कोविड-19 से बचाव के लिए वैज्ञानिकों ने नए एंटीबॉडी का लगाया पता: अध्ययन

Coronavirus

बॉन विश्वविद्यालय के ‘इंस्टीट्यूट ऑफ इन्नेट इम्युनिटी’ के शोधकर्ता फ्लोरियन स्कमिड्ट ने बताया, ‘‘हमने लामा और अल्पैका में कोरोना वायरस के प्रोटीन का इस्तेमाल कर इसके नतीजों पर गौर किया। प्रतिरक्षा तंत्र ने वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज तैयार की।’’

नयी दिल्ली। वैज्ञानिकों ने भेड़ की नस्ल लामा और अल्पैका में एक नए एंटीबॉडी की पहचान की है, जिसे कोरोना वायरस के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है। जर्मनी में बॉन विश्वविद्यालय के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने अध्ययन के दौरान ‘नैनोबॉडीज’ की पहचान की है जो एंटीबॉडीज से आकार में छोटे हैं। ये उत्तकों के साथ बेहतर तालमेल कर सकते हैं और इससे बड़ी मात्रा में एंटीबॉडीज भी पैदा की जा सकती है। 

इसे भी पढ़ें: Unlock-5 का 105वां दिन: टीकाकरण अभियान के लिए तैयारियों ने जोर पकड़ा, टीके की खेप देशभर में पहुंचाई गई 

अध्ययन करने वाले दल ने पाया कि नैनोबॉडीज एक साथ विभिन्न हिस्से में वायरस पर हमला करने में सक्षम है। संक्रमण से रक्षा के लिए जीवों के शरीर में एंटीबॉडीज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये जीवाणु या विषाणु के प्रसार को रोकने का काम करते हैं। बॉन विश्वविद्यालय के ‘इंस्टीट्यूट ऑफ इन्नेट इम्युनिटी’ के शोधकर्ता फ्लोरियन स्कमिड्ट ने बताया, ‘‘हमने लामा और अल्पैका में कोरोना वायरस के प्रोटीन का इस्तेमाल कर इसके नतीजों पर गौर किया। प्रतिरक्षा तंत्र ने वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज तैयार की।’’ 

इसे भी पढ़ें: कोरोना से जान गंवाने वाले डॉक्टर के परिजनों से मिले केजरीवाल, एक करोड़ रुपए का दिया चेक 

बॉन विश्वविद्यालय से जुड़े और अध्ययन के लेखक पॉल अल्बर्ट कोनिग ने कहा, ‘‘परीक्षण में कई नैनोबॉडीज का पता चला जिसपर हमने आगे विश्लेषण किया। कोशिका की संरचना में वायरस के खिलाफ चार मॉलिक्यूल कारगर होते हैं। एक्स-रे और इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी जांच में आगे हमने देखा कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन के प्रति किस तरह का ये व्यवहार करते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़