कश्मीर में प्राचीन शंकराचार्य मंदिर में देशभर से जुटे श्रद्धालु, धूमधाम से मनायी गयी जयंती

Shankaracharya Temple Kashmir
Prabhasakshi

श्रीनगर के प्राचीन मंदिर में किये गये आयोजन में देशभर से आए धर्मगुरुओं ने हिस्सा लिया। खासतौर पर दक्षिण भारत से यहां बड़ी संख्या में लोग आये। स्थानीय कश्मीरी हिंदुओं में भी काफी उत्साह दिखा और सुबह से ही लोग लाइनों में लग कर अपनी बारी का इंतजार करते दिखे।

श्रीनगर। कश्मीर में शंकराचार्य जन्मोत्सव को बड़े धूमधाम से मनाया गया। कोविड-19 से उपजी परिस्थितियों तथा अन्य कारणों के चलते श्रीनगर के ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर में तीन साल से कोई आयोजन नहीं हो सका था। इस बार शंकराचार्य जन्मोत्सव पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर आये और पूजा अर्चना की। देखा जाये तो भारतीय परंपरा में संतों का विशेष स्थान है। खासतौर पर भारत के अमर इतिहास में शंकराचार्य का स्थान अप्रतिम है। शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित ज्ञान व भक्ति के सिद्धांत असंख्य लोगों के लिए आज भी प्रेरणा और आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं। शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन से सभी प्रेरणा लेते हैं। शंकराचार्य ने भारत के चार कोनों में चार मठ स्थापित कर वैदिक धर्म की एकता और अखंडता के लिए स्थायी कार्य किया।

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शंकराचार्य जयंती पर श्रीनगर के प्राचीन मंदिर में किये गये आयोजन में देशभर से आए धर्मगुरुओं ने हिस्सा लिया। खासतौर पर दक्षिण भारत से यहां बड़ी संख्या में लोग आये। स्थानीय कश्मीरी हिंदुओं में भी काफी उत्साह दिखा और सुबह से ही लोग लाइनों में लग कर अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। इस अवसर पर मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किये थे। कुछ निजी संस्थाओं द्वारा मंदिर के नीचे लंगर भी लगाया गया जिसमें श्रद्धालुओं ने भोजन किया। पुलिस प्रशासन की ओर से इस दौरान सुरक्षा के भी कड़े प्रबंध किये गये थे। प्रभासाक्षी संवाददाता ने इस आयोजन का जायजा लिया तथा संतों और श्रद्धालुओं से बातचीत की तो सभी ने इस आयोजन को सराहा और शंकराचार्य जी के दिखाये गये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

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