मुकरोह को लेकर असम-मेघालय के बीच फिर छिड़ी जुबानी जंग, हिमंता के बयान के बाद कॉनराड संगमा ने अपना दावा किया पेश, जानें पूरा मामला
संगमा का बयान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के विधानसभा में यह कहने के कुछ हफ्ते बाद आया है कि मुकरोह उनके राज्य का हिस्सा है।
असम के अपने समकक्ष के दावे को खारिज करते हुए मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने 21 मार्च को विधानसभा में जोर देकर कहा कि विवादित अंतर्राज्यीय सीमा पर मुकरोह गांव पहाड़ी राज्य का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि मुकरोह के निवासी उनकी सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थी हैं। संगमा का बयान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के विधानसभा में यह कहने के कुछ हफ्ते बाद आया है कि मुकरोह उनके राज्य का हिस्सा है। संगमा ने विधानसभा को बताया कि मैंने स्पष्ट रूप से कहा है कि मुकरोह मेघालय का हिस्सा है। तथ्य और आंकड़े इस ओर इशारा करते हैं। अन्य बयान दिए गए हो सकते हैं, लेकिन हमारा रुख स्पष्ट है।
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उन्होंने वॉयस ऑफ द पीपल्स पार्टी के विधायक एडेलबर्ट नोंग्रुम द्वारा उठाए गए एक पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि जनगणना कोड में कहा गया है कि मुकरोह पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले के अंतर्गत आता है। चुनाव आयोजित किए गए और हाल ही में मेघालय विधानसभा चुनावों के दौरान मुकरोह में भी मतदान हुआ। गांव में दो मतदान केंद्र हैं और यह मोकायाव निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है।
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छह लोगों की हुई थी हत्या
मेघालय विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान मुकरोह में भी हुआ। गांव में दो मतदान केंद्र हैं और यह मोकाइव निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। पिछले साल 22 नवंबर को अवैध रूप से काटी गई लकड़ी’ से लदे एक ट्रक को कथित तौर पर पड़ोसी राज्य के वन कर्मियों द्वारा रोके जाने के बाद विवादित सीमा पर हुई झड़प में मुकरोह के पांच और असम के एक वन रक्षक समेत छह लोगों की मौत हो गई थी।
क्या है सीमा विवाद?
मेघालय से असम का विवाद 1972 में अलग राज्य बनने से शुरू हुआ। असम और मेघालय के बीच 884.9 किलोमीटर लंबी अंतर-राज्यीय सीमा के 12 इलाकों में लंबे समय से विवाद चल रहा है। दोनों पूर्वोत्तर राज्यों ने इनमें से छह इलाकों में विवाद को खत्म करते हुए नयी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में मार्च में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। दोनों ने बाकी के छह इलाकों में विवाद को हल करने के लिए बातचीत भी शुरू की। मेघालय को असम से अलग कर 1972 में स्थापित किया गया और उसने असम पुनर्गठन कानून, 1971 को चुनौती दी थी।
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