Yes Milord: रामदेव, पतंजलि और कोर्ट कचहरी, रूह अफ़ज़ा के बाद अब च्यवनप्राश को लेकर मचा नया बवाल क्या है?

डाबर की याचिका में आरोप लगाया गया है कि 'पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश' यह दावा करके 'विशेष रूप से डाबर च्यवनप्राश' और सामान्य रूप से च्यवनप्राश का अपमान कर रहा है कि 'किसी अन्य निर्माता को च्यवनप्राश तैयार करने का ज्ञान नहीं है'।
रामदेव, पतंजलि और कोर्ट कचहरी ये तीनों तो नामों एक साथ नत्थी हो गए हो। विज्ञपनों, शिकायतों और कोर्ट से परी डांट का एक पुराना पैटर्न है। इतनी बार दोहराया गया कि दुनिया एक मैट्रिक्स है और हम एक लूप में फंसे हुए है वाली रील बन जाए। इस बार डाबर का चवनप्रास केंद्र में है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि को हिदायत दी है कि डाबल चवनप्रास के खिलाफ भ्रामक और अपमानजनक विज्ञापन फैलाना बंद करें। डाबर ने शिकायत की थी कि पतंजलि आजतन अपराधी है।
याचिका में क्या कहा गया है?
डाबर की याचिका में आरोप लगाया गया है कि 'पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश' यह दावा करके 'विशेष रूप से डाबर च्यवनप्राश' और सामान्य रूप से च्यवनप्राश का अपमान कर रहा है कि 'किसी अन्य निर्माता को च्यवनप्राश तैयार करने का ज्ञान नहीं है'। याचिका के अनुसार, यह दावा अन्य बैंड के लिए अपमानजनक है। याचिका में दावा किया गया है, 'इसके अलावा, विज्ञापन में (आयुर्वेदिक दवा के संबंध में) झूठे और भ्रामक बयान दिए गए हैं, जिनमें डाबर च्यवनप्राश के साथ अपमानजनक तरीके से तुलना की गई है।' अधिवक्ता जवाहर लाला और मेघना कुमार डाबर की ओर से पेश हुए। याचिका में दावा किया गया है कि विज्ञापन में अन्य सभी च्यवनप्राश के संदर्भ में 'साधारण' शब्द का इस्तेमाल किया गया और दर्शाया गया कि वे 'निम्न' हैं। विज्ञापन में यह 'झूठा' दावा भी किया गया कि अन्य सभी निर्माताओं को आयुर्वेदिक ग्रंथों और च्यवनप्राश तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फॉर्म्युला के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
14 जुलाई को सुनवाई
दिल्ली हाई कोर्ट ने डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक विज्ञापन प्रसारित करने से पतंजलि पर रोक लगा दी। जस्टिस मिनी पुष्करणा की पीठ ने पतंजलि को विज्ञापन प्रसारित करने से रोकने का अनुरोध करने वाली डाबर की अंतरिम याचिका को स्वीकार कर लिया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 जुलाई की तारीख तय की है।
पतंजलि और कोर्ट कचहरी
गौरतलब है कि पतंजलि इससे पहले शरबत के अपने विज्ञापन को लेकर भी हाईकोर्ट की सख्ती का सामना कर चुका है। उस विज्ञापन में स्वामी रामदेव ने रूह अफजा को शरबत जिहाद बताया था। इसके खिलाफ ये शरबत बनाने वाली कंपनी हमदर्द कोर्ट चली गई। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसपर पतंजलि को सख्त आदेश दिया जिसके बाद कंपनी को अपना वो विज्ञापन भी वापस लेना पड़ा था।
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