दूसरे दिन भी नहीं हो सका संसद में कामकाज, दिल्ली हिंसा को लेकर विपक्ष का भारी हंगामा

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[email protected] । Mar 3 2020 4:18PM

शोरगुल के बीच ही नेता सदन गहलोत ने कहा कि दिल्ली में चार दिनों से शांति है। स्थिति सामान्य है, लेकिन अगर सदन इस विषय पर चर्चा कराना चाहता है तो सरकार चर्चा के लिये तैयार है। उन्होंने कहा कि सभापति चर्चा के लिए जो भी समय निर्धारित करेंगे, सरकार उस समय चर्चा के लिए तैयार है।

नयी दिल्ली। दिल्ली हिंसा के विषय पर लोकसभा में जारी गतिरोध मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के यह कहने के बावजूद नहीं टूट पाया कि सरकार इस मुद्दे पर होली के बाद चर्चा कराने को तैयार है। इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा की मांग को लेकर अड़े विपक्ष के हंगामे तथा सत्तापक्ष और विपक्ष के कुछ सदस्यों के बीच धक्कामुक्की के कारण सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी।हंगामे के बीच ही सरकार ने सदन में बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 को पारित कराने का प्रयास किया। इससे विपक्षी सदस्यों का विरोध और तेज हो गया।दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे लोकसभा की बैठक शुरू हुई तो अध्यक्ष ओम बिरला ने आवश्यक दस्तावेज सभा पटल पर रखवाये। इसके बाद उन्होंने कहा कि सभी इस बात पर सहमत हुए कि दिल्ली हिंसा पर चर्चा के लिए आसन के निर्णय को स्वीकार किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘देशहित को ध्यान में रखते हुए मैं व्यवस्था देता हूं कि होली के बाद 11 मार्च को इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए। होली सौहार्दपूर्ण तरीके से मननी चाहिए। सरकार इस विषय पर चर्चा को तैयार है।’’ इस दौरान विपक्ष के सदस्य असंतोष प्रकट करने लगे।अध्यक्ष बिरला ने कहा कि सदन चर्चा के लिए होता है, वाद-विवाद के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि हम सभी होली अच्छी तरह से मनाएं और उसके बाद सौहार्दपूर्ण चर्चा करें। उन्होंने कहा कि आज हम सामाजिक कल्याण और अधिकारिता मंत्रालय से संबंधित अनुदान की मांगों पर चर्चा कराना चाहते हैं। बिरला ने हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से नाराजगी जताते हुए कहा, ‘‘आप दलित, शोषित लोगों पर चर्चा नहीं चाहते। क्या हल्ला करने आये हैं। मेरा लोकतंत्र के मंदिर में आप सभी से आग्रह है कि संवाद और चर्चा कीजिए।’’

हंगामे के बीच ही अध्यक्ष ने बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 पेश कराया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक के संबंध में कहा कि महाराष्ट्र में पीएमसी बैंक से जुड़ा दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम सामने आया जहां छोटे और मझोले निवेशकों को परेशानी उठानी पड़ी।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निवेशकों की परेशानियों को दूर करना सुनिश्चित किया और उनकी धन निकासी की सीमा एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने का निर्णय किया गया।सीतारमण ने हंगामा कर रहे विपक्ष के सदस्यों की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये लोग उन छोटे निवेशकों की मांग दबा रहे हैं जिन्होंने कठिनाइयों का सामना किया है। हंगामे के बीच ही सरकार ने विधेयक से संबंधित कुछ संशोधन पारित कराए। उधर कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, सपा, आम आदमी पार्टी और वाम दलों समेत अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने आसन के समीप नारेबाजी तेज कर दी। वे आसन के पास पहुंचकर विधेयक को हंगामे के बीच पारित कराने का कड़ा विरोध कर रहे थे। इस बीच ही सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी सत्ता पक्ष की सीटों की तरफ से होते हुए आसन के समीप पहुंच गये। उन्हें रोकने के लिए भाजपा की लॉकेट चटर्जी आ गयीं। हालांकि भाजपा के कुछ सदस्यों ने चटर्जी को रोक दिया। इस बीच ही भाजपा की कुछ और महिला सदस्य बीच में आकर खड़ी हो गयीं तथा कांग्रेस की राम्या हरिदास, ज्योतिमणि समेत अन्य विपक्षी सदस्यों को सत्तापक्ष की तरफ बढ़ने से रोकने लगीं। हंगामा और तेज हो गया तथा सत्तापक्ष और विपक्ष के कुछ सदस्यों के बीच धक्कामुक्की की स्थिति बन गयी। इस बीच विपक्ष के कुछ सदस्यों ने आसन की ओर कागज फाड़कर भी उछाले।केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, रविशंकर प्रसाद और गिरिराज सिंह आगे आकर बीच-बचाव करते देखे गये।हंगामा बढ़ने के कारण अध्यक्ष ने दो बार के स्थगन के बाद दो बजकर करीब 20 मिनट पर कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की कांग्रेस सदस्य के. सुरेश, बैनी बहनान और सपा के अखिलेश यादव से नोकझोंक भी देखी गयी। सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सदस्य कार्यवाही स्थगित होने के 20 मिनट से अधिक समय तक सदन में मौजूद थे। इससे पहले विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के कारण सदन में प्रश्नकाल और शून्यकाल भी नहीं चल सके। 

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सत्तापक्ष और कांग्रेस के सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की की सोमवार की घटना की पृष्ठभूमि में अध्यक्ष ओम बिरला ने आज प्रश्नकाल में घोषणा की कि सदन में कोई भी सदस्य शोर शराबा एवं प्रदर्शन करते हुए यदि दूसरे पक्ष की सीटों की तरफ जाएगा तो उसे शेष पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया जाएगा। उन्होंने सदन में प्लेकार्ड लाने की भी अनुमति नहीं देने की घोषणा की।इससे पहले सदन की बैठक सुबह 11 बजे शुरू होते ही लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने प्रश्नकाल चलाने का निर्देश दिया। इस बीच विपक्ष के सदस्य दिल्ली हिंसा पर तत्काल चर्चा शुरू कराने की मांग करने लगे।उन्होंने कहा, ‘‘आज सुबह सर्वदलीय बैठक में भी चर्चा हुई कि कोई भी सदस्य चाहे वह विपक्ष के हों या सत्तापक्ष के हों.. वे (प्रदर्शन करते हुए) एक दूसरे पक्ष की सीटों की तरफ नहीं जाएंगे। अगर कोई सदस्य दूसरे पक्ष की तरफ जाते हैं तो उन्हें चालू सत्र की शेष पूरी अवधि के लिए निलंबित कर दिया जाएगा।’’इस दौरान कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस और सपा समेत अन्य विपक्षी दलों के सदस्य दिल्ली हिंसा पर तत्काल चर्चा शुरू कराने की मांग करते रहे।लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि यह भी तय किया गया है कि सदन में कोई भी सदस्य प्लेकार्ड लेकर नहीं आएगा।इस पर विपक्ष के सदस्य विरोध जताने लगे।बिरला ने कहा कि अगर ऐसा है तो आप घोषणा कर दें कि संसद में प्लेकार्ड लेकर आना चाहते हैं और प्लेकार्ड लेकर सदन चलाना चाहते हैं। क्या आप ऐसी घोषणा करेंगे?शोर-शराबे के बीच ही विपक्ष के कई सदस्यों की ओर से ‘हां’ सुनाई दिया।हंगामे के बीच अध्यक्ष ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।दोपहर 12 बजे बैठक पुन: शुरू होते ही कांग्रेस के सदस्य अपने स्थान पर खड़े होकर शोर-शराबा करने लगे।पीठासीन सभापति किरीट सोलंकी ने कहा कि आज सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की अनुदान की मांगों पर चर्चा होनी है। उन्होंने कहा कि यह विषय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों से जुड़ा गरिमा वाला विषय है।उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को इस गरिमा पूर्ण विषय पर चर्चा करनी चाहिए।’’हालांकि कांग्रेस समेत विपक्ष के सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहा और पीठासीन सभापति सोलंकी ने कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। सोमवार को लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली में पिछले दिनों हुई हिंसा को लेकर गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करते हुए भारी हंगामा किया और इस दौरान कांग्रेस एवं भाजपा सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। हंगामे के कारण सोमवार को सदन की कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिये स्थगित कर दी गई थी।

दिल्ली में हिंसा के मुद्दे पर गतिरोध के कारण राज्यसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित

दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा कराने की विपक्षी दलों की मांग को लेकर मंगलवार को भी गतिरोध बरकरार रहा। उच्च सदन में इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग से विपक्षी दलों के अड़े रहने के कारण सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद अपराह्न तीन बज कर लगभग दस मिनट पर दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। उल्लेखनीय है कि बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन सोमवार को भी इसी मुद्दे पर उच्च सदन की कार्यवाही बाधित रही थी। मंगलवार को दो बार के स्थगन के बाद दोपहर तीन बजे सदन की बैठक शुरु होने पर उपसभापति हरिवंश ने दिल्ली में हिंसा के मुद्दे पर चर्चा कराने की विपक्षी दलों की मांग पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद से अपनी बात रखने को कहा। आजाद ने कहा, ‘‘दिल्ली में हिंसा की घटनाओं की सत्तापक्ष और विपक्ष, सभी ने निंदा की है। इस घटना की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है और हमारी संसद जब चल रही हो तब संसद में ही चर्चा ना हो, यह अटपटा लगता है।’’उन्होंने कहा कि दिल्ली की हिंसा में अधिकतर युवा मारे गये हैं। हम सब चाहते हैं कि सदन में इस बात पर विचार किया जाए कि जो मानव संपदा का नुकसान हुआ है, उसकी पुनरावृत्ति फिर से न हो, इसलिये इस विषय पर अभी चर्चा कराना जरूरी है। आजाद ने सत्तापक्ष से अपील की कि सरकार यह न सोचे कि चर्चा कराने से दिल्ली में हालात और अधिक बिगड़ जायेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी लोग अपनी जिम्मेदारी से वाकिफ हैं, इसलिये कोई भी सदस्य चर्चा में ऐसी कोई बात नहीं कहेगा जिसका संसद से बाहर नकारात्मक संदेश जाए।’’ उन्होंने चर्चा को टालने के बारे में कहा, ‘‘सिरदर्द आज है तो फिर एक सप्ताह बाद दवा खाने की सलाह देना उचित नहीं है। इसलिए सोमवार को सदन की बैठक की शुरुआत ही इस मुद्दे पर चर्चा के साथ होनी चाहिये थी।’’

इस पर नेता सदन थावरचंद गहलोत ने कहा कि सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है। सभापति द्वारा जब भी चर्चा का समय नियत किया जाए, उस समय सरकार चर्चा के लिये तैयार है।उपसभापति हरिवंश ने कहा कि अगर सत्तापक्ष और विपक्ष चर्चा के मुद्दे पर एकमत हैं तो दोनों पक्षों को सभापति से मिलकर चर्चा का समय तय करना चाहिये। उन्होंने इस बीच सदन की कार्यवाही में शामिल अन्य कार्यों को पूरा करने की जरूरत पर बल दिया।राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने सुझाव दिया कि पहले चर्चा हो, बाकी काम बाद में हो, जिससे सदन से संदेश जाए कि हमारे लिए नागरिकों का हित सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि चर्चा या तो अभी शुरू करायी जाए या बुधवार को 11 बजे कराने की घोषणा कर सदन की बैठक दिन भर के लिये स्थगित कर दी जाए। इस पर भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने कहा कि नियम 258 के तहत सदन की कार्यवाही के निर्धारण का अंतिम अधिकार सभापति के पास है। इसलिये सदस्यों द्वारा तय समय पर ही चर्चा कराने का आसन पर दबाव नहीं डाला जाना चाहिए। टीआरएस सदस्य के केशव राव ने भी कहा कि चर्चा अभी शुरु करायी जाए या बुधवार को, लेकिन सदन की कार्यवाही में शामिल किसी अन्य काम को दिल्ली में हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के बाद ही किया जाए। इसके बाद उपसभापति ने सदन की बैठक बुधवार को पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिये स्थगित कर दी। इससे पहले एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे सदन की बैठक शुरु होने पर हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये। इसके बाद उन्होंने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक 2019 पर चर्चा आगे बढ़ाने के लिए कहा। जदयू सदस्य कहकशां परवीन ने बोलना शुरू भी किया किंतु इसी दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने दिल्ली में हिंसा मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग शुरु कर दी। 

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शोरगुल के बीच ही नेता सदन गहलोत ने कहा कि दिल्ली में चार दिनों से शांति है। स्थिति सामान्य है, लेकिन अगर सदन इस विषय पर चर्चा कराना चाहता है तो सरकार चर्चा के लिये तैयार है। उन्होंने कहा कि सभापति चर्चा के लिए जो भी समय निर्धारित करेंगे, सरकार उस समय चर्चा के लिए तैयार है। इस पर आजाद ने कहा कि दिल्ली की घटना सत्तापक्ष या विपक्ष के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए गंभीर है। सरकार कहती है कि दिल्ली में अब स्थिति सामान्य है। यदि ऐसा है तो इस समय चर्चा कराने में क्या हर्ज है? उन्होंने कहा कि सरकार पहले यह स्पष्ट करे कि दिल्ली में हालात सामान्य हुए हैं या नहीं। इस बीच अन्य दलों के सदस्यों ने भी बोलने की कोशिश की। हंगामे को देखते हुए उपसभापति ने सदन की बैठक दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले सुबह सभापति एम वेंकैया नायडू ने जरूरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाना शुरू किया। इस क्रम में तीसरा नाम वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर का था। ठाकुर जैसे ही दस्तावेज सदन के पटल पर रखने के लिए खड़े हुए, कांग्रेस सहित सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने ठाकुर के कथित बयान को लेकर टिप्पणी शुरू कर दी। इस पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आपत्ति जतायी। इसके बाद कांग्रेस, द्रमुक सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों की सत्ता पक्ष के सदस्यों से नोंकझोंक हुयी। सभापति नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि कोई भी नारेबाजी या टिप्पणी रिकार्ड में नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्य नहीं चाहते कि सदन चले, वे बहस भी नहीं चाहते, वे शून्यकाल भी नहीं चाहते। ऐसे में उनके पास सदन को स्थगित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सदन में हो रहे शोर का जिक्र करते हुए सभापति ने कहा कि यही वजह है कि वह चर्चा के लिए तत्काल सहमत नहीं हुए। उन्होंने सदस्यों से शांत होने और सदन चलने देने की अपील की। लेकिन अपनी अपील का कोई असर नहीं होते देख उन्होंने 11 बजकर करीब पांच मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। 

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