Pervez Musharraf Birth Anniversary: राजद्रोह मामले पर सुनाई गई थी मौत की सजा, जानिए परवेज़ मुशर्रफ के अर्श से फर्श पर आने की कहानी

पाकिस्तान के 10वें राष्ट्रपति रहे परवेज़ मुशर्रफ का 11 अगस्त को जन्म हुआ था। उनका जन्म दिल्ली में हुआ था। बंटवारे के समय उनका परिवार पाकिस्तान में बस गया था। पाकिस्तान की सियासत में परवेज़ मुशर्रफ की अहम भूमिकाएं रही हैं।
आज ही के दिन यानी की 11 अगस्त को पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ का जन्म हुआ था। बता दें कि वह साल 1999 के कारगिल युद्ध के सूत्रधार थे। उन्होंने तानाशाही शैली में पाकिस्तान पर शासन किया था। अपने शासनकाल के दौरान परवेज़ मुशर्रफ ने जम्मू-कश्मीर सहित तमाम मुद्दों पर भारत के साथ बातचीत की थी। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर परवेज़ मुशर्रफ के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में 11 अगस्त 1943 में परवेज़ मुशर्रफ का जन्म हुआ था। पुरानी दिल्ली में आज भी उनके परिवार की पुश्तैनी हवेली मौजूद है। उनके बचपन के कुछ साल दिल्ली में गुजरे थे। लेकिन देश का बंटवारा होने के बाद उनका परिवार 1947 में नव सृजित देश पाकिस्तान में जाकर बस गया।
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सेना प्रमुख और कारगिल युद्ध
साल 1997 में पाकिस्तान के आम चुनावों में नवाज शरीफ की जीत हुई, तो उन्होंने पीएम बनने के बाद परवेज़ मुशर्रफ को सेना प्रमुख बनाया। इस तरह वह धीरे-धीरे ताकतवर होते चले गए और सरकार में भी उनका रसूख बढ़ता गया। इसके अलावा उनको कारगिल युद्ध के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बिना बताए कारगिल युद्ध की शुरूआत कर दी थी।
तख्तापलट किया
साल 1999 में जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने सैन्य तख्तापलट करके नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल कर दिया। हालांकि नवाज को पहले से इसका अंदाजा था, इसलिए उन्होंने मुशर्रफ को सेनाध्यक्ष के पद से हटा दिया और जनरल अजीज को सेना प्रमुख बनाया। लेकिन वह मुशर्रफ के वफादार निकले और नवाज का तख्तापलट कर दिया।
राष्ट्रपति पद
नवाज शरीफ का तख्तापलट करने के बाद परवेज़ मुशर्रफ ने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। साल 2001 से लेकर 2008 तक वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे और बाद में उनको भी पाकिस्तान के सरकारी सिस्टम का शिकार होना पड़ा था।
मौत की सजा
पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो हत्याकांड और लाल मस्जिद मामले में परवेज़ मुशर्रफ को भगोड़ा घोषित किया गया। वहीं साल 2019 में एक विशेष अदालत ने राजद्रोह के मामले में परवेज़ मुशर्रफ को मौत की सजा सुना दी थी। परवेज़ मुशर्रफ पर देशद्रोह का आरोप साल 2007 में आपातकाल घोषित करने के कारण लगाया गया था।
मृत्यु
जब पाकिस्तान में परवेज़ मुशर्रफ को जेल जाने का डर सताने लगा, तो साल 2016 में वह स्वास्थ्य का हवाला देकर विदेश चले गए। वहीं तत्कालीन पाकिस्तानी हुकूमत ने उनका नाम एग्जिट कंट्रोल लिस्ट से हटा लिया था। बाद में उनको देश से बाहर जाने की इजाजत मिल गई। फिर साल 2016 से वह दुबई में निर्वासित जीवन बिताने लगे। वहीं लंबी बीमारी के बाद 5 फ़रवरी 2023 को 79 साल की उम्र में परवेज़ मुशर्रफ का निधन हो गया था।
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