Bihar Election Issues: बिहार चुनाव में NDA के लिए मुसीबत बनेगा बेरोजगारी का मुद्दा, नीतीश की नीतियों की होगी अग्निपरीक्षा

Nitish Kumar
ANI

बिहार विधानसभा चुनाव के तूफान में बेरोजगारी का मुद्दा काफी अहम है। 20 सालों तक सत्ता में रहने के बाद भी एनडीए सरकार अब अभूतपूर्व सत्ता-विरोधी लहर का सामना करने को मजबूर है। इसके पीछे की मूल वजह रोजगार के अवसरों में कमी का होना शामिल है।

बिहार विधानसभा चुनावों के तारीखों की चुनाव आयोग ने औपचारिक घोषणा कर दी है। वहीं 121 सीटों पर चरण उत्तर बिहार में तो वहीं 122 सीटों पर दूसरा चरण दक्षिण बिहार में होना हैं। 06 नवंबर को पहले चरण का चुनाव होगा, जोकि महापर्व छठ पूजा के करीब एक सप्ताह बाद है। वहीं इस महापर्व के दौरान देश भर में रहने वाले बिहारवासी अपने-अपने घर छुट्टी लेकर पहुंचते हैं। वहीं चुनाव का दूसरा चरण 11 नवंबर को होना है। वहीं विधानसभा चुनाव की मतगणना 14 नवंबर को होगी। ऐसे में चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ एक महीने का समय बचा है, तो चुनावी बयार किस तरफ बह रही है और साथ ही बिहार चुनाव के मुख्य मुद्दे क्या हैं, जोकि 14 नवंबर को चुनाव के नतीजे तय करेंगे।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में करीब 3 करोड़ युवा मतदाताओं ने वोट डाला था। वहीं साल 2025 के विधानसभा चुनाव में 4 करोड़ के आसपास युवा मतदाता मतदान करेंगे। साल 2025 जनवरी में जारी वोटर लिस्ट के मुताबिक 18 से 39 साल के युवा मतदाताओं की संख्या 4 करोड़ यानी की कुल वोटरों का 60% है। ऐसे में इस बार के विधानसभा चुनाव में युवा मतदाताओं का अहम रोल होना है। इसलिए सभी राजनीतिक दल युवा मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं। 

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बेरोजगारी का मुद्दा

बिहार विधानसभा चुनाव के तूफान में बेरोजगारी का मुद्दा काफी अहम है। 20 सालों तक सत्ता में रहने के बाद भी एनडीए सरकार अब अभूतपूर्व सत्ता-विरोधी लहर का सामना करने को मजबूर है। इसके पीछे की मूल वजह रोजगार के अवसरों में कमी का होना शामिल है। हालांकि नीति आयोग के अनुसार, राज्य में बेरोजगारी की दर 2022-23 में 3.9 फीसदी थी। बिहार मुख्य रूप से कृषि और गांवों पर आधारित प्रदेश है और यहां पर बेरोजगारी दर अधिक है।

यही वजह है कि राज्य के भविष्य के निर्माता युवा अब निराश हैं। रोजगार को लेकर युवाओं के सपने सरकार की निष्क्रियता के कारण दम तोड़ रहे हैं। युवाओं के असंतोष की यह खामोश लहर बिहार के चुनावी माहौल में हर जगह साफ महसूस की जा सकती है। मतदाताओं को सीएम नीतीश कुमार के लंबे शासन की बुनियाद पर सवाल उठाने के लिए मजबूर कर रही है। मुख्य रूप से बेरोजगार युवाओं की वजह से सत्ता विरोधी रुझान हैं, जोकि बड़े पैमाने पर अलग-थलग पड़ चुके हैं।

राज्य में रोजगार के लिए युवा पलायन करने को मजबूर हैं। युवाओं के पास शिक्षा तो है, लेकिन रोजगार नहीं हैं। वहीं अधिकांश बिहारियों की आर्थिक स्थिति कमजोर है और मजदूर, छोटे किसान और असंगठिक कर्मचारी आजीविका के लिए कठिन संघर्ष कर रहे हैं। बिहार में नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। बता दें कि नौकरियों की तलाश में 3.16 करोड़ बिहारियों ने सरकार के ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। जोकि यूपी के बाद दूसरे स्थान पर है।

हालांकि मतदाताओं को लुभाने के लिए तमाम राजनैतिक पार्टियों ने एक से बढ़कर एक लुभावने वादे करने शुरू कर दिए हैं। वहीं राज्य में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने मौजूदा एनडीए सरकार को घेरना शुरूकर दिया है। आज से करीब 1 महीने बाद यानी की 14 नवंबर को वोटों की गिनती के साथ ही यह पता चल जाएगा कि अगले 5 सालों तक कौन सत्ता पर राज करेगा।

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