किसानों के मुद्दे पर संसद में मचा हंगामा, संजय सिंह दिनभर के लिए निलंबित, जानिए आज सदन में क्या कुछ हुआ

Rajya Sabha Harivansh

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत कानून व्यवस्था बनाए रखना,लोगों की जान माल की रक्षा करना तथा अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों के खिलाफ अपराध की जांच कर अभियोजन चलाना संबंधित राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को सरकार से जम्मू कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा बहाल करने के प्रस्ताव वाला एक विधेयक लाने की मांग की। राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर उच्च सदन में हो रही चर्चा में हिस्सा ले रहे आजाद ने कहा ‘‘मैं आपसे अपील करता हूं कि अगर जम्मू कश्मीर का विकास करना है और अगर हमें सीमा पर हमारे दुश्मनों से लड़ना है तो हमें अपने (राज्य के) लोगों को प्यार देने और उन्हें भरोसे में लेने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए सदन में एक विधेयक लाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य का दर्जा बहाल किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाने चाहिए। आजाद ने कहा कि ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे जम्मू कश्मीर, लद्दाख और पंजाब सहित पूर्वोत्तर और सीमाई इलाकों में रहने वाले लोग व्यथित हों। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि उन्होंने कहा था कि ‘‘हम पाकिस्तान और चीन के साथ कई मोर्चों पर नहीं लड़ सकते।’’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोग खुश नहीं हैं क्योंकि पहले की स्थिति से बिल्कुल उलट अब बाहरी लोग उनकी जमीन खरीद सकते हैं और वहां काम कर सकते हैं। आजाद ने कहा कि जब जम्मू कश्मीर राज्य था तब वहां सरकार कोई भी रही हो, कानून व्यवस्था की स्थिति आज की तुलना में 100 गुना अधिक बेहतर थी, तब उग्रवाद भी कम था और विकास कार्य भी हो रहे थे। उन्होंने कहा ‘‘ जम्मू कश्मीर में पर्यटन, शिक्षा, रोजगार सहित विभिन्न क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि कश्मीर में पर्यटन उद्योग लगभग खत्म हो गया है, करीब दो साल से स्कूल और कॉलेजों के बंद पड़े होने के कारण शिक्षा ठप हो गई है और स्वास्थ्य की स्थिति भी वहां अच्छी नहीं है। आजाद ने जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने और संविधान का अनुच्छेद 370 हटाए जाने का जिक्र करते हुए सरकार से मांग की कि जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की पूर्व की स्थिति में ही वहां विकास हो सकता है और शांति व्यवस्था कायम हो सकती है। हालांकि उन्होंने जम्मू कश्मीर में स्थानीय चुनाव संपन्न कराने के लिए सरकार की सराहना की। 

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अजा, अजजा वर्ग के लोगों के खिलाफ अपराध 2019 में बढ़े: सरकार

सरकार ने बुधवार को बताया कि देश में 2019 के दौरान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ अपराध में क्रमश: 7.3 फीसदी और 26.5 फीसदी की वृद्धि हुई है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत कानून व्यवस्था बनाए रखना, लोगों की जान माल की रक्षा करना तथा अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों के खिलाफ अपराध की जांच कर अभियोजन चलाना संबंधित राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि देश में 2019 के दौरान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ अपराध में क्रमश: 7.3 फीसदी और 26.5 फीसदी की वृद्धि हुई है।

थरूर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी का मामला राज्यसभा में गूंजा   

कांग्रेस ने अपने सांसद शशि थरूर और छह पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने का मुद्दा बुधवार को राज्यसभा में उठाया और उनके खिलाफ देशद्रोह के मामले वापस लेने की मांग की। शून्यकाल के दौरान उच्च सदन में यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने यह आरोप भी लगाया कि ‘‘स्वतंत्र पत्रकारिता और बोलने की आजादी’’ को दबाने के लिए सरकार द्वारा देशद्रोह के मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। ज्ञात हो कि थरूर और कुछ पत्रकारों के खिलाफ 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा और एक प्रदर्शनकारी की मौत के सिलसिले में उनके ‘‘भ्रमित’’ करने वाले ट्वीट के चलते पांच राज्यों में प्राथमिकी दर्ज की गई है। 

बीजद ने रास में की महिला आरक्षण विधेयक पारित किए जाने की मांग

बीजू जनता दल ने बुधवार को राज्यसभा में मांग की कि महिला आरक्षण विधेयक को संसद में शीघ्र पारित किया जाना चाहिए क्योंकि संसद और राज्य विधायिकाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण देश के विकास में बराबरी की योगदान देने वाली आधी आबादी के सशक्तीकरण को मजबूती देगा। बीजू जनता दल के प्रसन्न आचार्य ने राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में हो रही चर्चा में हिस्सा लेते हुए यह मांग उठाई। उन्होंने कहा कि 2010 में इस सदन में महिला आरक्षण विधेयक पारित हुआ था लेकिन किन्हीं कारणों से यह विधेयक लोकसभा में पारित नहीं हो पाया। आचार्य ने कहा ‘‘ देश की आबादी में 48.5 फीसदी हिस्सेदारी महिलाओं की है लेकिन संसदीय व्यवस्था में उनकी भागीदारी कितनी है ? पिछले लोकसभा चुनाव में उनका प्रतिनिधित्व केवल 14 फीसदी रहा.... मात्र 14 प्रतिशत...। आधी आबादी का लोकतंत्र के सर्वोच्च मंच में प्रतिनिधित्व केवल 14 फीसदी है। वैश्विक व्यवस्था में उनका संसदीय मंचों प्रतिनिधित्व 24 फीसदी है।’’ बीजद नेता ने दूसरे देशों का जिक्र करते हुए कहा कि अंतर-संसदीय रिपोर्ट के अनुसार,अफगानिस्तान में महिलाओं का संसदीय मंच में प्रतिनिधित्व 27 फीसदी, सऊदी अरब में 20 फीसदी, नेपाल में 32 फीसदी, बांग्लादेश में 27 फीसदी है। आचार्य ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और आबादी में दुनिया में दूसरा स्थान रखने वाला भारत संसदीय मंच में, हमारी लोकसभा में महिलाओं की मात्र 14 फीसदी हिस्सेदारी रखता है। उन्होंने कहा ‘‘यहां तक कि सूडान, सऊदी अरब, पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देशों में तक महिलाओं का प्रतिनिधित्व भारत की तुलना में अधिक है।’’ आचार्य ने कहा ‘‘लोकसभा में सरकार के पास बहुमत है। राज्यसभा में यह विधेयक पारित हो चुका है फिर इसे लोकसभा में पारित कराने में क्या दिक्कत है। निजी तौर पर यह मेरी समझ से परे है।’’ उन्होंने कहा कि बीजद और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक बार बार यह मांग उठाते रहे हैं कि महिलाओं को लोकतांत्रिक व्यवस्था में वह राजनीतिक भागीदारी दी जाए जिसकी वह हकदार हैं। आचार्य ने कहा कि महिलाओं ने हर क्षेत्र में खुद को साबित किया है। कई क्षेत्रों में उनका काम पुरुषों की तुलना में अधिक सराहनीय रहा है। फिर वह अपने राजनीतिक प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए कब तक इंतजार करती रहेंगी? इससे पहले, शून्यकाल में बीजद के सस्मित पात्रा ने महिला आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि महिलाएं हर क्षेत्र में खुद को साबित कर चुकी हैं लेकिन अपने अधिकारों से वे अब तक वंचित हैं। पात्रा ने कहा ‘‘वास्तविक अर्थों में महिला सशक्तिकरण तब ही हो पाएगा जब राजनीति सहित हर क्षेत्र में महिलाओं को समुचित प्रतिनिधित्व मिलेगा।’’ बीजद सदस्य ने महिला आरक्षण विधेयक पारित किए जाने की मांग की। 

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कई राज्यों ने की विशेष दर्जे की मांग, कुछ को दिया गया विशेष पैकेज: सरकार

केंद्र सरकार को अलग अलग समय पर ओडिशा, राजस्थान, बिहार, तेलंगाना, झारखंड, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की राज्य सरकारों की ओर से विशेष श्रेणी का दर्जा प्रदान करने के अनुरोध मिले तथा कुछ राज्यों की विशेष समस्याओं के समाधान एवं विकास के लिये विशेष पैकेजों की घोषणा की गई। लोकसभा में शिशिर कुमार अधिकारी के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में योजना, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने यह बात कही। राव से पूछा गया था कि क्या सरकार को विगत पांच वर्षो के दौरान विशेष वित्तीय दर्जे के संबंध में विभिन्न राज्य सरकारों से प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। उक्त प्रस्तावों और इनमें मांगे गए वित्तीय पैकेज का ब्यौरा क्या है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘ विशेष समस्याओं के समाधान और कुछ राज्यों के विकास को सुगम बनाने के लिये केंद्र सरकार द्वारा विगत पांच वर्षो (2015-16 से 2019-20) के दौरान आंध्र प्रदेश (आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 के तहत), बिहार (प्रधानमंत्री बिहार पैकेज 2015) पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य (जम्मू कश्मीर के लिये प्रधानमंत्री पैकेज 2015) तथा तेलंगाना (तेलंगाना के 9 पिछड़े जिलों के लिये विशेष पैकेज) जैसे विशेष पैकेजों की घोषणा की गई है। जम्मू कश्मीर, लद्दाख, पूर्वोत्तर एवं अन्य राज्यों के लिए अनुदान को लेकर नीति आयोग द्वारा कोविड पश्चात किसी तरह का मध्यावधि मूल्यांकन किये जाने संबंधी एक प्रश्न के उत्तर में राव ने कहा कि नीति आयोग ने कोरोना-काल के पश्चात कोई मध्यावधि मूल्यांकन नहीं किया गया है।

रेलवे नियमित गाड़ी परिचालन बहाल करने के लिये हर प्रकार से तैयार: पीयूष गोयल

सरकार ने बुधवार को कहा कि भारतीय रेलवे कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति पर गहन नजर रखे हुए है और नियमित रेलगाड़ी परिचालन बहाल करने के लिये हर प्रकार से तैयार है। लोकसभा में बसंत कुमार पांडा, राजीव रंजन सिंह, कौशलेंद्र कुमार, अनिल फिरोजिया, सुनीता दुग्गल एवं अन्य सदस्यों के प्रश्न के लिखित उत्तर में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिये भारत सरकार द्वारा जारी मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार भारतीय रेलवे ने 23 मार्च 2020 से सभी नियमित यात्री गाड़ियों को रोक दिया था। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा समय-समय पर जारी अनुदेशों के अनुपालन के क्रम में 1 मई 2020 से श्रमिक विशेष गाड़ियां चलाने के बाद 12 मई से राजधानी विशेष गाड़ियां और 1 जून 2020 से अन्य विशेष गाड़ियां चलायी गयीं। गाड़ियों की संख्या में चरणबद्ध तरीके से वृद्धि की गई थी। गोयल ने कहा कि भारतीय रेलवे कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति पर गहन नजर रखे हुए है और नियमित गाड़ी परिचालन बहाल करने के लिये हर प्रकार से तैयार है।

सरकारी नौकरियों के लिए सितंबर से ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करेगी एनआरए: जितेंद्र सिंह

कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) सितंबर से सरकारी नौकरियों के लिए अभ्यर्थियों की प्रारंभिक स्क्रीनिंग ऑनलाइन माध्यम से करेगी। सिंह ने कहा कि एनआरए सरकारी क्षेत्र में नौकरियों के लिए उम्मीदवारों की छंटनी के लिहाज से समान पात्रता परीक्षा (सीईटी) आयोजित करेगा जिसके लिए भर्ती इस समय कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) और इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सलेक्शन (आईबीपीएस) द्वारा कराई जा रही है। सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘एनआरए केवल अभ्यर्थियों की प्रारंभिक स्क्रीनिंग करेगी। अंतिम भर्ती संबंधित एजेंसियों द्वारा की जाएगी। 

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लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं: मंत्री

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि देश में संसदीय चुनाव और विधानसभा चुनावों को एकसाथ कराने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है। सदन में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में प्रसाद ने यह भी कहा कि कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय से संबंधित स्थायी समिति से जुड़े विभाग ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों को साथ करानेके मुद्दे पर गौर किया है तथा चुनाव आयोग समेत कई संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श भी किया है। मंत्री ने कहा कि समिति ने अपनी 79वीं रिपोर्ट में कुछ सुझाव दिए थे। यह पूछे जाने पर कि लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने को लेकर कोई समयसीमा तय की गई है तो प्रसाद ने ‘नहीं’ में जवाब दिया। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी एस चौहान की अध्यक्षता वाले विधि आयोग ने कुछ साल पहले यह सुझाव दिश था कि सरकारी धन की बचत के लिए लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराया जाए।      

व्हाट्सऐप को प्रस्तावित निजता नीति में बदलावों की समीक्षा करने को कहा गया: सरकार

इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने व्हाट्सऐप को प्रस्तावित नयी निजता नीति में प्रस्तावित बदलावों की समीक्षा करने और इसके औचित्य की व्याख्या करने को कहा है। लोकसभा में पी सी मोहन, तेजस्वी सूर्या और प्रताप सिम्हा के प्रश्न के लिखित उत्तर में इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने यह जानकारी दी। मंत्री ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2020 की धारा 43 क में व्हाट्सऐप सहित किसी निगमित निकाय द्वारा एकत्रित की गई संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रखने का प्रावधान है। व्हाट्सऐप को आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत अधिसूचित प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश) नियामवली 2011 में निर्धारित सावधानियां बरतने की बात कही गई है। धोत्रे ने कहा, ‘‘इसके अलावा सरकार पहले ही संसद में निजता डाटा संरक्षण विधेयक पेश कर चुकी है जो संसद की संयुक्त समिति के विचाराधीन है। इस विधेयक में भारतीय नागरिकों की निजता एवं हितों की सुरक्षा का प्रावधान है।’’ मंत्री ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के संशोधन का कार्य शुरू किया है जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ मध्यस्थों के और अधिक संवेदनशील तथा भारतीय प्रयोक्ताओं के प्रति जवाबदेह बनाने के प्रावधानों को सख्त बनाना शामिल है।

किसी विदेशी सरकार ने किसान आंदोलन का समर्थन नहीं किया: मुरलीधरन

सरकार ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का किसी विदेशी सरकार ने समर्थन नहीं किया है, लेकिन कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों में भारतीय मूल के कुछ लोगों द्वारा इन कानूनों से संबंधित मुद्दों पर प्रदर्शन हुए हैं। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में में कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने किसानों से संबंधित विषयों पर टिप्पणी की थी और कनाडा को संदेश दिया गया था कि भारत के आंतरिक मामलों के संबंध में इस तरह के बयान ‘अवांछित’ और ‘अस्वीकार्य’ हैं। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि संसद द्वारा पारित तीन विधेयकों के खिलाफ भारतीय किसानों के आंदोलन को किसी विदेशी सरकार ने समर्थन नहीं दिया है। कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों में भारतीय मूल के कुछ लोगों द्वारा भारतीय विधेयकों से संबंधित विषयों पर प्रदर्शन की खबरें आई हैं।  

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चाबहार-जाहेदान रेलवे एवं अन्य परियोजनाओं पर ईरान से सम्पर्क बनाये हुए है भारत : सरकार

सरकार ने बुधवार को बताया कि भारत और ईरान, चाबहार-जाहेदान रेलवे परियोजना और ईरान में अन्य विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन के तौर-तरीके तैयार करने के लिये सम्पर्क बनाये हुए हैं। लोकसभा में राजमोहन उन्निथन के प्रश्न के लिखित उत्तर में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने यह जानकारी दी। उनसे पूछा गया था कि क्या भारत से प्रस्तावित वित्त पोषण में विलम्ब का हवाला देते हुए ईरान जुलाई 2020 में चाबहार-जाहेदान रेल सम्पर्क के निर्माण कार्य पर स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ गया है। मंत्री से यह भी पूछा गया था कि क्या ईरान ने एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि बातचीत में आईआरसीओएन द्वारा रेल सम्पर्क के वित्त पोषण पर बात हुई थी लेकिन भारत और ईरान के बीच सहमति नहीं बन पायी थी। इस पर विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि मई 2016 में प्रधानमंत्री की ईरान यात्रा के दौरान चाबहार-जाहेदान रेलवे परियोजना के निर्माण के लिये भारतीय रेलवे के आईआरसीओएन और ईरान की रेलवे के सीडीटीआईसी (कंस्ट्रक्शन एंड डेवेलपमेंट ऑफ ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर्स कंपनी) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए थे। विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि भारत और ईरान, चाबहार-जाहेदान रेलवे परियोजना और ईरान में अन्य विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन के तौर-तरीके तैयार करने के लिये सम्पर्क बनाये हुए हैं। 

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की नाकेबंदी से लोगों को हो रही असुविधा : सरकार 

सरकार ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन की वजह से दिल्ली और पड़ोसी राज्यों के लोगों को असुविधा हो रही है तथा उन्हें एवं सरकारी खजाने को आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के काफिलों ने 26 जनवरी को बलपूर्वक दिल्ली आने की कोशिश की और इसके लिए उन्होंने पुलिस के अवरोधक भी अपने ट्रैक्टरों की मदद से तोड़ डाले। रेड्डी ने कहा ‘‘उन्होंने आक्रामक रुख अपनाया, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और लोकसेवकों को अपना दायित्व निर्वाह करने से रोकने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग किया जिससे ड्यूटी पर तैनात कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।’’ गृह राज्य मंत्री ने कहा ‘‘दिल्ली पुलिस ने सूचित किया है कि राष्ट्रीय राजधानी की गाजीपुर, चिल्ला, टीकरी और सिंघू सीमाएं किसानों के आंदोलन की वजह से बाधित हैं और इसकी वजह से दिल्ली और आसपास के राज्यों के लोगों को असुविधा हो रही है। किसी भी तरह के आंदोलन से लोगों को और सरकार को आर्थिक नुकसान होता है।’’ उन्होंने कहा कि किसानों और प्रदर्शनकारियों ने सामाजिक दूरी का पालन नहीं किया और कोरोना वायरस महामारी के बावजूद ये लोग बिना मास्क पहने बड़ी संख्या में एकत्र हुए। रेड्डी ने कहा ‘‘प्रदर्शनकारियों ने जो किया उसके बाद दिल्ली पुलिस के पास भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले , पानी की धार छोड़ने और हल्का बल प्रयोग करने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं था।’’ उन्होंने इस बात से इंकार किया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी और प्रवर्तन निदेशालय ने किसानों के आंदोलन को मानवीय आधार पर सहयोग देने के कारण करीब 40 लोगों को समन जारी किया है। रेड्डी ने यह भी बताया कि किसानों की चिंता के समाधान के लिए सरकार ने किसान नेताओं के साथ 11 दौर की बातचीत की लेकिन इसमे कोई हल नहीं निकल पाया। 

राज्यसभा की कार्यवाही बाधित करने पर संजय सिंह सहित आप के तीन सदस्य दिन भर के लिए निलंबित

राज्यसभा में बुधवार को आम आदमी पार्टी के तीन सदस्यों संजय सिंह, सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता को सदन की कार्यवाही बाधित करने पर दिन भर के लिए निलंबित कर दिया गया। बाद में उन्हें मार्शल की मदद से सदन से बाहर किया गया। सुबह, उच्च सदन में शून्यकाल समाप्त होने पर संजय सिंह ने आंदोलन कर रहे किसानों से जुड़ा मुद्दा उठाने का प्रयास किया। लेकिन सभापति एम वेंकैया नायडू ने उन्हें अनुमति नहीं दी और कहा कि सदस्य राष्ट्रपति अभिभाषण पर होने वाली चर्चा में अपनी बात रख सकते हैं। लेकिन इसके बाद भी आप सदस्यों ने नए कृषि कानूनों का विरोध जारी रखा और नारेबाजी शुरू कर दी। सभापति नायडू ने पहले उन्हें चेतावनी दी और सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देने को कहा। उन्होंने कहा कि तीन सदस्य सदन की कार्यवाही को बाधित नहीं कर सकते। बहरहाल आप सदस्यों का हंगामा जारी रहा और सभापति ने उन्हें नियम 255 के तहत दिन भर के लिए निलंबित कर दिया और तीनों सदस्यों को सदन से बाहर जाने को कहा। पर निलंबित सदस्यों ने आसन के निर्देश को स्वीकार नहीं किया और सदन में ही बने रहे। इस पर सभापति ने नौ बजकर करीब 35 मिनट पर बैठक पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी। बैठक फिर शुरू होने पर सभापति नायडू ने तीनों सदस्यों को बाहर जाने का निर्देश दिया। इसके बाद उन्होंने मार्शल को बुला लिया। मार्शल की मदद से आप के तीनों सदस्यों को सदन से बाहर कर दिया गया।  

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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