पर अब सबसे ज्यादा चर्चा राफेल पर होगी। राहुल ने अगर ये राग फिर से छेड़ा है तो भाजपा उसे चुनावी रंग में जरूर भिगोएगी। अपने अंर्तकलह से जूझ रही कांग्रेस के राहुल के प्रचार में लोटने से उम्मीदें तो बहुत हैं पर भाजपा की चनौती से वे कैसे निपटेंगे, इसको लेकर आशंका के बादल कायम हैं। यह तमाम आरोप वहीं है जो राहुल लोकसभा चुनाव के समय में भी मोदी सरकार पर लगाते रहे हैं पर वहां मुंह की खानी पड़ी थी। कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटने के बाद राहुल की राजनीतिक समझ और गंभीरता पर भी सवाल उठ रहे है। चुनावी तैयारियों के बीच उनका विदेश दौरा भी विरोधियों को सवाल दागने का एक अच्छा मौका दे गया है। भाजपा भी राहुल के चुनाव प्रचार में उतरने को लेकर मजे ले रही है। तभी तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार अभियान के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मौजूदगी का मतलब है कि भाजपा ‘‘100 प्रतिशत’’ जीतने जा रही है। खैर अब देखना यह है कि राहुल कांग्रेस की नैया को पार लगाने में कामयाब हो पाते हैं या फिर एक बार फिर उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ेगा। 

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