घाटी में सुरक्षाकर्मियों की इस रणनीति का दिखा सकारात्मक प्रभाव, कम हुईं पत्थरबाजी की घटनाएं !

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रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षा एजेंसियां इस रणनीति को आगे जारी रखने पर विचार कर रही हैं क्योंकि इससे नए आतंकवादियों के पैदा होने पर रोक लगेगी।

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में नए आतंकी पैदा न हों इसके लिए सुरक्षा एजेंसियां लगातार नई-नई रणनीतियों को बनाने और उसे अमल में लाने का काम कर रही हैं। इसी बीच सुरक्षाकर्मियों द्वारा अपनाई गई एक रणनीति पर पॉजिटिव रिस्पांस मिला है। बता दें कि मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादियों को एकांत में दफनाने का फैसला लिया गया था जिसका असर दिखाई देने लगा है। हिन्दी समाचार पत्र में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी की वजह से मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों को एकांत में और गांव से दूर दफनाना शुरू किया गया था। जिसका असर दिखाई देने लगा है। 

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रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षा एजेंसियां इस रणनीति को आगे जारी रखने पर विचार कर रही हैं क्योंकि इससे नए आतंकवादियों के पैदा होने पर रोक लगेगी। भारतीय सेना के अधिकारी के मुताबिक मुठभेड़ में जब यहां का स्थानीय आतंकवादी मारा जाता था तो उनसे परिवार वालों को उसकी बॉडी दे दी जाती थी और फिर वह लोग उसका जनाजा निकालते थे। जिसमें भड़काऊ भाषण होते थे और उन भाषणों को सुनकर कई आतंकवादी पैदा होते थे।

उन्होंने बताया कि अब आतंकवादियों को एकांत जगह पर दफनाया जाता है और इसका कोई विरोध भी नहीं करता है। यही नहीं कुछ गांव वालों ने तो सपोर्ट भी किया है और कहा है कि पहले उन पर आतंकवादियों के जनाजे में शामिल होने का दबाव रहता था। वहीं, मुठभेड़ में मारे गए पाकिस्तानी आतंकवादी को चिंहित स्थानों पर ही दफनाया जाता है। 

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रोक दी गई थी मुठभेड़

रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना महामारी के फैलने के बाद मुठभेड़ को रोक दिया गया था लेकिन इसी बीच आतंकवादियों ने तीन नागरिकों की हत्या कर दी। जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि कोरोना महामारी की वजह से शुरुआत में मुठभेड़ रोक दी गई थी क्योंकि मारे गए आतंकवादियों के जनाजे में भीड़ का डर था। ऐसे में एक सप्ताह तक मुठभेड़ नहीं हुई लेकिन आतंकवादियों ने 3 नागरिकों और एक हेड कॉन्स्टेबल की हत्या कर दी। इसके अलावा एक कॉन्स्टेबल का अपहरण कर लिया और एक कॉन्स्टेबल का अपहरण करने का प्रयास कर रहे थे लेकिन उसे बचा लिया गया।

पुलिस अधिकारी ने आगे जानकारी दी कि गृह मंत्रालय को मार्च के अंत में एक प्रस्ताव भेजा गया था जिसे 15 अप्रैल से अमल में लाया गया। इस प्रस्ताव के मुताबिक सुरक्षाकर्मी मुठभेड़ जारी रख सकते हैं और मारे गए आतंकवादी की बॉडी उनके परिवार को नहीं सौपेंगे। इसके अलावा मजिस्ट्रेट और परिवार के 4-5 सदस्यों की मौजूदगी में गांव से कहीं दूर आतंकवादियों को दफनाया जाएगा। 

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पुलिस अधिकारी ने बताया कि अनुमति मिलने के बाद अबतक 130 से ज्यादा आतंकवादियों को गांव से कहीं दूर दफनाया गया है और इसका असर भी दिखाई दे रहा है। जैसे- पत्थरबाजी की घटनाएं कम हुईं हैं...

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