हर भारतीय के खून में है धर्मनिरपेक्षता: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

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[email protected] । Feb 24 2020 8:38AM

नायडू ने कहा कि विकास के लिए शांति पूर्वआवश्यक शर्त है। लोकतंत्र में हर किसी को असंतोष जाहिर करने और प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन यह शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। उन्होंने युवाओं से अपने जीवन में सकारात्मक व्यवहार अपनाने और अपने नजरिये में रचनात्मकता लाने का अनुरोध किया।

हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि धर्मनिरपेक्षता हर भारतीय के खून में समायी है और अल्पसंख्यक किसी दूसरे देश के मुकाबले भारत में कहीं अधिक सुरक्षित हैं, साथ ही उन्होंने कुछ देशों को भारत के अंदरूनी मामलों से दूर रहने की सलाह भी दी। वारंगल में आंध्रा विद्याभी वर्धनी (एवीवी) शिक्षण संस्थान के 75 साल पूरा होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद नायडू ने अपने संबोधन में कहा कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ भारतीय संस्कृति का मूल भाव है।

यहां जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में उनके हवाले से कहा गया, ‘‘सभी धर्मों का आदर और ‘सर्व धर्म समभाव’ हमारी संस्कृति है। हमें इसका पालन करते रहना चाहिए।’’ उपराष्ट्रपति ने देश की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत माता की जय का अर्थ 130 करोड़ भारतीयों की जय है। उन्होंने भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने की कुछ देशों की प्रवृत्ति पर आपत्ति जताई और उन्हें इससे दूर रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा संसदीय लोकतंत्र होने के नाते भारत अपने मामलों से खुद निपट सकता है।

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नायडू ने कहा कि विकास के लिए शांति पूर्वआवश्यक शर्त है। लोकतंत्र में हर किसी को असंतोष जाहिर करने और प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन यह शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। उन्होंने युवाओं से अपने जीवन में सकारात्मक व्यवहार अपनाने और अपने नजरिये में रचनात्मकता लाने का अनुरोध किया। उन्होंने केंद्र एवं राज्य सरकारों से देश में मातृभाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए रोजगार सृजन में स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल को बढ़ाने का अनुरोध किया।

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