राज्यसभा चुनाव: आजम-शिवपाल पर टिकी रहेंगी सबकी नजरें

Azam and Shivpal
ANI
अजय कुमार । May 13 2022 3:58PM

सपा प्रमुख अखिलेश यादव कह रहे हैं कि आजम खान उनके साथ हैं,लेकिन जिस तरह से आजम समर्थक अखिलेश पर हमलावर हैं और पिछले दिनों जेल में बंद आजम खान ने सपा विधायक रविदास महरोत्रा जिन्हें अखिलेश का प्रतिनिधि माना जा रहा था, से मिलने से इंकार कर दिया था,उससे आजम को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं।

लखनऊ| उत्तर प्रदेश की सियासत में दस जून का दिन काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। इस दिन उत्तर प्रदेश से रिक्त होने वाली राज्यसभा की 11 सीटों के लिए मतदान होना है।सभी 11 सीटों पर नतीजे लगभग तय हैं। आठ सीटें भाजपा और तीन सीटें सपा की झोली में गिरती दिख रही हैं। इन चुनावों में बसपा और कांग्रेस के पास हासिल करने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन यह चुनाव इस हिसाब से महत्वपूर्ण होंगे कि समाजावादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं सपा विधायक शिवपाल यादव किस तरफ खड़े नजर आएंगे या फिर तटस्थ रहेगें। शिवपाल यादव तो अपने भतीजे अखिलेश यादव से नाराज चल ही रहे हैं,लेकिन आजम को लेकर अभी सब कुछ स्पष्ट नहीं है।

इसे भी पढ़ें: 'सबसे ज्यादा भाजपा नेताओं के बने हैं गैर कानूनी घर', आजम खान पर भी खूब बोले अखिलेश यादव

सपा प्रमुख अखिलेश यादव कह रहे हैं कि आजम खान उनके साथ हैं,लेकिन जिस तरह से आजम समर्थक अखिलेश पर हमलावर हैं और पिछले दिनों जेल में बंद आजम खान ने सपा विधायक रविदास महरोत्रा जिन्हें अखिलेश का प्रतिनिधि माना जा रहा था, से मिलने से इंकार कर दिया था,उससे आजम को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। यह कयास कितने सही हैं यह राज्यसभा चुनाव में वोटिंग से तय हो जाएगा।वैसे राजनैतिक पंडित तो यही कह रहे हैं कि हो सकता है आजम खान राज्यसभा चुनाव में वोटिंग ही नहीं करें। क्योंकि सभी 11 राज्यसभा सीटों की लड़ाई सपा और भाजपा के बीच सिमटी हुई है,यदि आजम सपा के पक्ष में वोटिंग नहीं करेंगे तो उन्हें भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में खड़ा होना पड़ेगा,जो आजम को शायद ही कभी मंजूर हो,वहीं शिवपाल के साथ ऐसी कोई खास मजबूरी नहीं है,उनकी बीजेपी नेताओं से नजदीकी देखी भी जा रही है। यह तय है कि राज्यसभा चुनाव को लेकर सपा और भाजपा दोनों के द्वारा ही अपने जनप्रतिनिधियों के लिए व्हिप जारी किया जाएगा,लेकिन यदि सपा के व्हिप का उल्लंघन करके शिवपाल यादव वोटिंग करेंगे तो भी पार्टी के पास उनके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए कुछ खास नहीं होगा,वह चुनाव आयोग और विधानसभा अध्यक्ष से शिवपाल की सदस्यता समाप्त करने को कह सकते हैं,लेकिन ऐसे मामलों में किसी की सदस्यता समाप्त होते कम ही देखा गया है। 

इसे भी पढ़ें: विवाह समारोह में एक साथ दिखे अखिलेश और शिवपाल, एक साथ बैठे फिर भी नहीं की बात

बहरहाल, बात आजम और शिवपाल यादव से आगे की कि जाए तो विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और विधायक ओम प्रकाश राजभर के रिश्ते भी सपा प्रमुख से अच्छे नजर नहीं आ रहे हैं।उनके बीजेपी नेताओं से नजदीकियो से भी खबरें आ रही हैं,वैसे भी ओम प्रकाश राजभर बीजेपी के साथ रह चुके हैं,पिछली योगी सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री थे। वर्तमान विधान सभा में ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के छहः विधायक हैं,जो निर्णायक साबित हो सकते हैं। राज्यसभा की उत्तर प्रदेश कोटे की 31 सीटों में से 11 सीटें जुलाई में रिक्त हो रही हैं,जो सीटें रिक्त हो रही हैं,उसमें भाजपा के पांच,सपा के तीन,बसपा के दो व कांग्रेस का एक राज्यसभा सदस्य शामिल हैं।

जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें भाजपा के जफर इस्लाम, शिव प्रताप शुक्ला, संजय सेठ, सुरेंद्र नागर और जयप्रकाश निषाद समाजवादी पार्टी के सुखराम सिंह यादव, रेवती रमण सिंह और विशंभर प्रसाद निषाद, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा और अशोक सिद्धार्थ तथा कांग्रेस के कपिल सिब्बल शामिल हैं।संख्या बल की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा गठबंधन के 273 विधायक हैं जबकि सपा गठबंधन के पास कुल 125 सदस्य हैं।इसके अलावा राजा भैया की पार्टी ‘जनसत्ता दल लोकतांत्रिक’ और कांग्रेस के दो-दो,बसपा का एक विधायक है।हो सकता है कांग्रेस-बसपा अपने आप को अलग-थलग दिखाने के लिए वोटिंग से दूरी बनाकर रखें।

इसे भी पढ़ें: अखिलेश यादव का भाजपा पर बड़ा हमला, कहा- हर रोज बढ़ रही महंगाई

गौरतलब हो एक राज्यसभा सदस्य को जिताने के लिए कम से कम 34 सदस्यों का समर्थन मिलना जरूरी है। उस हिसाब से देखें तो भाजपा 11 में से आठ सीटें आसानी से जीतने की स्थिति में है जबकि सपा गठबंधन को भी तीन सीटें मिलना तय माना जा रहा है। इस चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस और बसपा को होगा। इन दोनों ही दलों का हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन बहुत खराब रहा था। कांग्रेस को दो और बसपा को मात्र एक सीट ही हासिल हुई थी, लिहाजा यह दोनों दल अपने दम पर एक भी सदस्य जिताने की स्थिति में नहीं हैं। बात बसपा की कि जाए तो सतीश चंद्र मिश्रा और अशोक सिद्धार्थ का कार्यकाल जुलाई में समाप्त होने के बाद अब संसद के उच्च सदन में राम जी गौतम के रूप में बसपा का एकमात्र सदस्य रह जाएगा।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़